प्रयागराज (ब्यूरो)। इस्लाम के पांच अरकानों में से हज एक अहम फर्ज है। हज के दौरान हर एक इबादत की खास अहमियत होती है। खासकर अरफ़ा के मैदान में अल्लाह को अपने बंदों के द्वारा दुआ मांगना बहुत पसंद है। दुआ इबादत की रूह है। अराफात के मैदान में पैगंबरों की दुआयें कुबुल हुई हैं। इस दिन अल्लाह अपने बंदों की इबादत और दुआ को कुबूल करता है। इस बात से शैतान बहुत दुखी होता है और कहता है कि जिन लोगों को मैंने 60 और 70 सालों तक पाप का भागीदार बनाये रखा, वह सब पलक झपकते ही बर्बाद कर दिया गया। अल्लाह ने उन सभी बंदों को माफ कर दिया।

हाजियों का शुक्रिया अदा किया

जलसे का शुरूआत कुरान पाक की तिलावत एवं नात पाक से की गयी। सदारत कमेटी के सरपरस्त हाजी डाक्टर तारिक उमर सिददीकी एवं कमेटी के अध्यक्ष एडवोकेट अलतमश नाजिम अन्सारी ने ट्रेनिंग में आए हुए हाजियों का शुक्रिया अदा किया। संचालन हाजी शाह सउद का रहा। जबकि हाजियों को ट्रेनिंग देने का काम हज ट्रेनर मोहम्मद आसिफ एवं महिला हज ट्रेनर हज्जिन शमामा परवीन ने किया ।

एलसीडी के जरिए दी गई जानकानी

कमेटी के महासचिव हाजी मोईन अहमद खां ने हज कमेटी आफ इण्डिया की लेटेस्ट जानकारी तो एहराम बांधने का तरीका सोराव ब्रान्च के संयोजक हाजी नियाज अहमद ने बताया। कमेटी के अध्यक्ष अलतमश नाजिम अन्सारी ने हाजियों को एलसीडी के माध्यम से मक्का एवं मदीना की इबादत और सफऱ की जानकारी दिया और बताया आज ट्रेनिंग में ऐसी 85 महिलाएं 140 पुरुषों ने शिरकत किया।

कमेटी के उप सचिव हाजी सादिक अली ने शिरकत करने वाले सभी हाजियों का शुक्रिया किया। अन्त में मुफ्ती सैफुर्रहमान कासमी ने अल्लाह की बारगाह में हाथ उठाकर मुल्क के सुख सलामती, आपसी भाई चारगी एवं और अमन की दुआ मांगी।