बरेली (ब्यूरो)। ट्रैफिक रूल्स को फॉलो करना लोग जैसे अपनी शान के खिलाफ समझने लगे हैं। इसकी वजह से हर साल लाखों लोग अपनी जान गंवा देते हैैं। एफआईसीसीआई-ईवाई की रिपोर्ट के अनुसार पूरे भारत में हर साल लगभग 1.5 मिलियन लोग रोड एक्सीडेंट में अपनी जान से हाथ धो बैठते हैैं। वहीं ग्लोबली इसका रिकॉर्ड निकाला जाए तो यह बहुत ही भयावह है। एफआईसीसीआई-ईवाई के अनुसार 24 सेकेंड में एक परसन रोड एक्सीडेंट में चोटिल हो जाता है। एमजेपीआरयू के लॉ डिपार्टमेंट में डॉ। अमित सिंह के अंडर डॉ। आरपी सिंह ने एक रिसर्च की है, जिसका टॉपिक क्रिटिकल स्टडी ऑफ रोड सेफ्टी मेजर्स एंड ट्राफिक लॉ इन इंडिया विद स्पेशल रिफ्रेंस टू कम्पनशेसन रूल्स है। इसमें रोड सेफ्टी को लेकर कई मुुद्दे उठाए।

लापरवाही से खतरा
रिसर्चर डॉ। आरपी सिंह के अनुसार लोग रोड सेफ्टी को लेकर बहुत ही बेफिक्र होते जा रहे हैैं। वहीं 70 प्रतिशत एक्सीडेंट ड्राइवर की लापरवाही की वजह से ही होते हैं। इसके अलावा उनका कहना है कि अगर इस पर सहीं से काम नहीं किया गया तो यह आंकड़ा 2025 तक 2.5 लाख तक या उसके पार निकल जाएगा, परिवार में एक सदस्य की मौत पूरे परिवार को अफेक्ट करती है। डॉ। आरपी सिंह ने बताया कि हर घंटे 15 फैटिलिटीज और 53 इंजरीज होती हैैं।

सबसे अधिक एक्सीडेंट वाला महीना
वैसे तो एक्सीडेंट का कोई फिक्स टाइम या मंथ नहीं होता है। एक्सीडेंट कभी भी और कहीं भी हो सकते हैैं, लेकिन रिसर्च में डॉ। आरपी सिंह के अनुसार सबसे ज्यादा एक्सीडेंट गर्मी और ठंड के पीक मंथ्स में होतेे हैैं। इसका मतलब यह कि गर्मी में मई और जून में। वहीं ठंड के दिसंबर और जनवरी के मंथ में।

2022 में हुई हजारों मौत
ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट की रिपोर्ट के अनुसार जनवरी 2022 से दिसंबर 2022 में सिर्फ उत्तर प्रदेश में टोटल 41,746 रोड एक्सीडेंट हुए हैैं, जिसमें लोगों को 22,595 फैटालिटीज और 28,541 इंजरीज का सामना करना पड़ा है। वहीं अगर इन आंकड़ों को 2021 के आंकड़ों से कंपेयर किया जाए तो फैटालिटीज में 6.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वहीं इंजरीज में 14.6 प्रतिशत वृद्धि हुई है।

मेल के होते हैं ज्यादा एक्सीडेंट
डॉ। आरपी सिंह की रिसर्च में एक इंपॉर्टेंट फैक्ट सामने आया है, जिसमें उन्होंने बताया कि 85.2 प्रतिशत मेल एक्सीडेंट के शिकार होते हैं। वहीं 2013 के आंकड़ों के अनुसार 82.1 प्रतिशत मेल फॉल इंजरी के शिकार होते हैैं और यह आंकड़ा लगातार बढ़ता चला जा रहा है।

किन वजह से होते है एक्सीडेंट
डॉ। आरपी सिंह के अनुसार एक्सीडेंट होने की दो सबसे बड़ी वजह होती हैं। सबसे पहला रोड इंजरी यानी रोड में होने वाले गढ्ढों के कारण। वहीं दूसरा बैड इंजिनियरिंग। 80 प्रतिशत एक्सीडेंट ड्राइवर की गलती की वजह से होती है। इसके अलावा लेन कांफ्यूग्रेशन, ट्रैफिक साइन, फैंसिंग, रोड कंडीशन, लाइटिंग, फुटपाथ, रोड सर्विसिंग आदि भी एक्सीडेंट के रीजन हैं।

हाल ही में हुए एक्स्ीडेंट्स
1: बदायूं में स्कूल बस और वैन में हुई भिड़ंत
2: बरेली रोड पर ट्रक ने स्कूल वैन को मारी टक्कर
3: बरेली-दिल्ली हाईवे पर सडक़ हादसा

कौन-कौन सी रोड हैं बरेली में खतरनाक
डॉ। आरपी सिंह ने बताया कि बरेली में ऐसे कई रोड हैं, जो लोगों की ट्रैवलिंग के लिए बहुत खतरनाक साबित हो रहे हैं। जैसे कि इंवर्टिस वाली रोड, जहां कोई भी इंटरसेक्शन नहीं है। डेला पीर की रोड, बरेली बाईपास-पीलीभीत रोड, बदायूं रोड आदि कई एग्र्जांपल हैैं।

कंपन्सेशन इज नीडेड
दो तरह के कंपनसेशन मिलते हैं, जैसे हिट एंड रन के केसेज और दूसरा, जिसमें लोग पकड़ लिए जाते हैैं। कंपनसेशन कई बार ऐसे टाइम पर मिलते हैं, जब उसकी जरूरत खत्म हो जाती है। 2019 में पैनाल्टी पर एक एक्ट बना था, पर उसको फॉलो करना या न करना राज्यों पर छोड़ दिया गया है। ऐसे कई राज्य हैैं, जो इसे फॉलो नहीं कर रहे हैैं। इसके अलावा पैनाल्टी को फॉलो करने का कोई रूल नहीं बनाया गया है।

कई और चीजें हैैं नीडेड
गोल्डन ऑवर्स में पेशेंट को अस्पताल पहुंचाने की जरूरत
रोड पर होना चाहिए इंटरसेक्शन
बीच रोड पर नहीं होना चाहिए डिवाइडर
कंपोजिट इंश्योंरेंस देने चाहिए, थर्ड पार्टी इंश्योंरेंस खत्म होने चाहिए
फाइन बढ़ाना चाहिए
लाइसेंस के लिए हाई पैरामीटर्स रखने चाहिए

पैरामीटर्स करें फॉलो
रोड सेफ्टी का हालत देश में बहुत ही खराब है। इसके अलावा लोगों को इसे फॉलो करना और भी टफ टास्क है। लोगों को लाइसेंस देने से पहले कुछ हाई पैरामीटर्स पर फॉलो करना चाहिए।
डॉ। अमित सिंह, एचओडी ऑफ लॉ डिपार्टमेंट, मीडिया प्रभारी

इस रिसर्च के माध्यम से लोगोंं को अवेयर करना चाहते है। इसके साथ ही सरकार के लिए कुछ सुझाव भी हैं, जिससे रोड एक्सीडेंट्स को कम किया जा सकता है।
डॉ। आरपी सिंह, रिसर्चर