-खानापूर्ति में सिमट कर रह गया ऑपरेशन मुस्कान

-बाल कल्याण अधिकारी के नेतृत्व में बनाई गई टीम थी, नहीं मिला रिजल्ट

-आईजी ने लगाई फटकार, कहा सीरियस होकर कीजिए काम

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BAREILLY: घर से गुम हो चुके बच्चों को वापस उनके परिजनों से मिलाने से मकसद से शुरू किया गया ऑपरेशन अभियान खानापूर्ति तक ही सिमट कर रह गया। सालों से अपने बच्चों के इंतजार में मां-पिता की रो-रो कर जो आंखे पथरा चुकी हैं, उनको कोई राहत इस बार भी नहीं मिली है। 'ऑपरेशन मुस्कान' ऐसे मां-बाप की मुस्कान वापस लौटाने में नाकामयाब साबित हुआ। डिस्ट्रिक्ट के अलग-अलग थानों के अंतर्गत 46 किडनैप बच्चों में सिर्फ टीम दो बच्चों को ही बरामद कर सकी। जबकि इसके लिए हर थाने में बाल कल्याण अधिकारी के नेतृत्व में तीन सदस्यों की टीम का गठन किया गया था। हालांकि ट्यूजडे को आईजी ने विजय सिंह मीना ने जोन ऑफिस में सभी जिलों के नोडल आफिसर्स के साथ मीटिंग की और आपरेशन मुस्कान के तहत बच्चों को बरामद करने के निदेर्1श दिए।

तो नहीं किया वर्क

आपरेशन मुस्कान की शुरुआत 1 जुलाई से हुई और 31 जुलाई तक चला। इसके तहत बरेली डिस्ट्रिक्ट में वर्ष 2006 से लेकर 30 जून 2015 के दौरान 46 बच्चे जिनका अपहरण हो गया था, उन्हें उनके अपनों से मिलाना था। लापता बच्चों के डिस्ट्रिक्ट के अलग-अलग थानों में अपहरण की रिपोर्ट दर्ज थी। बतातें चलें कि थानों में अपहरणकर्ता बच्चों की बरामदगी के लिए बनाई गई। तीन सदस्यी टीम ने न जाने किस तरह से काम किया कि सिर्फ एक महीने में कैंट थाने की टीम दो बच्चों को बरामद कर सकी। इससे तो यह स्पष्ट है कि बाकी थानों की टीम ने या तो इस आपरेशन को ज्यादा तवज्जो नहीं दी। या फिर उन्होंने काम ही नहीं किया।

बताया गया था वर्क का तरीका

आपरेशन मुस्कान को सफल बनाने के लिए पुलिस लाइंस में आईजी की अध्यक्षता में मीटिंग की हुई थी। जिसमें दिल्ली की संस्थाओं ने सभी बाल कल्याण अधिकारियों को यह बताया था कि उन्हें किस तरह वर्क करना है। वहीं एसपी क्राइम ने भी कई बार श्रम विभाग, जिला प्रोवेशन अधिकारी व पुलिस टीमों के साथ मीटिंग की थी। हालांकि इस दौरान आपरेशन मुस्कान के तहत जिन बच्चों को छुड़ाया जा रहा था उनके मेडिकल में कई दिक्कतें आई थीं। इसके अलावा संजय नगर शेल्टर होम पर भी दो बार पेरेंट्स ने हमला बोला और एक बार दर्जन भर बच्चे भी छुड़ाकर ले गए थे।

तो 66 बच्चे किए बरामद

आपेरशन मुस्कान में ढाबे, होटलों व कारखानों में काम करने वाले बच्चों के अलावा किडनैप बच्चों को बरामद किया जाना था। टीम किडनैप बच्चों को तो बरामद करने में पूरी तरह से फेल हो गई लेकिन एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ने जरूर होटल, ढाबों व कारखानों पर चेकिंग अभियान चलाया गया। नतीजतन 66 बच्चों को मुक्त भी कराया गया।