- यमुना के पानी का पॉवर प्लांट के लिए नहीं होगा उपयोग
- शहरी विकास मंत्रालय ने दिया आदेश, सेनिटेशन वर्कशॉप में दी गई जानकारी
ALLAHABAD: करछना, मेजा और बारा में बन रहा थर्मल पॉवर प्लांट जल्द काम करना भी शुरू कर देगा। इसके साथ ही अपना इलाहाबाद पॉवर हब बन जाएगा। लेकिन पॉवर जनरेशन के लिए यमुना नदी के जल का इस्तेमाल नहीं होगा। इसके लिए एनटीपीसी को एसटीपी से निकला ट्रीटेड पानी खरीदना होगा। अभी तक एनटीपीसी ने यमुना से पानी लिफ्ट कर पॉवर प्लांट तक ले जाने की योजना बनाई थी। जिसका पूर्व पार्षद कमलेश सिंह ने काफी विरोध किया था। अब शहरी विकास मंत्रालय ने भी पूर्व पार्षद के विरोध पर मंजूरी लगा दी है। पिछले दिनों दिल्ली में आयोजित सेनिटेशन वर्कशॉप में यह क्लीयर किया गया है कि पॉवर जनरेशन के लिए किसी भी नदी या फिर कैनाल का पानी नहीं बल्कि एसटीपी का पानी यूज होगा।
नदी का पानी सिर्फ पीने के लिए
शहरी विकास मंत्रालय की ओर से दिल्ली के हेबिटेट सेंटर में सेनिटेशन वर्क पर दो दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया था। जिसमें मिनिस्ट्री के अधिकारियों ने यह घोषणा की कि नदियों का पानी थर्मल पॉवर प्लांट में ले जाने के बजाय पीने के लिए या फिर अन्य कामों के लिए किया जाए। वहीं पॉवर प्लांट में पॉवर जनरेशन के लिए नदियों का नहीं बल्कि एसटीपी का पानी यूज किया जाए।
बिछाई जाएगी पाइप लाइन
वर्तमान में शहर में 270 एमएलडी पानी पर डे निकलता है। 224 एमएलडी पानी ट्रीट कर एसटीपी से निकलता है। एसटीपी से निकलने वाले पानी को पॉवर प्लांट तक पहुंचाया जा सके, इसके लिए जल्द ही पाइप लाइन दौड़ाई जाएगी। प्रोजेक्ट बनाकर धनराशि जारी की जाएगी।
किसानों को एसटीपी से पानी
पॉवर जनरेशन के साथ ही खेती-किसानी के लिए भी एसटीपी का पानी इस्तेमाल करने की योजना है। जिसके तहत जल्द ही राजापुर और सलोरी स्थित एसटीपी से फाफामऊ तक पाइप लाइन दौड़ाकर ट्रीटेड पानी की सप्लाई किसानों के खेतों तक की जाएगी। जहां ट्रीटेड पानी से खेतों की सिंचाई होगी।
रेलवे से भी हो रही है बात
यही नहीं रेलवे डिपार्टमेंट भी पर डे हजारों लीटर पानी ट्रेनों व ट्रैक की धुलाई में यूज होता है और ट्रेन के टॉयलेट में भरा जाता है। जिसके लिए स्वच्छ पानी की जगह एसटीपी से निकलने वाले पानी का यूज करने की योजना है। इस योजना पर भी प्लानिंग चल रही है।
जल दोहन का किया था विरोध
पूर्व पार्षद व समाज सेवी कमलेश सिंह ने 2013 में ही थर्मल पॉवर प्रोजेक्ट के प्रस्ताव के खिलाफ आवाज उठाई थी, जिसमें यमुना नदी से 150 क्यूसिक पानी पर डे रिसोर्स कर करछना और बारा थर्मल पॉवर प्लांट तक ले जाने की बात कही गई थी। पूर्व पार्षद ने शहरी विकास मंत्रालय के साथ ही प्रदेश सरकार व प्रधानमंत्री कार्यालय को लेटर लिख कर विरोध किया था और एसटीपी का पानी थर्मल पॉवर हाउस तक ले जाने का सुझाव दिया था। इसे सरकार ने गंभीरता से लिया। अब शहरी विकास मंत्रालय ने भी पूर्व पार्षद के सुझाव और विरोध पर मंजूरी लगाते हुए यमुना नदी के नदियों से जल दोहन रोक लगा दी है।
पॉवर प्लांट के लिए यह थी डिमांड
पॉवर जनरेशन के लिए यमुना से पानी पंप कर पॉवर प्लांट तक ले जाने का बनाया गया था प्लान
- यमुना और टोंस नदी से पर डे 200 क्यूसिक पानी ले जाने का दिया गया था प्रस्ताव
- बारा थर्मल पॉवर प्रोजेक्ट के लिए यमुना नदी से 96 क्यूसिक पानी
- करछना थर्मल पॉवर प्रोजेक्ट के लिए यमुना नदी से 54 क्यूसिक पानी
-मेजा थर्मल पॉवर प्रोजेक्ट के लिए टोंस नदी से 50 क्यूसिक पानी पर डे पंप कर ले जाने की थी प्लानिंग
फैक्ट फाइल
पर डे शहर से निकलता है 270 एमएलडी पानी, जो पहुंचता है नालों के जरिये एसटीपी तक
- एसटीपी के जरिये 224 एमएलडी पानी ट्रीट कर किया जा रहा है सप्लाई
- शहर में हैं छह एसटीपी, नैनी, राजापुर, सलोरी, नुमाया डीह, पोनघाट और दारागंज