-मेडिकल स्टूडेंट अनुराग पाल की लाश अमृतसर रेलवे स्टेशन पर जीआरपी को मिली थी

-फोटोग्राफ से पिता ने की पहचान, अब पिता पुलिस के साथ जाएंगे अमृतसर

<-मेडिकल स्टूडेंट अनुराग पाल की लाश अमृतसर रेलवे स्टेशन पर जीआरपी को मिली थी

-फोटोग्राफ से पिता ने की पहचान, अब पिता पुलिस के साथ जाएंगे अमृतसर

BAREILLY: BAREILLY: 1 करोड़ फिरौती के लिए<क् करोड़ फिरौती के लिए मेडिकल स्टूडेंट अनुराग पाल की हत्या केस में आखिरकार ख् वर्ष बाद लाश का सुराग लग गया। अनुराग की लाश पंजाब के अमृतसर रेलवे स्टेशन पर रेड कलर के ट्रॉली बैग में लावारिस मिला था। बरेली पुलिस ने अमृतसर जीआरपी के द्वारा ली गई तस्वीरों से शव की पहचान कर ली। जिसके बाद पुलिस ने अनुराग के पिता हाकिम सिंह से संपर्क किया तो उन्होंने भी फोटो से शव की पहचान की। अनुराग के शव को जम्मूतवी एक्सप्रेस नहीं बल्कि जननायक एक्सप्रेस में रखा गया था। अब पुलिस अनुराग के पिता केा अमृतसर ले जाएगी और उसके कपड़ों व अन्य सामान की पहचान कराएगी।

फ्0 अप्रैल को हुआ था अपहरण

बता दें कि शाहजहांपुर डिस्ट्रिक्ट के सिंधौली कस्बे के पास रसूलपुर चठिया निवासी अनुराग पाल, बीसलपुर रोड स्थित गंगाशील आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज से बीएमएस सेकंड ईयर की पढ़ाई कर रहा था। वह गंगाशील हॉस्टल सिविल लाइंस में रूम नंबर क्07 में रहता था। उसके पिता हाकिम सिंह गांव में डॉक्टर की प्रैक्टिस करते हैं। उसके परिवार में मां मिथलेश और तीन बहने हैं। वह सैटरडे को अपने घर जाता था । फ्0 अप्रैल की शाम को 9 बजकर क्0 मिनट पर वह घर के लिए निकला था, लेकिन उसके बाद से लापता हो गया था। जिसके बाद परिजन उसकी तलाश में जुटे थे।

ख् मई को आयी फिरौती की कॉल

ख् मई ख्0क्म् की सुबह 9 बजकर क्भ् मिनट पर अनुराग के पिता के मोबाइल पर फोन आया था। फोन करने वाले ने क् करोड़ की फिरौती मांगी थी और कहा कि था भ् मई तक रकम न देने पर बेटे की हत्या कर दी जाएगी। भ् मिनट बात करने के बाद फोन स्विच्ड ऑफ हो गया था, जिसके बाद वह सिंधौली थाना गए थे, लेकिन वहां रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई। वह डीआईजी बरेली रेंज के पास पहुंचे थे। डीआईजी के आदेश पर कोतवाली बरेली में एफआईआर दर्ज कर अनुराग की तलाश शुरू की गई थी।

हॉस्टल को गया था खंगाला

एफआईआर दर्ज होने के बाद पुलिस ने अनुराग के रूम को खंगाला था। उसके रूम में आकाश और सतेंद्र रहते थे। पुलिस को उसकी अलमारी ओपन मिली थी और उसका बैग, बेड के अंदर मिला था। पुलिस को उसके मोबाइल चार्जर भी मिले थे। पुलिस ने उसके दोस्तों से पूछताछ की थी लेकिन कोई सुराग नहीं लगा था। उसके मोबाइल की कॉल डिटेल निकाली गई थी लेकिन कोई अहम सुराग नहीं लगा था। उसकी मामा की लड़की से देर रात तक बात होती थी। उसके मोबाइल में पैटर्न लॉक लगा था।

पोर्ट नंबर से हुई थी परेशानी

पुलिस ने सर्विलांस के जरिए फिरौती मांगने वाले का नंबर ट्रेस कर लिया था, लेकिन नंबर मार्च ख्0क्म् में बीएसएनएल के पंजाब से से एयरटेल में हरदोई यूपी में अदर स्टेट में पोर्ट कराया गया था, जिसकी वजह से पुलिस को कॉल डिटेल निकलवाने में भी प्रॉब्लम हुई थी। रैंसम कॉल वाला नंबर हरदोई के मंडुआ निवासी रिटायर्ड आर्मी पर्सन शिवशंकर यादव के नाम से जारी हुआ था। इस नंबर से सिर्फ फ्0-ब्0 कॉल की वजह से पुलिस को बी पार्टी का नंबर ही नहीं मिला था।

चलती ट्रेन से मांगते थे फिरौती

अपहरणकर्ता प्री एक्टिवेट सिम से बार-बार कॉल करते थे और चलती ट्रेन से फिरौती मांगते थे, जिससे पुलिस उन्हें ट्रेस नहीं कर पा रही थी। पुलिस की जांच हरदोई और शाहजहांपुर तक जाकर ही टिक जाती थी। बदमाश क् करोड़ से गिरते हुए भ्0 लाख की रकम तक ही अटक गए थे। एक बार पुलिस ने हाकिम सिंह से रकम देने के बहाने बदमाशों को ट्रेन से पकड़ने की कोशिश की थी, लेकिन बदमाश फरार हो गए थे।

क्फ् अक्टूबर को सिम हुआ था एक्टिव

पुलिस सबसे पहले सिम यूज करने वाले के पास पहुंची थी। पुलिस ने फेक आईडी पर सिम बेचने वाले दुकानदार को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। पंकज सिंह ने बताया था कि उसके पास से विकलांग व्यक्ति सिम ले गया था, लेकिन पुलिस उसका सुराग नहीं लगा सकी थी। क्फ् अक्टूबर ख्0क्म् को अनुराग का सिम एक्टिव हुआ था, जिसके बाद ख्म् अक्टूबर को हरदोई के सुमरा निवासी अर्जुन नाम के युवक को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। अर्जुन के पास से अनुराग का मोबाइल बरामद हुआ था। अर्जुन से पूछताछ के बाद पुलिस ने क्म् दिसंबर ख्0क्म् को फोन देने वाले पुरा बहादुरपुर निवासी पंकज सिंह को गिरफ्तार कर जेल भेजा था।

पिता हो गए थे हताश

अनुराग के पिता हाकिम सिंह इतने हताश हो गए थे कि उन्होंने बदमाशों से कह दिया था कि वह फिरौती की रकम नहीं दे सकते हैं, चाहे अब वह उनके बेटे को मार दें। वह बदमाशों से बेटे से बात कराने की बात कहते थे, तो कह दिया जाता था कि बॉस नहीं चाहते हैं कि अनुराग से बात हो। जब अनुराग के मर्डर का खुलासा हुआ तो अपहरण और मर्डर में चचेरे भाइयों व रिश्तेदारों के शामिल होने की खबर पर पिता परेशान हो गए थे। क्योंकि यह लोग उनके साथ मदद के बहाने रहते थे और केस में पल-पल की अपडेट लेते रहते थे। बाद की सभी कॉल उनके चचेरे भाई सूरजपाल के नंबर पर आती थीं।

चचेरे भाइयों ने किया था मर्डर

करीब क्क् महीने बाद शाहजहांपुर की आरसी मिशन पुलिस ने रामबाबू नाम के युवक के अपहरण और मर्डर का खुलासा किया था। इस खुलासे के दौरान ही अनुराग के अपहरण और मर्डर का खुलासा हुआ था। अनुराग का अपहरण करने वाले उसके सगे चचेरे भाई विष्णु दयाल, विजय कुमार, दोनों के बहनोई नरेशपाल, नरेशपाल का बेटा अजय और ममेरे भाई संजीव शामिल थे। रामबाबू, नरेशपाल का चचेरा पोता था। पुलिस पूछताछ में दोनों ने बताया था कि उन्होंने क्राइम पेट्रोल देखकर अनुराग के अपहरण की प्लानिंग की थी। सरकारी नौकरी के लालच में उनसे ठगी हुई थी और उन पर लाखों रुपए का कर्ज हो गया था। इस कर्ज को चुकाने और नौकरी के लिए उन्होंने भाई के अपहरण की प्लानिंग की थी। उन्होंने अपहरण के क्फ् दिन बाद हत्या कर शव सूटकेस में रखकर जम्मूतवी ट्रेन में रख दिया था।

क्भ् जून को पकड़ा गया था शव रखने वाला

पुलिस ने क्भ् जून ख्0क्7 को अनुराग का शव ट्रेन में रखने वाले अमरोहा निवासी मनवीर को गिरफ्तार किया था। मनवीर, विष्णु का दोस्त था। विष्णु ने मनवीर के जरिए ही अनुराग को एडमिशन कराने के बहाने बुलाया था और फिर उसे कमरे में बंधक बना लिया था। मनवीर ही चलती ट्रेन से फर्जी नंबरों से कॉल करता था। उसने ही शव को ट्रेन की जनरल बोगी में सीट के नीचे रखा था। उसने बताया था कि ट्रेन जम्मूतवी नहीं थी लेकिन पंजाब को जाने वाली कोई ट्रेन थी।

हेड कांस्टेबल की मेहनत लायी रंग

पुलिस ने जम्मूतवी ट्रेन के स्टॉपेज वाले स्टेशनों पर जाकर सर्च किया था, लेकिन उसकी लाश का सुराग नहीं लगा था। एक बार फिर से पुलिस ने हेड कांस्टेबल आदित्य प्रकाश को भेजा तो उसने कई स्टेशनों और जिलों में जाकर पूछताछ की, वहां के पेपर खोजे। इसी दौरान पठानकोट रेलवे स्टेशन पर जीआरपी थाने में कांस्टेबल ने उसे अमृतसर स्टेशन पर दो वर्ष पहले लाश मिलने की जानकारी दी, जिसके बाद वह अमृतसर स्टेशन गया। वहां लाश की जानकारी मिली और फिर फोटोग्राफ मिलाए तो अनुराग की पहचान हो गई। अनुराग का शव जम्मूतवी नहीं बल्कि जननायक एक्सप्रेस में रखा गया था।

तीन दिन से नहीं जल रहा चूल्हा

एक बार फिर से अनुराग का परिवार शव ट्रेस होने के बाद गमजदा हो गया है। अनुराग के घर में तीन दिन से चूल्हा नहीं जला है। उसकी मां और बहनों को फिर से पूरी वारदात दिमाग में आ गई हैं। फिर से अनुराग की सभी यादें ताजा हो गई हैं। जब अनुराग के अपहरण और फिर उसके मर्डर की खबर लगी तो भी कुछ यही हाल रहा था। परिवार कुछ उबरता है कि फिर से यादें ताजा हो जाती हैं। अनुराग के पिता हाकिम सिंह ने फोन पर बताया कि अब वह अमृतसर जा रहे हैं।