बरेली (ब्यूरो)। बंदरों के आतंक से परेशान बरेलियंस को अभी राहत नहीं मिलने वाली है। नगर निगम ने आचार संहिता से पहले बंदरों को पकडऩे के लिए फर्म के लिए टेंडर प्रक्रिया ही पूरी नहीं की है। प्लान तो किया था लेकिन सिर्फ कागजों में ही। नगर निगम की इस लापरवाही के कारण गर्मी में लोग अब खुले में छत पर सो भी नहीं पाएंगे। कारण बंदरों का आतंक कई एरिया में इतना अधिक है कि लोग घरों की छतों पर भी जाना छोड़ चुके हैं, क्योंकि बंदरों के डर से कई लोग छत से गिरकर घायल हो चुके हैं और बच्चों की जान तक चली गई। हालांकि वर्ष अप्रैल 2023 से मार्च 2024 तक एक हजार बंदरों को पकडऩे का नगर निगम दावा कर रहा है। इस वर्ष भी बंदरों को पकडऩे का काम शुरू होगा।

बच्चे भी परेशान
बंदर पकडऩे के टेंडर में हुई लेट लतीफी के कारण अभी तक कोई फर्म नहीं मिल सकी है। इसमें भी दो कारण समाने आए हैं कि इसमें निगम को कभी बंदर पकडऩे वाली फर्म नहीं मिल रही तो कभी टेंडर की दरों को लेकर एजेंसी सहमत नहीं हुई। लास्ट ईयर भी खींचतान के बाद मथुरा की जावेद कांट्रेक्टर्स फर्म को बंदरों को पकडऩे का टेंडर दिया गया। लेकिन शुरूआत में खाना पूर्ति ही चली। निगम ने फर्म को नोटिस देकर डिबार करने की चेतावनी दी तो अभियान चलाकर बंदर पकड़े गए।

घरों में बंदरों की दहशत
बरेलियंस का कहना है कि बंदरों का आतंक इतना अधिक बढ़ गया है कि वह घरों की छत पर भी दिन में नहीं जा पाते हैं। शहर भर में कई हजार बंदर है जो लोगों के लिए मुसीबत बने हुए हैं। घरों में लोहे के जाल लगवा लिए हैं। ताकि बंदर प्रवेश न कर सकें। आए दिन बंदर लोगों पर हमला करते हैं। छोटे बच्चों को निशाना बनाते हैं।

पुरानी फर्म टेंडर
शहर में नगर निगम ने बंदरों को पकडऩे के लिए कई वर्षो से अभियान चलाया जाता है। पिछले साल तीन फर्म ने बंदर पकडऩे के लिए टेंडर प्रक्रिया में भाग लिया था। इसमें से एक फर्म ने सबसे कम दरे पर टेंडर डाला। नगर निगम ने उसी फर्म को 100 बंदर पकडऩे का टेंडर कर दिया। एक बंदर पकडऩे के लिए फर्म को 134 रुपए का टेंडर जारी किया गया। फर्म ने एक अप्रैल 2023 से 31 मार्च 2024 तक एक हजार बंदर पकड़े गए।

खौफ से सहमे इलाके
शहर के किला, बड़ा बाजार, साहूकारा, बिहारीपुर, खन्नू मुहल्ला, सिटी, आलमगिरीगंज, राजेंद्र नगर, मौला नगर, कालीबाड़ी, भूड़, जाटवपुरा, रामपुर गार्डन, पवन विहार, सौदागरान, सिविल लाइंस व शाहबाद वार्ड समेत कई अन्य कॉलोनी व मोहल्ले बंदरों के उत्पात की वजह से पिजरों में कैद हो चुके हैं। लोग बच्चों को घरों से बाहर निकलने देने से कतराते हैं।

प्रशासनिक अधिकारी पर हमला
शहर में बंदरों का आतंक इतना अधिक हो गया है कि वह किसी भी हमला करने से चूकते नहीं है। उनके हमलों से शहर से लेकर देहात तक कई लोगों की जान जा चुकी है। वेडनसडे को सीएमओ कार्यालय में तैनात जिला प्रशासनिक अधिकारी पर भी बंदर हमलावर हो गए। इतना ही नहीं उन्हें कई जगह हाथ में नोच लिया। जिला प्रशासनिक अधिकारी डॉ। राकेश सदमे में आ गए हैं। उन्होंने बताया कि वह सुबह राजेंद्र नगर के आवास विकास कॉलोनी स्थित घर की छत पर गए थे तभी सीढिय़ां चढ़ते ही बंदरों ने उन पर हमला कर दिया।

नगर निगम पुरानी फर्म से ही बंदरों को पकड़वाएगा। 134 रुपए में प्रति एक बंदर की दर से भुगतान किया जाता रहा है। 31 मार्च तक एक हजार के करीब बंदरों को पकडा जा चुका है। आचार संहिता के वजह से टेंडर नहीं हुआ है। पुरानी फर्म से ही बंदरों को पकड़वाया जाएगा।
- डॉ। आदित्य तिवारी पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी