- नए और छोटे नोट जमा करने से कतरा रहे लोग

- सिर्फ डॉक्टर और व्यापारी जमा कर रहे हैं कैश

BAREILLY:

नोट बंदी के 37 दिन बीत चुके हैं। मार्केट में 2000 और 500 के नए नोट भी आ गए हैं, लेकिन बैंक्स आज भी खाली हैं। बैंक्स में बैन नोट तो खूब जमा हो रहे हैं, लेकिन चलन जो नोट हैं, वह नाममात्र जमा हो रहे हैं। जिस वजह से बैंक्स में कैश की किल्लत दूर नहीं हो पा रही है। समस्या से निपटने के लिए बैंकों को सिर्फ आरबीआई से मिल रहे कैश पर निर्भर है।

कहां है चलन के नोट

बैंक्स में 10, 20, 50 और 100 के नोट न जमा होने से बैंकर्स भी हैरत में हैं। यहीं नहीं 500 और 2000 के जारी नए नोट भी दोबारा बैंक्स नहीं पहुंच रहे हैं। ऐसे में, यह सवाल लाजिमी है कि यह सारे रुपए कहां जा रहे हैं। बैंक अधिकारियों की मानें तो पिछले 37 दिनों में चलन वाली नोटों के जमा होने का आंकड़ा 4 परसेंट पर अटका हुआ है। जबकि, पहले यह रेसियो 60 और 40 का था। मसलन, बैंक्स से एक लाख रुपए निकलते थे तो 40 हजार रुपए परडे जमा भी हो रहे थे।

सिर्फ दो वर्ग कर रहा जमा

बैंक्स में थोड़े बहुत जो चलन के नोट जमा करा रहे हैं, उनमें दो वर्ग ही शामिल है। एक व्यापारी और दूसरा डॉक्टर्स। जबकि, बाकी लोग कैश को जहां-तहां दबाएं बैठे हैं। वह चलन के पुराने और नए नोट जमा करने से परहेज कर रहे हैं। जबकि, नोट बंदी के बाद जिले में 500 करोड़ रुपए से अधिक 2000, 500, 50, 100, 20 और 10 के नोट बांटा जा चुका है।

आरबीआई पर बैंक हैं निर्भर

चलन के नोट जमा नहीं होने से बैंक्स की मुसीबत बढ़ गई है। अधिकारियों का यह कहना है कि जो नोट अभी तक बांटे जा चुके हैं वह पब्लिक से होते हुए बैंक्स में दोबारा पहुंचे तो कैश की प्रॉब्लम ही नहीं होती। रुपए जमा न होने से बैंक आरबीआई से मिलने वाले कैश पर ही निर्भर हैं, जो पब्लिक डिमांड के लिए अपर्याप्त है।