: न कोशिशें, न कोई कवायद, कैसे कसेंगे पॉपुलेशन पर लगाम
बरेली : फैमिली प्लानिंग की रैंकिंग में बरेली यूपी के टॉप 10 शहरों में शामिल नहीं हो सका है। लेकिन अफसरों को ये पता ही नहीं। जी हां, बात सौ फीसदी सच्ची है। यहां जिम्मेदार बेखबर हैं कि फैमिली प्लानिंग के इशू पर बरेली की क्या स्थिति है। उन्हें ये भी नहीं पता कि इस मामले में हालात कैसे सुधरेंगे। अफसरों से पूछो, तो कहते हैं कि रैंकिंग कब जारी हो गई, पता नहीं चला।
बरेली की रैंकिंग पता नहीं
हेल्थ मिनिस्ट्री ने इंट्रायूट्रिन कॉन्ट्रासेप्टिव डिवाइस यानी आईयूसीडी के जरिए नसबंदी पर पिछले सप्ताह रैंकिंग जारी की है। इसमें आगरा पहले पायदान है। लेकिन बरेली की रैंकिंग के बारे में किसी अफसर को कुछ भी पता नहीं है।
90 परसेंट पीछे बरेली
वर्ष 2018-19 में शासन ने 18932 महिला नसबंदी, 2104 पुरुष नसबंदी का लक्ष्य दिया था। लेकिन आकड़े बताते हैं कि सिर्फ 2051 महिलाओं और 72 पुरुष ने नसबंदी कराई। वहीं, 2019-20 में 1955 महिलाओं और 36 पुरुषों ने नसबंदी करवाई।
आशाओं को करना था अवेयर
अधिक से अधिक लोग इन परिवार नियोजन योजनाओं को लाभ लें, इसके लिए आशा वर्कर्स की जिम्मेदारी तय की गई थी, लेकिन इनके काम के अपडेट के बारे में अफसरों का पता नहीं है।
फैमिली प्लानिंग फायदेमंद
फैमिली प्लानिंग के लिए अवेयर करने से लेकर ऑपरेशन तक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। कुछ ऐसी सुविधाएं भी हैं, जिनमें लाभार्थियों को प्रोत्साहन राशि दी जाती है।
मिलती है ये सुविधाएं
- पुरुष और महिला नसबंदी
- डिलीवरी के बाद कॉपर टी
- अंतरा-छाया इंजेक्शन
- 3000 रुपए महिला नसबंदी पर
- 2000 रुपए पुरुष नसबंदी पर
क्या है आईयूसीडी
आईयूसीडी यानी इंट्रायूट्रिन कॉन्ट्रासेप्टिव डिवाइस, प्लास्टिक और कॉपर से बनी होती है। इसे गर्भाशय में इन्सर्ट किया जाता है, जिससे लम्बे समय तक प्रेग्नेंसी से बचा जा सकता है।
फैमिली प्लानिंग की रैंकिंग कब जारी की गई, इसका अंदाजा नहीं है। अन्य अफसरों से बात कर पता करेंगे।
डॉ। एपीएस गंगवार, नोडल अधिकारी, फैमिली प्लानिंग
अगर नोडल अधिकारी को रैंकिंग की जानकारी नहीं है, तो यह गंभीर विषय है। उनसे जबाव तलब किया जाएगा।
डॉ। वीके शुक्ला, सीएमओ।