बरेली (ब्यूरो)। सर्दियों में बॉडी आलसी हो जाती है। इसका असर बॉडी पर भरपूर मात्रा में दिखाई देने लग जाता है। इसके अलावा इस सीजन में अधिकांश लोगों का वजन भी बढ़ जाता है। कई बार लोगों को यह समझ ही नहीं आता है कि आखिर ठंड में उनका वेट गेन कैसे हो जाता है। इसकी सबसे बड़ी वजह होती है हमारी डेली लाइफस्टाइल। लोगों को अपनी लाइफ में रेगुलेरिटी मेनटेन करने की जरूरत होती है।

वेट बढऩे की वजह
डॉक्टर के अनुसार वेट कई वजहों से बढ़ता हैं, पर सर्दियों में इसका असर कुछ ज्यादा ही दिखाई देता है क्योंकि सर्दियों में लोग ज्यादा कैलोरी का सेवन करते हंैै। इसके अलावा ठंड की वजह से अदर एक्टीविटीज पर भी फोकस नहीं करते हैैं। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो सेंडेटरी लाइफस्टाइल की वजह से यह परेशानी बढ़ जाती है। वेट को कंट्रोल करने के लिए कुछ चीजों को फॉलो करना जरूरी है। इनमें से कुछ इस प्रकार हैैं।

ऑयली फूड कम खाएं
सर्दियों में लोग बिना सोचे-समझे कुछ भी खा लेते है। इस पर भी इतना ध्यान नहीं देते है कि वे दिन भर में कितनी कैलोरी एक बार में ही खा लेते हैैं। सर्दियों में ज्यादातर लोग ऑयली और मसाले वाली चीजें खाना पसंद करना पसंद करते हैं। ये चीजें ही उनमें फैट को बढ़ा देती हैं। इसके साथ ही ठंड में लोग मीठे का सेवन ज्यादा करते हैैं। सर्दियों में पहले से ही घर में लोग लड्डू, मावा, गजक, हलवा जैसी चीजें बनाकर रख लेते हैं, जो वजन बढ़ाती हैं।

नो फिजीकल एक्टीविटी
ठंड में लोग आलसी हो जाते हैैं। इस आलस के चलते ही वे फिजीकल एक्टीविटी पर भी ध्यान नहीं देते हैैं। कई बार सर्दियों में धूप भी कम दिखाई देती है। इसका असर हमारे हार्मोन्स पर भी पड़ता है। बॉडी में हार्मोन्स डिसबैलेंस भी हो जाता हैै।

ज्यादा सोना
सर्दियों में लोगों में बहुत ही सुस्ती आ जाती है। लोग अपना ज्यादा से ज्यादा टाइम बेड पर ही बिताना पसंद करते हैैं। इसके अलावा सर्दियों में दिन छोटे और रातें लंबी हो जाती हैं, जिसकी वजह से लोग जल्दी सोना भी प्रीफर करते हैैं। इस वजह से बॉडी साइकल भी पूरी तरह से डिसबैलेंस हो जाता है और वजन बढ़ जाता है।

मेटाबॉलिक रेट
मेटाबॉलिज्म बढऩे से मोटापा कम होता है, लेकिन सर्दियों में यह प्रॉसेस एक दम उल्टा हो जाता है। इस प्रॉसेस में अगर मेटाबॉलिक रेट एकदम से कम हो जाता है। इस वजह से वजन बढऩे लगता है।

कैसे करें कंट्रोल
सर्दियों में एक्सरसाइज जरूर करें। इससे फैट बर्न करने में हेल्प होती है। एक्सरसाइज न कर पाने के चलते योग भी कर सकते हैं।
सर्दियों में हाई प्रोटीन फूड खाना चाहिए।
इन दिनों में थोड़ी धूप भी लेना जरूरी होता है, जिससे कम से कम विटामिन डी की कमी दूर हो सके।
ठंड में लोगों को प्यास कम लगती है, जिसकी वजह से बॉडी डिहाईड्रेटेड हो जाती है। इसलिए ठंड में पानी ज्यादा से ज्यादा पीना चाहिए।
आलस के चलते कई लोग घर में खाना बनाने से बचते हैैं। इसलिए वजन कंट्रोल करने के लिए डाइट में फल और सब्जियां अधिक शामिल करनी चाहिए।
अल्कोहल, कार्बोहाईड्रेट और फैटी फूड्स से दूरी बनानी चाहिए।

ये हो सकती है बीमारियां
मेटाबॉलिक रिलेटिड बीमारियां : डॉ। स्वीकृति के अनुसार मेटाबॉलिक रेट बढऩे या घटने से कई तरह की दिक्कत हो जाती हैैं। बॉडी में डायबिटीज, हाई या लो ब्लड प्रेशर, हार्ट रिलेटिड डिजीज, बे्रन पर असर, पैनक्रियाज में पथरी, फैटी लीवर आदि जैसी परेशानियां सामने आती हैं।

मास्कुलोस्केलिटल डिजीज : मोटापा आने से मांसपेशियों और जोडों में भी काफी बिमारियां हो जाती है। जैसे जोड़ो में दर्द, ऑस्टियोअर्थराइटिस, सार्कोपैनिक डिजीज आदि।

साइकोलॉजिकल प्रॉब्लम : मोटापे का असर मानसिक विकास पर भी पड़ता है, जो लॉन्ग टर्म में लोगों के लिए हानिकारक होता है। वहीं अगर कोई पर्सन मेंटल हेल्थ रिलेटिड किसी परेशानी से डील कर रहा हो तो उस टाइम पर यह ज्यादा गंभीर हो जाता है। लोगों में साइकोलॉजिकल प्रॉब्लम भी बढ़ जाती है। जैसे एंग्जाइटी, स्ट्रेस, स्टिग्मा, नींद रिलेटिड प्रॉब्लम आदि।

हार्ट रिलेटिड प्रॉब्लम : ठंड में ब्लड गाढ़ा हो जाता है। इस वजह से हार्ट अटैक के चांसेज बढ़ जाते हैैं। इसके अलावा लोगों में हाइपरटेंशन भी हो जाता है।

सर्दियों में लोगों की लाइफस्टाइल सेडेंट्री हो जाती है। इस वजह से लोगों का वेट तेजी से ग्रो करता है। यह ही कारण है कि कई तरह की बीमारियां उन्हें हो जाती हैैं। इसमें कई लोग स्ट्रोक, ओबेसिटी, हाइपरटेंशन जैसी बीमारियों का शिकार हो जाते हैंं।
डॉ। दर्शन मेहरा, एमबीबीएस एमडी (मेडिसिन)