ट्रैफिक जाम की समस्या से कब मिलेगा छुटकारा

इलाहाबाद में आज भी अधूरे हैं विकास कार्य

ALLAHABAD: इलाहाबाद में पिछले कुछ वर्षो में कई काम हुए हैं। कंपनी गार्डेन के साथ ही हाथी पार्क जहां पूरी तरह बदल गया है, वहीं जीटी रोड को मॉडल रोड बनाया गया है। सिविल लाइंस का लुक भी पूरी तरह से बदल गया है। लेकिन एक नहीं बल्कि कई प्रोजेक्ट ऐसे भी हैं, जो कई वर्षो से पेंडिंग हैं। इसमें सबसे बड़ा मुद्दा रामबाग, प्रयाग स्टेशन और नैनी स्थित मलहरा रेलवे क्रासिंग का प्रस्तावित ओवरब्रिज है, जो अब तक बन नहीं सका है। सबसे बड़ा मुद्दा तो नैनी इंडस्ट्रियल एरिया में बंद हो रहे उद्योग धंधों को जीवित करने का है, लेकिन यह प्रोजेक्ट भी अभी तक रन नहीं कर सका है। इलाहाबादियों की और भी अपेक्षाएं हैं। क्या हैं इलाहाबादियों की उम्मीदें और अपेक्षाएं? कैंपेन गर्मी लगी क्या को आगे बढ़ाते हुए दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने मुट्ठीगंज स्थित लक्ष्मी नारायण रोड व कटघर रोड पर शंकर गढ़ की कोठी के पास लोगों से बातचीत की, जहां सभी ने अपनी राय रखी।

ट्रैफिक जाम और आवारा पशुओं से कब मिलेगा छुटकारा

दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम सबसे पहले मुट्ठीगंज के लक्ष्मीनारायण रोड पर पहुंची। यहां पर अपनी बात रखते हुए लोगों ने कहा कि इलाहाबाद में जिन मुद्दों में पब्लिक डायरेक्ट इनवाल्व है और जिनसे गरीबों का फायदा होना है, वे मुद्दे आज भी अधूरे हैं। उन पर सरकारों का भी फोकस नहीं है। इसमें ट्रैफिक जाम और आवारा पशुओं के आतंक की समस्या सबसे बड़ी है।

राजू कुमार ने कहा कि शहर को जाम से मुक्त कराने के लिए कई प्रोजेक्ट बनाए गए, लेकिन आज तक कोई भी सक्सेस नहीं हो सका है। पूरे शहर के साथ ही रामबाग और लक्ष्मण मार्केट एरिया में जाम की सबसे जबर्दस्त समस्या है। सुषमा ने कहा कि नैनी स्थित औद्योगिक नगरी तकरीबन उजाड़ सी हो गई है। भारत पम्प्स एंड कंप्रेशर लिमिटेड (बीपीसीएल) बंदी की कगार पर हैं। कॉटन मिल, त्रिवेणी स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग लिमिटेड, त्रिवेणी इंजीनियरिंग वर्क्स, आईटीआई जैसे इंडस्ट्री को भी नया जीवन देने की मांग लंबे समय से हो रही है, लेकिन सरकार इसे लेकर गंभीर नहीं दिख रही। हमारे जैसे लोग बेरोजगार हैं। अगर बंद हो चुकी फैक्ट्रियां चालू हो जाएं और नई फैक्ट्रियां खुल जाएं तो बेरोजगारी दूर हो जाए। बीपीसीएल जो एक समय ओएनजीसी, आईओसीएल, ईआईएल, बीपीसीएल, बीएचईएल, एनपीसीआईएल, तेल शोधक प्रतिष्ठान, उवर्रक क्षेत्र, प्राकृतिक गैस, न्यूक्लीयर ऊर्जा प्लांट, विद्युत उत्पादन से जुड़े संस्थानों के लिए पंप एवं कंप्रेशर के साथ उपकरण निर्माण, स्पेयर पार्ट्स एवं मरम्मत की जिम्मेदारी संभालती थी, आज वह बदहाल है।

क्या ऐसी होती है स्मार्ट सिटी की सड़क

लक्ष्मीनारायण रोड के बाद दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम कटघर स्थित शंकर गढ़ की कोठी पहुंची। वहां लोगों ने तमाम मुद्दों पर अपनी बात रखी। स्मार्ट इलाहाबाद की सड़कों के निर्माण पर लोगों ने सवाल उठाया। कहा कि यहां स्थिति ये है कि रोड बनती है, खोद कर सीवर लाइन डाली जाती है। एक रोड पर दस बार काम होता है। कोई नियम कानून नहीं, केवल राजनीति चल रही है। पैसे की बर्बादी होती है। पहले रोड बनी, फिर सीवर लाइन बिछाई गई, फिर सड़क बनी, फिर दूसरे काम के लिए सड़क खोदी गई। बस यही चल रहा है। सीवर लाइन बिछाने का प्रोजेक्ट आज तक पूरा नहीं हो सका है।

गोपाल यादव ने कहा कि यहां कोई काम नहीं कराता है। रामबाग, प्रयाग स्टेशन और मलहरा फाटक का ओवरब्रिज कई वर्ष से पास है। लेकिन आज तक बन नहीं सका है। अगर किसी महिला को डिलीवरी के लिए ले जाया जा रहा है तो क्रासिंग पर उसकी मौत भी हो सकती है।

व्यापारी संजय कुमार केसरवानी ने कहा कि इलाहाबाद व्यापारियों का शहर है। लेकिन यहां व्यापारी ही सुरक्षित नहीं हैं। चोरी-छिनैती का खुलासा नहीं हो रहा है। व्यापारियों की सुरक्षा नहीं हो पा रही है। दुकान में चोरी हो जा रही है। सुरक्षा को मजबूत बनाने के प्रोजेक्ट पर अब तक काम नहीं हो सका है।

ये हैं इलाहाबाद के अनकम्प्लीटेड प्रोजेक्ट

रामबाग रेलवे क्रासिंग पर आज तक नहीं बन सका है ओवर ब्रिज।

नैनी स्थित मलहरा फाटक पर नहीं बना ओवर ब्रिज

अंगे्रजों के जमाने के नाले आज तक नहीं हुए टैप

हाईटेक स्लाटर हाउस की नहीं हो सकी स्थापना, जिसकी वजह से खुले में आज भी कट रहे हैं पशु।

बम्हरौली हवाई अड्डे पर नहीं लग सका आईएलएस सिस्टम

वर्जन-

इलाहाबाद को स्मार्ट सिटी बनाने की बात होती है, लेकिन इलाहाबाद का एयरपोर्ट आज तक डेवलप नहीं हो सका है। मौसम थोड़ा सा गड़बड़ होता है, हवाई जहाज की लैंडिंग ही कैंसिल हो जाती है। वहीं लोकल फ्लाईट भी अभी तक नहीं शुरू की जा सकी है।

रोहित केशरी

अब तक की सरकारों के साथ ही जनप्रतिनिधियों ने इलाहाबाद में इंडस्ट्री लगाने की बात कही थी। लेकिन नई इंडस्ट्री तो नहीं आई, अब पुरानी इंडस्ट्रियां भी धीरे-धीरे बंद हो रही हैं। यहां के बेरोजगार आखिर क्या करें? शहर छोड़ कर बाहर जाने के अलावा कोई ऑप्शन नहीं है।

प्रतीक केसरवानी

आवारा पशुओं को शहर से बाहर ले जाने की बात कही गई थी। हाईकोर्ट ने आदेश भी दे दिया है, जमीन भी चिह्नित कर ली गई है, इसके बाद भी आवारा पशुओं को बाहर न किए जाने से काफी दिक्कत होती है।

राहुल

सरकारें आई और गई, हमारी समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है। रोड की हालत सबसे ज्यादा खराब है। जब देखो तब रोड खोद दिए जाते हैं। आखिर रोड बनाने के प्रोजेक्ट कब पूरे होंगे।

यशमीत सागर

सीवर के लिए रोड को खोद कर छोड़ दिया गया है। लेकिन रोड नहीं बनाई जा रही है।

गुलाबकली निषाद