प्रयागराज (ब्‍यूरो)। क्या आपको पता है कि इस समय प्रयागराज का लिंगानुपात 1087 है। मतलब एक हजार बेटों पर 87 बेटियां ज्यादा है। जबकि दस साल पहले यही लिंगानुपात 901 था। जमाना तेजी से बदल रहा है। लोगों की नजर में बेटे-बेटी एक समान हो रहे हैं। लेकिन अभी भी समाज में कुछ ऐसे लोग बचे हैं जिनके लिए बेटियां बोझ हैं। उनकी हरकतों से मानवता शर्मसार हो रही है। इन लोगों ने बेटी पैदा होने पर न केवल उसे, बल्कि अपनी पत्नियों को छोड़ दिया।

केस एक
पूजा और योगेश का रिश्ता 19 मई 2021 को हुआ। पूजा ने भी तमाम सपने देखे थे। शादी तय हुई तो उसकी आंखों में वो सारे सपने आए जो सामान्य तौर पर किसी भी लड़की के जीवन का अहम हिस्सा होते हैं। 20 मई पूजा दुल्हन बनकर योगेश के घर पहुंची। पूजा बहू तो बन गई मगर पत्नी का दर्ज उसे नहीं मिल सका। तमाम कोशिशें नाकामयाब हुईं। पूजा और योगेश में अनबन झगड़े में तब्दील होने लगी। करीब साल भर पहले पूजा गर्भवती हो गई। मगर पति योगेश का रुख सख्त होता चला गया। एक तो पूजा पेट से ऊपर से पति का गुस्सा। छह महीने की गर्भवती पूजा को उसके पति ने मायके छोड़ दिया। पूजा को लगा कि बच्चा होने के बाद पति उसे बुला लेगा, मगर किस्मत ने तो पूजा को परेशान कर दिया। पूजा को बेटी हो गई। इसके बाद उसकी लानत मलानत और बढ़ गई। पति और उसके परिवार वालों ने पूजा से बात भी बंद कर दिया। यहां तक कि योगेश अपनी बेटी का मुंह देखने भी नहीं आया। ससुराल वालों ने इस पूरी परिस्थिति का जिम्मेदार बेटी पैदा होने को ठहरा दिया।
पति ने रचा ली दूसरी शादी
सेमरी जिरौहा गांव की पूजा को पता चला कि उसके पति ने दूसरी शादी कर ली है तो उससे रहा नहीं गया। वह अपने परिवार के साथ ससुराल पहुंंच गई। आरोप है कि पति ने उसे धक्का देकर भगा दिया। गालियां दीं। थकहार कर पूजा ने खीरी थाने में पति के खिलाफ केस दर्ज कराया है।

केस दो
सना प्रेगनेंट हुई तो उसे लगा कि शायद अब उसके जीवन का झंझावात खत्म हो जाएगा। सना ने सुना था कि जब नवविवाहिता प्रेगनेंट होती है तो ससुराल वाले उसका ख्याल रखते हैं। उसकी दवा दरमत कराते हैं। क्योंकि बहू के गर्भ में उस खानदान का वारिश पल रहा होता है। मगर सना के साथ ऐसा नहीं हुआ। सना और उसके पति अबरार अहमद के बीच रार कम होने का नाम नहीं ले रही थी। आखिरकार पति ने गर्भवती सना को उसके मायके छोड़ दिया। कुछ महीने बाद सना को बेटी पैदा हुई तो उस पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। ससुराल वालों ने बेटी का ताना मारते हुए उससे रिश्ता तोड़ दिया। कई महीना इंतजार के बाद आखिरकार सना ने पति के खिलाफ केस दर्ज करा दिया। यह मामला भी खीरी थाने मेंं दर्ज किया गया। वह अपने बेटी के साथ अकेले पन में जीवन काट रही है।

अब कहां जाएं सना और पूजा
ये कहानी केवल एक सना या पूजा की नहीं हैं। इन दोनों ने तो हिम्मत दिखाई कि मामला पुलिस के पास पहुंचा। मगर अब सवाल खड़ा है कि आखिर अब ये दोनों कहां जाएं। ये सवाल सना और पूजा को दिन रात खाए जा रहे हैं। आखिरकार कब तक मायके वाले मां बेटियों का खर्च उठाएंगे।

केस तीन
बीना जार्जटाउन के त्रिपाठी कालोनी की रहने वाली हैं। बीना की शादी करीब 17 वर्ष पूर्व मंगल सिंह से हुई थी। शादी के चार वर्ष बाद बीना को एक बेटी हुई। इसके बाद से पति का रवैया बीना के प्रति बदल गया। बेटी पैदा होने के बाद बीना का जीवन अस्त व्यस्त हो गया। पति पत्नी के बीच बेटी को लेकर आए दिन तकरार होने लगी। कई साल बाद दोनों के एक बेटा हुआ, जोकि छह साल का है। मगर इसके बाद भी मंगल के रवैये में बदलाव नहीं आया। आरोप है कि मंगल ने पत्नी बीना के साथ मारपीट शुरू कर दी। बेटी का खर्च उठाने को लेकर मामला परिवार परामर्श केंद्र पहुंचा। वहां समझौता हुआ। मगर रिश्ते में सुधार नहीं हुआ। इस बीच बीना को पता चला कि उसके पति ने दूसरी शादी भी कर ली है। थकहार कर बीना ने जार्जटाउन थाने में केस दर्ज कराया है।

बेटियां किसी से कम नहीं होती हैं। आज के जमाने में भी बेटियों को कमतर आंकने वाले लोग होते हैं। यह सोचकर हैरानी होती है। ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।
पल्लवी अरोरा

जमाना बदल चुका है। महिला अधिकार और संरक्षण को लेकर समाज बहुत आगे निकल गया है। मगर अफसोस चंद लोग समाज में धब्बा हैं। ऐसे लोगों को मनोवैज्ञानिक परीक्षण की जरुरत है।
अवंतिका टंडन

समाज कभी भी पूरी तरह से बदल नहीं सकता है। पुरातन सोच के लोग समाज में भले ही कम संख्या में हों रहेंगे। ऐसे लोगों को काउंसिलिंग की जरुरत है। ताकि बेटियों को लेकर उनकी सोच बदल सके। हालांकि अब काफी हद तक लोगों की सोच में बदलाव हो चुका है। मगर कुछ लोगों ने समाज को गंदा कर रखा है।
डा.कमलेश तिवारी, मनोविज्ञानी

दोनों केस दर्ज किए गए हैं। पुलिस दोनों मामलों की जांच कर रही है। दोनों ही मामले में बेटी पैदा होने पर छोडऩे का आरोप है। जांच के बाद विधिक कार्रवाई की जाएगी।
आशीष कुमार सिंह, थाना प्रभारी खीरी