ALLAHABAD: उत्तर प्रदेश के चुनावी संग्राम में दो चरण के मतदान के बाद अब चुनावी लड़ाई ने तेजी पकड़ ली है। दोनों चरणों में राजनीतिक दलों की ओर से प्रदेश के विकास को लेकर चुनावी दंगल में कमर कसी जा रही थी, लेकिन जैसे-जैसे चुनाव रफ्तार पकड़ रहा है और नेताओं की जुबान तीखी होती जा रही है। उनकी तीखी बयानबाजी का असर पब्लिक में भी दिखने लगा है। अब तक जो समर्थक स्वस्थ बहस का हिस्सा बन रहे थे, उनके बीच खटास बढ़ने लगी है। इसका नजारा तब हुआ जब चाय की चर्चा का टॉस्क लेकर हम शनिवार को जीएसएच के करीब स्थित विमल टी स्टॉल पर पहुंचे

धीरेन्द्र ने चाय का आर्डर देकर दोस्त सुनील से चुनावी गुणागणित जाननी चाही तो सुनील ने साफ कहा कि का बताए अब तो समझ में ही नहीं आ रहा है कि कौन सी पार्टी दूसरे के बारे में क्यां कह सकती है। यह सुन धीरेन्द्र ने टोका नहीं यार ऐसा नहीं है। केन्द्र में सरकार बनने के बाद से ही प्रधानमंत्री विकास की योजनाएं ला रहे हैं। वे खूब बोलते इसलिए हैं कि काम कर रहे हैं। जिनको काम होना पसंद नहीं है। वही लोग विरोध कर रहे हैं और अनाप शनाप बोल रहे हैं। नोटबंदी को ही देख लो। अब कोई लाइन में लग रहा है। अरे देशहित में काम किया जाएगा तो थोड़ी सी परेशानी तो होगी ही। इस पर अनुपम तपाक से बोल पड़े, चुप रहिए, इस बार पब्लिक 2007 का इतिहास दोहराने जा रही है। बसपा की सोशल इंजीनियरिंग काम करेगी। दोनों चरण के मतदान में भले ही बसपा को कम सीटें दिखाई जा रही हैं लेकिन इहां की रैली देखे रहो। धीरेन्द्र ने मजाकिया लहजे में कहा नोटबंदी की खीज मायावती निकाल रही थीं अब उनका काहे परेशानी हो रही है। गुंडागर्दी और अपराध भाजपा को छोड़कर कौन पार्टी की सरकार में नहीं होता। आजम खां को देख लो का बोल देंगे खुद उनका ही पता नहीं रहता। इस पर अपूर्व ने जोर देकर कहा कि सही कह रहे हो आजम हो या अखिलेश दोनों पानी पी पीकर मोदी को कोस रहे हैं। अखिलेश और मायावती के तो टारगेट पर प्रधानमंत्री ही रहते हैं। चुनाव में हार देखकर ऐसी पार्टी से गठबंधन कर लिए हैं। जिसका कोई जनाधार ही नहीं रह गया है। राहुल ने अपूर्व को रोकते हुए कहा तो काहे विकास की बात छोड़कर तुम्हारे प्रधानमंत्री गोद लिया बेटा का जुमला छोड़ रहे हैं। इस बात पर नोकझोक शुरू हुई तो धीरेन्द्र और अनुपम ने बीचबचाव कर उन्हें समझाया। फिर सब ने एक साथ कहा कि चलो 11 मार्च को तो पता चल ही जाएगा कि प्रदेश में का होई गवा है।

जिसको देखो वहीं प्रधानमंत्री के बारे में अनापशनाप बोल रहा है। सपा हो बसपा या कांग्रेस कोई भी प्रदेश का विकास नहीं कर सकती। अपने-अपने स्वार्थ के लिए ये पार्टियां कुछ भी कर सकती हैं।

अपूर्व

दो चरण के मतदान के बाद सपा कांग्रेस गठबंधन की हवा देख प्रधानमंत्री ने फिर जुमला छोड़ा है, गोद लिये बेटे का। ऐसे जुमलों का अब जनता में कोई असर नहीं रहा। इस बार युवा ही विजेता होंगे।

आशीष

बसपा की सोशल इंजीनियरिंग का जादू फिर चलेगा। चाहे कानून व्यवस्था की बात हो या गुंडागर्दी के सफाए की। हर कोई जानता है कि बसपा सरकार में बेहतरीन काम किया गया था। इसका असर इस बार दिखेगा।

अनुपम