-एससीएसटी की स्पेशल कोर्ट में चारों आरोपियों को उम्रकैद और 4-4 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई

BAREILLY: नेकपुर में दो साल पहले मासूम अंशिका की हत्या के आरोपियों को फ्राइडे एससीएसटी की स्पेशल कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। हत्या में दोषी करार महिला टीचर अरूणा, पति सत्येंद्र शर्मा, बेटे दीपक उर्फ दीपू और बहू गौरी पर कोर्ट में 4-4 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। अंशिका के परिजन फैसला से काफी खुश नजर आए। परिजनों का कहना है कि उन्हें कोर्ट से इंसाफ मिला है। वहीं दूसरी ओर सभी दोषी और उनके परिवार के लोग फूट-फूट कर रोने लगे।

दो साल पहले हुई थी हत्या

11 सितंबर 2014 को नेकपुर में सुशील कुमार की चार वर्षीय बेटी अंशिका घर से खेलते वक्त गायब हो गई थी। परिजनों ने उसकी काफी तलाश की थी तो बेटी पड़ोस में प्राइवेट स्कूल संचालिका अरूणा शर्मा के घर में बने मैनहोल में लाश मिली थी। लाश को बोरे में भरकर डाला गया था। उसकी सिर कुचलकर हत्या की गई थी। अंशिका के चाचा सर्वेश कुमार ने अरुणा शर्मा, पति सत्येंद्र शर्मा, बेटा दीपक उर्फ दीपू और उसकी पत्‍‌नी गौरी के खिलाफ अपहरण व हत्या के आरोप में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। केस की सुनवाई स्पेशल जज एससीएसटी राघवेंद्र की कोर्ट में चल रही थी। थर्सडे को बहस पूरी होने के बाद कोर्ट में चारों आरोपियों को मामले मे दोषी पाया और फ्राइडे को कोर्ट में उम्रकैद की सजा सुनाई।

आज भी सामने आता है बेटी का चेहरा

अंशिका के चाचा सर्वेश पेशे से एडवोकेट हैं। उन्होंने बताया कि अंशिका की मां मानसी आज भी बेटी की तस्वीर देखकर रोने लगती हैं। यही नहीं दादी धनदेवी, दादा हरीराम भी पोती की मौत की खबर आते ही परेशान हो जाते हैं। कोर्ट के फैसले के बाद सभी खुश हैं। क्योंकि दो साल के इंतजार के बाद उन्हें इंसाफ मिला है।

कई प्रॉब्लम आई सामने

सर्वेश ने बताया कि आरोपियों को सजा दिलाने के लिए उन्हें कई कठिनाइयों का भी सामना करना पड़ा। वैसे इस केस में पुलिस का रोल अच्छा रहा, लेकिन अंशिका की लाश छिपाने में इस्तेमाल एक बोरा गायब हो गया था। इस केस में एडवोकेट्स का भी अच्छा साथ मिला। इसके अलावा एक गवाह बिट्टू भी मुकर गया, लेकिन अन्य एक दर्जन गवाहों ने उनका साथ दिया।

घर के अंदर लाश मिलने को बनाया आधार

सर्वेश ने बताया कि अरुणा व तीनों आरोपी कोर्ट से बार-बार कह रहे थे कि बच्ची खेलते वक्त सीढ़ी से गिर गई थी, जिससे उसकी मौत हो गई थी, लेकिन कोर्ट ने कहा कि लाश उनके घर के अंदर मैनहोल में मिली थी। इससे साफ है कि कहीं न कहीं हत्या में रोल जरूर रहा होगा।

अरुणा का भाई पहुंचा बचाने

अरुणा पूरे परिवार के साथ वारदात के बाद से ही जेल में बंद थी। वह अपने भाई राजीव से भी बात नहीं करती थी, लेकिन फ्राइडे को जब भाई को पता चला कि उसकी बहन दोषी साबित हुई है, तो वह तुरंत कोर्ट में बहन को बचाने के लिए पहुंचा। उसने एक एडवोकेट से भी संपर्क किया, लेकिन तब तक कोर्ट सजा सुना चुकी थी। अब भाई ने फैसले के अंगेस्ट हाईकोर्ट में रिट दायर करने की बात कही है।

जल्द अाया फैसला

अमूनन देखने में आता है कि मर्डर जैसे मामलों में फैसला काफी दिनों बाद आता है, लेकिन कुछ मामलों में फैसला जल्दी आता है। ऐसा ही अंशिका मर्डर केस में भी जल्द फैसला आ गया। एससीएसटी की स्पेशल कोर्ट में दो साल के अंदर ही सुनवाई करते हुए चारों आरोपियों को दोषी पाया और फिर सजा का ऐलान कर दिया।