-ज्यादातर हादसे पुल पर ही हुए, मांझों ने दो साल में दर्जन भर को पहुंचाया हॉस्पिटल

-चाइनीज ही नहीं, लोकल मांझा भी उतना ही खतरनाक

ashutosh.srivastava@inext.co.in

ALLAHABAD: पतंगबाजी, पुल और हादसों का तगड़ा कनेक्शन है। चार साल में पुलों पर मांझों से हुए हादसों में दो लोगों को जान गंवानी पड़ी तो एक दर्जन से अधिक लोगों को हॉस्पिटल की जरूरत पड़ गई। हालांकि जितने भी हादसे हुए, उसमें से एक में भी पतंग पुल पर उड़ाई नहीं जा रही थी। या तो मांझा पतंग के साथ कटकर उड़ते हुए गलों को काट गया या पतंग खंभों में फंसी थी और लोगों को घायल कर गई। जितना खतरनाक चाइनीज मांझा होता है, उससे कम खतरनाक देशी मांझा नहीं। रफ्तार में अगर मांझा चेहरे या गले पर आया तो बच निकलना मुश्किल हो जाता है। पतंग उड़ाने वाले भी मांझा की धार से बच नहीं पाते।

रेलकर्मी की भी जा चुकी है जान

कातिल मांझा 13 अप्रैल 2012 में महिला रेलकर्मी कुसुम की जान ले चुका है। सुलेम सराय की रहने वाली अनीता दिन में करीब दस बजे स्कूटी से डीआरएम आफिस जा रही थीं। वह पानी टंकी रेल ओवर ब्रिज से नीचे उतर रही थीं तभी मांझा में उनकी गर्दन फंसकर कट गई। उनके पति उमेश शर्मा की पहले ही मौत हो चुकी थी। फैमिली में बेटी निशा और बेटा यश हैं। मौत के बाद डीएम व एसएसपी ने चाइनीज मांझा की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था। कुछ दिन अभियान चला भी था लेकिन बाद में सब ठंडा पड़ गया।

पिता ने दी मुखाग्नि

नैनी के नए पुल पर मांझा से मारे गए गौरव मुखर्जी 18 का शुक्रवार को रसूलाबाद घाट पर अंतिम संस्कार किया गया। मुखाग्नि पिता अमिताभ बनर्जी ने दी। 11वीं का स्टूडेंट गौरव इंजीनियर बनना चाहता था। फैमिली ने भी उसके लिए बड़े-बड़े सपने संजोए थे। एक्टिवा पर उसके साथ रही दिव्यानी का चेहरा भी मांझा से कट गया है। उसकी हालत अब भी चिंताजनक बनी हुई है।

हादसे

1. जुलाई 1014 में झूंसी का रहने वाला आकाश कुमार बाइक से शहर की ओर आ रहा था। अलोपीबाग फ्लाइ ओवर पर वह पतंग की चपेट में आ गया। मांझा उसकी गर्दन में फंस गया। वह तो गनीमत रही कि उसने तुरंत बाइक रोक दी। उसका गला एक सेमी तक कट गया था। उसे लोकल हॉस्पिटल में एडमिट करवाया गया था।

2. नैनी के सीताराम का बेटा ओमप्रकाश (32) सिविल लाइंस स्थित एक कंपनी में काम करता है। वह लास्ट इयर के आखिर में दोपहर करीब तीन बजे घर की तरफ लौट रहा था। टोल के पास चाइनीज मांझा की चपेट में वह आ गया। उसकी गर्दन कट गई। कोरांव के शिक्षक धनंजय की नजर खून से लथपथ ओमप्रकाश पर पड़ी तो उसने लोगों से मदद की गुहार लगाई। धनंजय ने उसे एक प्राइवेट हॉस्पिटल में एडमिट करवाया।

3. पानी टंकी रेल ओवर ब्रिज पर इसी साल मार्च के आखिर में हिम्मतगंज का रहने वाला विशाल कुशवाहा भी मांझा की चपेट में आ गया था। वह शाम को स्कूटी से घर की ओर लौट रहा था तभी कनोडिया ग्राउंड से कटकर आ रही पतंग उसके गले में फंस गई। वह रुक गया लेकिन घाव काफी गहरा था। बीए थर्ड ईयर के स्टूडेंट विशाल को लूकरगंज के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में एडमिट करवाया गया था।

मुसीबत बने क्लच वायर

चाइनीज व कांच लगे मांझा पर तो प्रतिबंध है ही लेकिन सिटी में धड़ल्ले से इससे भी अधिक खतरनाक चीज से पतंग उड़ाई जा रही है। सिटी के पुराने इलाकों में पतंग को क्लच वायर लगाकर उड़ाया जाता है। क्लच वायर से अभी तक कोई बड़ा हादसा तो नहीं हुआ लेकिन बिजली के लिए यह मुसीबत बन चुका है। शाम को क्लच वायर लगी पतंगों के एचटी तारों से टकराने से बार-बार बिजली गुल होती है। बिजली विभाग ने कई बार अभियान भी चलाया लेकिन इसका असर नहीं पड़ा।

सस्ता मिलता है चाइनीज मांझा

चाइनीज मांझा देशी की तुलना में दो गुना सस्ता है। थोक में यह 150 से 200 रुपए प्रति चरखी मिलता है जबकि फुटकर में चरखी 250 से 325 रुपए में मिलती है। यह देशी की तुलना में काफी मजबूत होती है। इसकी छह वैरायटी मार्केट में अवलेबल है। ऐसे में देशी मांझे की बिक्री काफी कम हो गई है। चाइनीज मांझा को टक्कर देने के लिए लोकल मांझा में अब शीशा और ज्यादा ही मिलाया जाने लगा है।

इन इलाकों में बनता है मांझा

कीडगंज, कृष्णा नगर, बलुआघाट, मुट्ठीगंज, हटिया, दारागंज, चकिया, राजरूपपुर, अल्लापुर, बैरहना

- चाइनीज मांझा दिल्ली से आता है। सालाना पांच करोड़ से अधिक का पतंग का कारोबार है। चाइनीज प्रोडक्ट का मार्केट शेयर 50 परसेंट से अधिक का हो गया है। मांझा, लटाई के साथ ही अब तो चाइनीज पतंगे भी मार्केट में अवलेबल हैं।

यहां होती है बिक्री

चौक, लोकनाथ, रानी मंडी, हिम्मतगंज, चौफटका, नूरउल्ला रोड, अटाला, बेनीगंज, दारागंज, रामबाग, कीडगंज, मुट्ठीगंज, हटिया, बलुआघाट, लीडर रोड, जीरो रोड, बहादुरगंज, शाहगंज, नखासकोना, मोहम्मद अली पार्क।

लगती है हजारों की बाजी

परेड ग्राउंड, लूकरगंज के कनोडिया ग्राउंड के साथ ही अटाला में रोज पतंग की बाजियां लगती हैं। शर्ते 10 से 50 हजार रुपए के बीच लगाई जाती हैं। दो गु्रप पतंग उड़ाते हैं। जिसकी पतंगे ज्यादा देर तक टिकी रहती हैं, वही विनर होता है और जीत की रकम ले जाता है। जीत के लिए चाइनीज मांझा व क्लच वायर का इस्तेमाल भी किया जाता है।

सिटी में अवैध रूप से चल रहे मांझा के कारोबार के खिलाफ अभियान चलाया जाएगा। जो भी प्रतिबंधित मांझा बेचता मिलेगा, उसके खिलाफ कड़ी धाराओं में एफआईआर दर्ज करवाई जाएगी।

राजेश यादव, एसपी सिटी