प्रयागराज (ब्‍यूरो)। पहले वीमेंस को मार्केटिंग के लिए जाने या किसी सोशल पार्टी में जाने के लिए ड्राइवर या किसी रिलेटिव का इंतजार करना पड़ता था। जैसे-जैसे टाइम चेंज होता गया वीमेंस की च्वाइस भी बदलती गई। वे अब खुद ही ड्राइविंग सीट पर बैठ कर अपना काम करना पसंद कर रही है। ड्राइविंग लाइसेंस व टेस्ट प्रभारी प्रतीक मिश्रा बताते है कि आज वीमेंस एम्पावरमेंट का जमाना है। पहले जहां हाई सोसाइटी की लेडीज
और गल्र्स कार ड्राइविंग सीखने के लिए आती थीं, वहीं अब लोगों की च्वाइस चेंज हो गई है। अब अपर मिडिल क्लास और मिडिल क्लास की लेडिज भी कार ड्राइविंग टेस्ट देने के लिए आती है। सबको यह ही कहना होता है कि ड्राइवर के लिए इंतजार करना पड़ता है। कई बार न मिलने पर प्रोग्राम चेंज करना पड़ता है।

मनी सेविंग भी फैक्टर
महंगाई के जमाने में भरोसेमंद ड्राइवर का मिलना काफी प्राब्लम का काम है। कई ड्राइवर जरूरी काम के लिए एक्स्ट्रा चार्ज कर देते हैं। इस वजह से कई बार लोग अपनी कार के ड्राइवर अफोर्ड नहीं कर पाते हैं। ऐसे में डेली रूटीन के काम के लिए हाउस वाइफ या वर्किंग वूमन कार ड्राइविंग की ट्रेनिंग लेने के साथ ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना पसंद कर रही हैं।

डीएल की बढ़ी संख्या
साल - वीमेंस जारी डीएल
2016 - 632
2017 - 729
2018 - 811
2019 - 837
2020 - 1273
2021 नवंबर माह - 2720

- कई फैमिलीज ऐसे भी हैं, जो सोशल स्टेट्स मेंटेन करने के लिए सीख रही ड्राइविंग
- उनका मेन मोटो सोसाइटी में अपनी अलग बनाना है पहचान
- वर्किंग वीमेंस के साथ-साथ मिडिल क्लास के लोगों भी ट्रेनिंग लेने के साथ बनवा रहे ड्राइविंग लाइसेंस

ज्यादातर घरों में दो पहिया चलाने वाली महिलाएं मिल जाएंगी। अब चार पहिया चलाना पसंद कर रही है। एक महीने में जो पांच-छह डीएल बनते थे यह आंकड़ा अब पर डे का हो चुका है।
डा। सियाराम वर्मा, एआरटीओ प्रशासन