मुशायरे से जगमगाई त्रिवेणी महोत्सव की शाम

देशभर से आए शायरों ने गजल और नज्म पेश कर जीता दिल

ALLAHABAD: मुकाम की ओर बढ़ रहे त्रिवेणी महोत्सव में शनिवार की शाम मुशायरे से गूंज उठी। देशभर से आए नामचीन शायरों ने कलमा, नज्म और गजलें पेश कर श्रोताओं को दिल जीता। शायरों ने अपनी प्रस्तुतियों से देशप्रेम को उजागर किया तो देश के मौजूदा हालात पर तंज कसने से भी नहीं चूके। सियासत पर शब्दों के चुटीले वार किए गए।

पसरा रहा सन्नाटा, सुनते रहे श्रोता

शुरुआत में लोकल कलाकारों ने जोरदार परफॉर्मेस से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। श्रोताओं ने सिंगर मानक अली के सूफी गायन का भी आनंद लिया। उन्होंने एलबम दास्तार के गाने पेश कर खूब तालियां बटोरीं। इसके अलावा लोगों की फरमाइश भी कई सांग पेश किए। उनके सांग अंबरा दी आंख, अरजान, मिर्जा आदि को सुनने के लिए भारी भीड़ जमा रही। इसके बाद मुशायरे ने श्रोताओं को समय का अंदाजा नहीं लगने दिया। संचालन कर रहे अनवर जलालपुरी ने 'चांदनी में रात भर सारा जहां अच्छा लगा, धूप जब फैली तो अपना ही मकान अच्छा लगा' सुनाकर दाद बटोरी। पॉपुलर मेरठी भी किसी से पीछे नहीं रहे। उन्होंने कुआंरों की मनोस्थिति पर जबरदस्त शेर 'मुझे एक रल्डवे की ख्वाहिश पता है, वलीमा-वलीमा-वलीमा-वलीमा' सुनाया।

वह तो सियासत कर रहा है

अध्यक्षता कर रहे एडिशनल एडवोकेट जनरल यूपी कमरूल हसन सिददीकी ने 'हिंदू-मुस्लिम बाद की बातें, पहले हम हिंदुस्तानी हैं' सुनाकर देशप्रेम का संदेश दिया। उनकी दूसरी पेशकश 'बजायर इनातय कर रहा है, हकीकत में सियासत कर रहा है' रही। अजम शाकरी ने 'हमने चाहा कि दिल जला डाले, फिर ख्याल दिल में तुमी हो' सुनाकर वाहवाही बटोरी। चीफ गेस्ट जस्टिस वीके बिड़ला रहे। इकबार असल दिल्ली, हासिफ फिरोजाबादी, जावेद नसीमी, रीता बाजपेई, सबा बलरामपुरी, तसना आजमी, डॉ। असलम इलाहाबादी, नसीम इलाहाबादी, मकदूम फूलपुरी आदि ने नजराने पेश किए। मशहूर शायर मुनव्वर राणा और मंजर भोपाली के प्रोग्राम में शामिल न होने से श्रोता मायूसी हुए।