बरेली (ब्यूरो)। 9 अप्रैल को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा उदय व्यापिनी है। इस ही दिन घट स्थापना होगी। इस दिन वैधृति योग दोपहर 2:18 बजे तक है। ऐसी स्थिति में शास्त्रानुसार अभिजित मुहूर्त (पूर्वाह्न 11:45 बजे से माध्याह्न 12:36 बजे तक ) में ही घट स्थापना की जानी चाहिए। बालाजी ज्योतिष संस्थान के पं। राजीव शर्मा का कहना है कि इस समय लाभ का चौघडिय़ा भी रहेगा, जो कि उत्तम रहेगा। इस योग में नए कार्य का शुभ आरंभ करना अतिशुभ रहेगा। इस दिन स्वयंसिद्ध अबूझ मुहूर्त भी है। इस अवसर पर मां दुर्गा अश्व पर सवार होकर आएंगी तथा हाथी पर प्रस्थान करेंगी।

घट स्थापना मुहूर्त
पूर्वाह्न 11:35 बजे से माध्याह्न 12:36 बजे तक अभिजित मुहूर्त में इस समय लाभ का चौघडिय़ा भी रहेगा। विक्रम संवत्सर 2081 में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा नौ अप्रैल को सूर्योदय व्यापिनी है। इस दिन प्रतिपदा सूर्योदय से प्रात: कल 11:58 बजे तक रहेगी। इस दिन रेवती नक्षत्र प्रात: 7:32 बजे तक रहेगा। इसके बाद आश्विन नक्षत्र लगेगा जोकि अगले दिन तक रहेगा। इस वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन शुभ अमृतसिद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि भी प्रात: काल 7:32 बजे से अगले दिन तक रहेगा एवं कुमार योग भी प्रात: 7:32 बजे से रात्रि 8:32 बजे तक रहेगा।

महासप्तमी/महाअष्टमी
15 अप्रैल को अन्नपूर्णा परिक्रमा प्रारम्भ होगी एवं रविवार को दुर्गाष्टमी वाले दिन रात्री में समाप्त होगी।

महानवमी (अबूझ मुहूर्त )
17 अप्रैल को महानवमी पूजन होगा। इस दिन मध्यान्ह कर्क लग्न में रामावतार, बेहद खास &रवियोग&य पूरे दिन रात रहेगा।

पूजन सामग्री:
चावल, सुपारी, रोली, मौली, जौ, सुगंधित पुष्प, केसर, सिंदूर, लौंग, इलायची, पान, सिंगार सामग्री, दूध-दही, गंगाजल, शहद, शक्कर, शुद्ध घी, वस्त्र, आभूषण, विल्बपत्र, जनेऊ, मिट्टी का कलश, मिट्टी का पात्र, दूर्वा, इत्र, चंदन, चौकी, लाल वस्त्र, धूप-दीप, फूल, च्ैवेद्य, अबीर, गुलाल, स्वच्छ मिट्टी, थाली, कटोरी, जल, ताम्र कलश, रुई, नारियल आदि।

पूजन विधि:
आज से नल नामक संवत्सर का विनियोग करना चाहिए। आज से चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का पूजन आरम्भ होता है। सम्मुखी प्रतिपदा शुभ होती है। अत: वही ग्राह्म है। अमायुक्त प्रतिपदा में पूजन नहीं करना चाहिए। नवरात्र व्रत स्त्री-पुरुष दोनों ही कर सकते हैं। यदि स्वयं न कर सकें तो पति-पत्नी, पुत्र अथवा किसी ब्राह्मण को प्रतिनिधि बनाकर व्रत पूर्ण कराया जा सकता है। व्रत में उपवास अयाचित (बिना मांगे प्राप्त भोजन), नक्त या एक मुक्त भोजन करना चाहिए।

ऐसे करें घट स्थापना
घट स्थापना के लिए पवित्र मिट्टी से वेदी का निर्माण करें, फिर उसमें जौ या गेहूं बोयें तथा उस पर यथा शक्ति मिट्टी, तांबे, चांदी या सोने का कलश स्थापित करें। सामग्री एकत्रित कर प्रथम मां दुर्गा का चित्र स्थापित करें एवं पूर्वमुखी होकर मां दुर्गा की चौकी पर लाल वस्त्र बिछायें, मां दुर्गा के बायीं ओर सफेद वस्त्र बिछाकर उस पर चावल के नौ कोष्ठक, नवग्रह एवं लाल वस्त्र पर गेहूं के सोलह कोष्ठक षोडशमातृ के बनाएं, एक मिट्टी के कलश पर स्वास्तिक बनाकर उसके गले मे मौली बांधकर उसके नींचे गेहूं या चावल डाल कर रखें। उसके बाद उस पर नारियल भी रखें। नारियल पर मौली भी बांधे, उसके बाद तेल का दीपक एवं शुद्ध घी का दीपक प्रज्ज्वलित करें एवं मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर हल्का सा गीला कर उसमें जौ के दाने डालें। उसे चौकी के बाई तरफ कलश के पास स्थापित करें।

कुमारी पूजन
कुंवारी-पूजन नवरात्र व्रत का अनिवार्य अंग है। कुमारिकाएं जगतजननी जगदम्बा का प्रत्यक्ष विग्रह है। इसमें ब्राह्मण कन्या को प्रशस्त माना गया है। आसान बिछाकर गणेश, बटुक कुमारियों को एक पंक्ति में बिठाकर भूजन कर उन्हें भोजन कराया जाता है। नवरात्र समाप्त होने पर दसवें दिन विर्सजन करना चाहिए,