एड्स पीडि़त पुरुषों के लिए एड्स पीडि़त बैचलर युवतियों की बेहद कमी

एआरटी बरेली में शादी के लिए आए तीन पुरुषों के आवेदन, नहीं मिला मैच

विधवा या डिवोर्सी महिलाओं से शादी में रुचि नहीं, अन्य एआरटी से मांगी मदद

<एड्स पीडि़त पुरुषों के लिए एड्स पीडि़त बैचलर युवतियों की बेहद कमी

एआरटी बरेली में शादी के लिए आए तीन पुरुषों के आवेदन, नहीं मिला मैच

विधवा या डिवोर्सी महिलाओं से शादी में रुचि नहीं, अन्य एआरटी से मांगी मदद

BAREILLY:

BAREILLY:

लाइलाज बीमारी एड्स से जूझ रहे मरीजों को समाज की मुख्य धारा में शामिल करने और उन्हें भी अपना परिवार बसाने की मुहिम को बरेली में झटका लग रहा है। नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन <लाइलाज बीमारी एड्स से जूझ रहे मरीजों को समाज की मुख्य धारा में शामिल करने और उन्हें भी अपना परिवार बसाने की मुहिम को बरेली में झटका लग रहा है। नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन ((नाको) और यूपीसैक्स की साझा मुहिम के तहत एआरटी सेंटर पर एड्स मरीजों के लिए मैट्रीेमोनियल सुविधा शुरू कराई गई है, जिससे एड्स पीडि़त अनमैरिड इसी बीमारी से जूझ रहे मरीजों में से अपना मनपसंद पार्टनर चुनकर उसे अपना जीवन साथी बना सकें। लेकिन घर बसाने के लिए बैचलर होने की पहली शर्त इस मुहिम में सबसे रोड़ा बन रही। एड्स पीडि़तों में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की कम संख्या और उनमें भी बैचलर ग‌र्ल्स की तादाद न के बराबर होने से यह समस्या और बढ़ गई है।

बरेली में तीन मरीजों को इंतजार

अप्रैल में देश भर के एआरटी सेंटर में एड्स पीडि़तों के लिए शादी कर अपना परिवार शुरू करने का सपना पूरा करने की बुनियाद रखी गई। सभी एआरटी सेंटर में ही एड्स पीडि़तों के लिए मैट्रीमोनियल प्लेटफॉर्म शुरू कराया गया। जिसमें एड्स पीडि़त एड्स मरीजों में ही अपने लिए लाइफ पार्टनर तलाश सकें। यह कदम एड्स पीडि़तों के लिए बेहद अहम और कई मायनों में अभूतपूर्व माना गया। इसी के तहत अप्रैल से जून तक बरेली एआरटी सेंटर में 25 से 28 साल के तीन एड्स से जूझ रहे युवकों ने शादी करने के लिए आवेदन किया और जीवनसाथी की खोज के लिए मदद मांगी। लेकिन इन तीनों युवकों के आवेदन से मैच करता एक भी प्रोफाइल एअारटी को न मिल सका।

'कुंआरेपन' की शर्त बनी रोड़ा

शादी के लिए इंट्रेस्टेड एड्स युवकों की पहली मांग या यूं कहें शर्त लड़की का अनमैरिड होना है। आम लोगों की ही तरह एड्स पीडि़त बैचलर युवक भी कुंआरी लड़की से ही शादी करना चाहते हैं। पहले से शादी शुदा, पति से अलग हो चुकी या विधवा महिलाओं से शादी के प्रपोजल्स को युवक सिरे से नकार रहे। वहीं धर्म-मजहब, जाति और पारिवारिक स्टेटस भी ऐसे रिश्तों के बनने में खाई का काम कर रहा है। एड्स पीडि़त युवकों की शादी की हसरत इन मांगों के आगे बौनी साबित हो रही।

एक भी बालिग लड़की नहीं

बरेली एआरटी सेंटर में शादी के लिए पार्टनर न मिलने की एक और बड़ी वजह एड्स पीडि़त एक भी बालिग अनमैरिड लड़की का न होना भी है। बरेली एआरटी सेंटर में एड्स पीडि़त पुरुषों के मुकाबले एड्स से जूझ महिलाओं का रेशियो 2 <नाको) और यूपीसैक्स की साझा मुहिम के तहत एआरटी सेंटर पर एड्स मरीजों के लिए मैट्रीेमोनियल सुविधा शुरू कराई गई है, जिससे एड्स पीडि़त अनमैरिड इसी बीमारी से जूझ रहे मरीजों में से अपना मनपसंद पार्टनर चुनकर उसे अपना जीवन साथी बना सकें। लेकिन घर बसाने के लिए बैचलर होने की पहली शर्त इस मुहिम में सबसे रोड़ा बन रही। एड्स पीडि़तों में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की कम संख्या और उनमें भी बैचलर ग‌र्ल्स की तादाद न के बराबर होने से यह समस्या और बढ़ गई है।

बरेली में तीन मरीजों को इंतजार

अप्रैल में देश भर के एआरटी सेंटर में एड्स पीडि़तों के लिए शादी कर अपना परिवार शुरू करने का सपना पूरा करने की बुनियाद रखी गई। सभी एआरटी सेंटर में ही एड्स पीडि़तों के लिए मैट्रीमोनियल प्लेटफॉर्म शुरू कराया गया। जिसमें एड्स पीडि़त एड्स मरीजों में ही अपने लिए लाइफ पार्टनर तलाश सकें। यह कदम एड्स पीडि़तों के लिए बेहद अहम और कई मायनों में अभूतपूर्व माना गया। इसी के तहत अप्रैल से जून तक बरेली एआरटी सेंटर में ख्भ् से ख्8 साल के तीन एड्स से जूझ रहे युवकों ने शादी करने के लिए आवेदन किया और जीवनसाथी की खोज के लिए मदद मांगी। लेकिन इन तीनों युवकों के आवेदन से मैच करता एक भी प्रोफाइल एअारटी को न मिल सका।

'कुंआरेपन' की शर्त बनी रोड़ा

शादी के लिए इंट्रेस्टेड एड्स युवकों की पहली मांग या यूं कहें शर्त लड़की का अनमैरिड होना है। आम लोगों की ही तरह एड्स पीडि़त बैचलर युवक भी कुंआरी लड़की से ही शादी करना चाहते हैं। पहले से शादी शुदा, पति से अलग हो चुकी या विधवा महिलाओं से शादी के प्रपोजल्स को युवक सिरे से नकार रहे। वहीं धर्म-मजहब, जाति और पारिवारिक स्टेटस भी ऐसे रिश्तों के बनने में खाई का काम कर रहा है। एड्स पीडि़त युवकों की शादी की हसरत इन मांगों के आगे बौनी साबित हो रही।

एक भी बालिग लड़की नहीं

बरेली एआरटी सेंटर में शादी के लिए पार्टनर न मिलने की एक और बड़ी वजह एड्स पीडि़त एक भी बालिग अनमैरिड लड़की का न होना भी है। बरेली एआरटी सेंटर में एड्स पीडि़त पुरुषों के मुकाबले एड्स से जूझ महिलाओं का रेशियो ख् : : क् के बराबर है। इसमें भी क्भ्-फ्भ् एजग्रुप में अनमैरिड मेल्स की तादाद जहां क्म्ब् हैं। वहीं इसी एजग्रुप में अनमैरिड फीमेल्स की संख्या सिर्फ म् है। इन म् ग‌र्ल्स की उम्र भी क्8 साल से कम है। ऐसे में बालिग न होने के चलते यह अगले क् से फ् तीन साल तक शादी के आवेदनों की शर्तो को पूरा नहीं कर सकती।

एड्स फैलने की आशंका

एड्स पीडि़तों के लिए जीवनसाथी की तलाश पूरी न होने और इसके लिए की जा रही तमाम कोशिशों के बावजूद कामयाबी न मिलने से एआरटी बरेली सेंटर भी परेशान है। बरेली एआरटी सेंटर ने यूपी के अन्य फ्म् एआरटी सेंटर पर तीनों आवेदन के लिए मैचिंग प्रोफाइल मुहैया कराने की अपील की है। दरअसल एड्स पीडि़तों के लिए पसंदीदा साथी न मिलने की सूरत में उनके अपनी फिजिकल जरूरतें पूरी करने के लिए अन्य जगहों पर संबंध बनाने से इस बीमारी के फैलने की भी आशंका है। हालांकि एआरटी में सभी मरीजों को एड्स के इंफेक्शन से दूसरों को बचाने व खुद भी बार बार के इंफेक्शन से बचने के लिए पूरी काउंसलिंग दी जाती है। लेकिन फिर भी इस तरह की आशंकाओं को पूरी तरह नकारा नहीं जा सकता।

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बरेली मंडल में एड्स पीडि़त

कुल महिलाएं - ब्क्भ्

क्=क्ब् एजग्रुप में - ख्ख्

क्भ्-ख्भ् एजग्रुप में - 9ब्

ख्म्=फ्भ् एजग्रुप में - क्7भ्

फ्म्=ब्भ् एजग्रुप में - 97

अनमैरिड युवती-महिलाएं

क्8-ख्भ् एजग्रुप में - 0

ख्म्-फ्भ् एजग्रुप में - 0

कुल पुरुष - 8क्फ्

क्=क्ब् एजग्रुप में - ख्9

क्भ्-ख्भ् एजग्रुप में - क्भ्0

ख्म्=फ्भ् एजग्रुप में - फ्ख्भ्

फ्म्=ब्भ् एजग्रुप में - ख्ख्7

अनमैरिड युवक-आदमी

क्8-ख्भ् एजग्रुप में - क्क्0

ख्म्-फ्भ् एजग्रुप में - फ्9

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बरेली एआरटी में शादी के लिए तीन युवकों ने आवेदन किया है। लेकिन पिछले तीन महीने से उनके लिए बरेली से एक भी मैच नहीं मिल सका। अन्य एआरटी सेंटर को आवेदन भेज मदद मांगी गई है। एसजीआरसी की बैठक में इस समस्या पर अधिकारियों को गंभीरता की जानकारी दी जाएगी।

- मनोज वर्मा, डाटा मैनेजर, बरेली एआरटी