दो चार को छोड़ कर एक भी आरओ प्लांट नहीं है इलाहाबाद में रजिस्टर्ड

जलकल विभाग को नहीं पता शहर में कितने हैं आरओ प्लांट

ALLAHABAD: शहर में कई इलाके ऐसे हैं जहां पानी की जबर्दस्त क्राइसेस है। नहाने व अन्य कामों के लिए तो लोग इधर-उधर से पानी का इंतजाम कर ले रहे हैं, लेकिन पीने के लिए स्वच्छ पानी नहीं मिल पा रहा। ऐसे में लोगों को आरओ प्लांट का पानी पैसा देकर मंगाना पड़ रहा है। पर डे हजारों लीटर पानी शहर में बिक रहा है। एक के बाद एक कई आरओ प्लांट खुलते चले जा रहे हैं। वहीं जलकल विभाग के अधिकारियों को जानकारी ही नहीं है कि शहर में कितने आरओ प्लांट स्थित हैं और वे किस तरह से जलदोहन कर रहे हैं।

पांच करोड़ के पार पहुंचा कारोबार

शहर में चल रहे दो दर्जन से अधिक आरओ और फिल्टर प्लांट में दो चार को छोड़ दिया जाए तो आरओ और फिल्टर प्लांट का पंजीकरण तक नहीं है। लिहाजा, न टैक्स का भुगतान और न ही पानी की गुणवत्ता की प्रमाणिकता। इलाहाबाद में पानी का यह कारोबार सालाना पांच करोड़ के पार हो चुका है। इस्थिति ये है कि अब हजारों लोग जलकल विभाग का नहीं बल्कि आरओ प्लांट का पानी पीने को मजबूर हैं। उन्हें हर महीने 900 रुपया एक्स्ट्रा खर्च करना पड़ता है।

गली-गली में खुल गए हैं प्लांट

मुट्ठीगंज, चौक, घंटाघर, जानसेनगंज, सिविल लाइंस, लीडर रोड, हिवेट रोड, बहादुरगंज, रामबाग, बलुआघाट, कटरा, तेलियरगंज के साथ ही शहर में जितने भी मार्केट वाले इलाके हैं हर दुकान पर अब आरओ प्लांट का ही पानी दिखाई देता है। इसका कारण हैं गली-गली खुल चुके आरओ वाटर प्लांट। 15 लीटर का कैन 30 रुपये प्रतिदिन में यह घर पहुंचाकर उपलब्ध होता है। लोकल लेवल पर तैयार आरओ प्लांट के बोतल और कैन में करीब 5 करोड़ रुपये का पानी बिक जाता है।

हजारों लीटर पानी पर डे बेच रहे

करीब दो दर्जन से अधिक आरओ और फिल्टर वाटर प्लांट हैं। दैनिक उपयोग के चलते फिल्टर्ड पानी की मांग बढ़ रही है। औसतन एक प्लांट से प्रतिदिन 400 से 500 वाटर कैन आसानी से बिक जाते हैं। पुराने शहर के कई वाटर प्लांट से तो एक-एक हजार वाटर कैन प्रतिदिन बिक जाते हैं। दुकानों, फर्म, दफ्तरों आदि पर वाटर कैन नजर आने लगे हैं। यहां तक कि अब तो लोग घरों में भी ये पानी मंगा रहे हैं। क्योंकि जलकल विभाग का पानी जहां समय से नहीं मिलता है, वहीं गंदे व बदबूदार पानी सप्लाई की समस्या भी बनी रहती है।

शहर में कितने आरओ प्लांट स्थित हैं? और किस तरह से जल दोहन कर प्लांट चलाए जा रहे हैं। इसकी जानकारी नहीं है। जलकल विभाग द्वारा आरओ प्लांट चलाने वालों को लाइसेंस देने की कोई व्यवस्था नहीं है। जलकल के कनेक्शन से पानी लेकर बिजनेस किया जा रहा है तो कॉमर्शियल टैक्स वसूला जाएगा।

आरडी यादव

एक्सईएन, जलकल विभाग