प्रयागराज (ब्यूरो)। बमबाजी के मामले में प्रयागराज पहले से काफी बदनाम रहा है। कुछ साल पहले इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के हॉस्टल्स में वॉशआउट की कार्रवाई के दौरान पुलिस के हाथ बम बनाने का सामान भी लगा था। पुलिस ने इस पर कार्रवाई तेज की तो बमबाजी की घटनाएं काफी हद तक बंद हो गई। लेकिन, एक बार फिर बमबाज सक्रिय हैं। इसका बड़ा उदाहरण प्रयागराज में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान वाले दिन मिल गया था। करेली एरिया के एक बूथ को डिस्टर्ब करने के लिए बम फेंका गया था। इस घटना में एक निर्दोष साइकिल सवार को जान गंवानी पड़ गयी थी। पुलिस ने तत्काल तो मामले को डायवर्ट कर दिया लेकिन बाद में खुलासा किया कि बम सुनियोजित तरीके से फेंका गया था। इसके बाद सिविल लाइंस एरिया में हरीश भोजनालय पर रात में बमबाजी हुई। इसमें इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के हॉस्टल में पनाह लेने वाले छात्र का नाम सामने आया। इसके बाद धूमनगंज, अल्लापुर, दारागंज में घटनाएं हुईं। सोमवार को तो तीन स्थानों पर बमबाजी की घटना हुई। इसके बाद रिपोर्टर पड़ताल करने निकला तो पता चला कि शहर के नौ एरिया में बम बनाने का काम चोरी-छिपे चल रहा है। रेडिमेट बम खरीदने के लिए आपको कीमत चुकानी है और सही आदमी तक पहुंचना है। इसके बाद आपको सबकुछ आराम से मिल जायेगा। कटरा, राजापुर, नया पुरवा, मम्मोर्डगंज, हरवारा कब्रिस्तान के समीप, सलोरी, बघाड़ा, अटाला, रमन का पुरवा ताड़बाग पार्क के समीप इसके सौदागर टहलते रहते हैं।

कहां से आता है रॉ मॅटेरियल
बम बनाने के लिए रॉ मटेरियल चौक एरिया के लोक नाथ स्थित एक दुकान, घंटाघर चौराहा के समीप स्थित बिल्डिंग के फस्र्ट फ्लोर पर, कीडगंज थाना से महज दो सौ मीटर एक दुकान, कटरा स्थित पीली मंदिर वाली गली के समीप, कैंट एरिया साइट ताड़बाग पार्क के पास एक घर में और दो हॉस्टल से रॉ-मॅटिरियल उपलब्ध होता। बारूद के अलावा बम बनाने में कीलें, लोहे का चूरा, रिपिट के साथ मैंसर, गंधक और पोटाश का इस्तेमाल किया जाता है।

इन्हें कहते हैं बमबाज
रमन का पुरवा क्षेत्र में कई बमबाज हैं। इसमें से दो की मौत हो चुकी है। एक मौजूदा समय में जेल में है। इसके अलावा तीन की उम्र साठ के ऊपर पार हो चुकी है। बमरौली क्षेत्र के चार बमबाज भी बीते चार साल में उभरे। इस वक्त वे क्या कर रहे हैं? इसका पुलिस को पता होगा तो भी वह बताने में हिचकती है। वैसे इस लिस्ट में दो दर्जन से अधिक पूर्व छात्रों का नाम है जो रॉ मॅटिरियल मिलने पर चलते फिर बम बना सकते हैं। एक बम डेढ़ से पांच सौ रुपये तक में बेचा जाता है। रेट इस बात से तय होता है कि बम गूंज वाला चाहिए या फिर सिर्फ धुआं फैलाने वाला।

गोली चलाने से आसान
सूत्र बताते हैं कि एक अवैध पिस्टल पांच हजार से लेकर 25 हजार तक में मिलता है। उसको इस्तेमाल करने के बाद छुपाना पड़ता है। गोली से हर बार निशाना सटीक नहीं लगता है। गोली भी बड़ी मुश्किल से मिलती है। बम फेंकना आसान होता है। यह आसपास दहशत फैला देता है। इसे छिपाने की जरूरत नहीं होती और फंसने का खतरा भी कम होता है। इसलिए इसका इस्तेमाल ज्यादा होता है।

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जून की रात एजी ऑफिस के समीप हरीश ढाबे पर हुई थी बमबाजी
02
जुलाई को प्रीतम नगर कॉलोनी में ऋषभ जायसवाल द्वारा चलाया गया था बम
04
जुलाई को बंधवा हनुमान मंदिर के पास युवकों पर हुई थी बमबाजी
04
जुलाई को अल्लापुर क्षेत्र उमा देवी के घर के बाहर चलाया गया
16
जून को छात्रों ने पत्थर गिरजाघर के समीप बम फेंका था
01
जून को मुंडेरा में बम फोड़कर फैलायी दहशत
01
साल के अंतराल जिले में पुलिस ने बम के साथ 472 लोगों को भेज चुकी है जेल

इस बारे में इनपुट जुटाया जा रहा है। किस एरिया में बम बनाने व विस्फोटक पदार्थों के मिश्रण का कार्य हो रहा है, इस पर सूचना पूरी मिलने के बाद कार्रवाई की जाएगी।
शैलेश कुमार पांडेय
एसएसपी