- दिन में धूप और रात में गलन से बढ़ रही मरीजों की संख्या

- रात, दिन के तापमान में दस से पंद्रह डिग्री का है फर्क

ALLAHABAD:

ठंडी में गर्मी का एहसास भले ही हो रहा हो, लेकिन यह सेहत के लिए खतरनाक है। रात, दिन के तापमान में दस से पंद्रह डिग्री का अंतर है, जो लोगों को बीमार बना रहा है। पिछले एक हफ्ते में अस्पताल पहुंचने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी है। ज्यादातर मरीज वायरल इंफेक्शन के शिकार हैं।

मौसमी बुखार ने जकड़ा

एसआरएन, बेली, काल्विन, और चिल्ड्रेन हॉस्पिटल्स की ओपीडी में सर्दी, जुकाम, बुखार, खांसी और सांस के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। एसआरएन हॉस्पिटल के फिजीशियन डॉ। मनोज माथुर कहते है कि यह वायरल इंफेक्शन का नतीजा है। जनवरी में कड़ाके की ठंड पड़ने की बजाय तापमान में हो रही बढ़ोतरी खतरनाक बनती जा रही है।

बेअसर हो रही दवाएं

इस मौसम में एंटी बायोटिक असरदार ढंग से काम नहीं कर रही। बेली हॉस्पिटल के फिजीशियन डॉ। ओपी त्रिपाठी कहते हैं कि वायरल इंफेक्शन की मियाद पांच से सात दिन होती है। शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम होने और तापमान में उतार-चढ़ाव के चलते मरीज बार-बार सर्दी, जुकाम और बुखार की चपेट में आने लगते हैं।

तापमान में निरंतर बना है अंतर

मौसम विज्ञानी प्रो। बीएन मिश्रा बताते हैं कि अलनीनो इफेक्ट का असर ठंड में भी कम नहीं हुआ है। दिन का तापमान 25 डिग्री के आसपास बना हुआ है जबकि रात में दस डिग्री से नीचे चला गया। तापमान में इतना अधिक अंतर मानव शरीर पर विपरीत प्रभाव छोड़ रहा है।

दिन अधिकतम तापमान न्यूनतम तापमान (डिग्री सेल्सियस में)

14 जनवरी 25.9 11.9

13 जनवरी 26.4 9.9

12 जनवरी 25.8 9.4

11 जनवरी 25.4 9.4

10 जनवरी 24.8 7.9

9 जनवरी 24.9 12.7

8 जनवरी 26.8 11.9

7 जनवरी 29.8 11.4

6 जनवरी 28.3 10.0

5 जनवरी 26.3 9.3

बढ़ रहे सांस के मरीज

धूल मिट्टी से होने वाली एलर्जी के चलते सांस के मरीजों की संख्या भी इस मौसम में तेजी से बढ़ रही है। चेस्ट फिजीशियन डॉ। आशुतोष गुप्ता कहते हैं कि एलर्जी की वजह से सांस की नली में खिचाव पैदा होता है, जिससे मरीजों को कफ के साथ खांसी आने लगती है।

बच्चों में उल्टी-दस्त की शिकायत

बच्चे भी भारी संख्या में मौसम का शिकार बने हुए हैं। चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ। मनीष चौरसिया बताते हैं कि बच्चों में बुखार और उल्टी-दस्त की शिकायत आ रही है। पांच से दस साल के बच्चों को बाजार की चीजें नहीं खाने की सलाह दी जा रही है।

क्या बरतें सावधानियां

- मौसम के झांसे में आने के बजाय शरीर को गर्म कपड़ों से ढंक कर रखें।

- साफ-सफाई का विशेष ध्यान दें।

- खांसी आने पर मुंह पर रुमाल रखें।

- वायरल इंफेक्शन में फीवर की दवा लेना बेहद जरूरी है।

- बाजारू और चिकनी चीजों से दूरी बनाकर रखें।

वैल्यू एडिशन

हर साल मरते हैं ढाई लाख

एक्सपर्ट बताते हैं कि वायरल फीवर अक्सर इंफ्लूएंजा होता है। इंफ्लूएंजा का वायरस अपना रूप बदलता रहता है, इसलिए शरीर के इम्यून सिस्टम के लिए इसकी पहचान करना और इससे लड़ना मुश्किल होता है। इंफ्लूएंजा ऐसी बीमारी है जिसे अक्सर कम तर आंका जाता है। जबकि इससे दुनिया भर में हर साल ढाई लाख लोग मारे जाते हैं।