-निजी स्कूल्स की मनमानी का शिकार हो रहे हैं अभिभावक

-सुविधाएं और शैक्षिक गुणवत्ता ठीक नहीं होने पर स्कूल्स से कटवा रहे हैं बच्चों के नाम

-टीसी नहीं मिलने के कारण बच्चों का दूसरे स्कूल्स में नहीं हो पा रहा है एडमिशन

BAREILLY

बेहतरीन माहौल में अच्छी पढ़ाई का झांसा देकर तमाम प्राइवेट स्कूल स्टूडेंट्स व पेरेंट्स को मुश्किल में डाल दिए हैं। अच्छी पढ़ाई न होने पर स्टूडेंट्स दूसरे स्कूल में एडमिशन लेना चाहते हैं तो स्कूल मैनेजमेंट तरह-तरह के चार्जेज लगाकर उन पर भारी भरकम बकाया निकाल दिए। साथ ही टीसी देने के एवज में मनमाफिक फीस मांग रहे हैं। ऐसे में, पेरेंट्स टीसी लेने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे है। कई बच्चे एडमिशन न होने के चलते पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं। आई नेक्स्ट ने शिकायतों की पड़ताल तो चौंकाने वाले खुलासे हुए।

परिवार के तीन बच्चों की पढ़ाई छूटी

माल गोदाम रोड स्थित मोहल्ला मुस्तफा नगर निवासी शकूर अहमद के तीन बच्चे अनम, फैसल और सैफ शीला मेमोरियल जूनियर हाईस्कूल में पढ़ा करते थे। शकूर ने बताया स्कूल की शैक्षिक गुणवत्ता से संतुष्ट नहीं होने पर जब उन्होंने अपने बच्चों का स्कूल्स से नाम कटवाया, तो स्कूल मैनेजमेंट ने उन पर 15 हजार का बकाया निकालकर टीसी नहीं दी। जबकि उन्होंने हर माह फीस जमा की थी, लेकिन इसकी उन्हें कोई रसीद नहीं दी गई। वहीं, जब हेरा पब्लिक स्कूल में नौनिहालों का एडमिशन करा दिया, तो स्कूल की मैनेजर ने वहां से भी उसका नाम कटवा दिया।

भविष्य पर मंडरा रहा संकट

महबूब मियां का बड़ा बेटा आमिर और बेटी शिफा शीला मेमोरियल जूनियर हाईस्कूल में क्लास आठ और क्लास सेकेंड में पढ़ते थे। स्कूल मैनेजमेंट ने जब स्टूडेंट्स को दावे के मुताबिक सुविधाएं नहीं दी, तो उन्होंने अपनी बच्चों का नाम कटवाना बेहतर समझा। उन्होंने स्कूल मैनेजमेंट से टीसी मांगी तो उन पर भी 11,900 रुपए का बकाया निकाल दिया गया। जबकि उन्होंने छह हजार रुपए 18 जुलाई को जमा किए थे। उन्होंने टीसी का दबाव बनाया, तो स्कूल मैनेजमेंट ने उनके सामने ऑफर रखा कि शिफा को उनके स्कूल में पढ़ने दिया जाएगा, तो आमिर की टीसी दे दी जाएगी। परिवार वालों ने जब इस ऑफर को ठुकरा दिया, तो अभी तक उन्हें टीसी नहीं दी गई, जिस कारण नौनिहालों के भविष्य पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।

पांच सौ गुना तक बढ़ाए दाम

पीलीभीत बाईपास रोड स्थित थ्री डॉट्स स्कूल में इस्लामुद्दीन के दो बेटे आरिफुद्दीन क्लास सेकंड और अब्दुल खालिद क्लास फोर्थ में पढ़ते थे। इस्लामुद्दीन का कहना है कि स्कूल की शैक्षिक गुणवत्ता सही नहीं होने के कारण जब उन्होंने अपने बच्चों की टीसी अप्रैल में प्रिंसिपल सौरभ मेहरोत्रा से मांगी, तो उन्होंने पांच सौ रुपए प्रति टीसी के हिसाब से मांगे। जो कि नियमानुसार पांच गुना है। मनमाफिक फीस नहीं चुकाने पर तीन माह से अधिक समय बीतने पर उन्हें टीसी नहीं दी है। इस कारण स्टूडेंट्स का दूसरे स्कूल में एडमिशन कराने में दिक्कतें आ रही हैं।

बीसीसबी की प्रोफेसर चला रही हैं स्कूल

आई नेक्स्ट अभिभावकों की पीड़ा की जब हकीकत परखने पहुंचा, तो हैरान करने वाले खुलासे हुए। बरेली कॉलेज बरेली की प्रोफेसर प्रो। नीरजा अस्थाना शीला मेमोरियल जूनियर हाईस्कूल का संचालन करते हुए मिलीं। हालांकि उन्होंने टीसी नहीं देने की बात कबूली। उन्होंने कहा कि अभिभावक बकाया चुका दें, वह टीसी जारी कर देगीं। इसके साथ ही स्कूल मैनेजमेंट द्वारा बेहतरीन सुविधाएं मुहैया कराने की पोल खुली। स्कूल कैंपस में न तो जनरेटर था और न ही कम्प्यूटर। स्टूडेंट्स को बेहतरीन सुविधाओं के नाम पर केवल धोखा दिया जा रहा था।

इन सुविधाओं का झांसा

-बेहतरीन प्ले ग्राउंड

-कम्प्यूटर लैब

-ठंडे पानी की व्यवस्था

-हवादार कमरे

-कमजोर बच्चों के लिए एक्स्ट्रा क्लासेज

वर्जन

टीसी के नाम पर अभिभावकों से निर्धारित फीस से अधिक लिया जाना नियम विरुद्ध है। अभिभावक कार्यालय में शिकायत करें, जांच कर स्कूल मैनेजमेंट के बाद कार्रवाई की जाएगी।

एश्वर्या लक्ष्मी यादव, बीएसए