-पुलिस के साथ-साथ बरेली की पब्लिक भी है गैर जिम्मेदार

-कहीं पुलिस आराम फरमाती है तो कहीं पब्लिक पुलिस की मौजूदगी में तोड़ती है नियम

BAREILLY: नवंबर माह को ट्रैफिक मंथ के रूप में मनाया जा रहा है। इस माह में पुलिस द्वारा अपील की गई है पब्लिक ट्रैफिक रूल्स का पालन कर जिम्मेदार नागरिक बने लेकिन बरेली में ट्रैफिक मंथ गैर जिम्मेदारी के साथ मनाया जा रहा है। पब्लिक के साथ-साथ ट्रैफिक पुलिस भी इसमें साथ दे रही है। कहीं पुलिस आराम फरमा रही है और पब्लिक उनकी मौजूदगी में ट्रैफिक रूल्स का उल्लंघन कर रही है। यही नहीं ट्रैफिक रूल्स फालो करने के लिए सड़क पर दौड़ लगाकर जान जोखिम में डालनी पड़ रही है। ऐसे में साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह मंथ भी सिर्फ एक खानापूर्ति भी बनकर रह जाएगा।

चालानों की संख्या बता रही हकीकत

ट्रैफिक मंथ की बरेली में 1 नवंबर से औपचारिक शुरुआत हो चुकी है। 4 नवंबर को इसकी विधिवत शुरुआत की जाएगी। इससे पहले प्रवर्तन माह मनाया गया था। जिसमें 6700 चालानों की संख्या से साफ हो गया था कि बरेली के लोग ट्रैफिक रूल्स फालो नहीं करते हैं। इनमें ज्यादातर हेल्मेट नहीं पहनते हैं और न ही सीट बेल्ट लगाते हैं। इसके अलावा रेड लाइट जंप करना, मोबाइल पर बात करना, जेब्रा क्रासिंग फालो न करना आम है।

पुलिस ही लगवाती है जाम

बरेली में ज्यादातर चौराहों पर ट्रैफिक पुलिस तैनात रहती है। इसके बावजूद चौराहों पर रूल्स ब्रेक होते रहते हैं। सभी चौराहों पर आटो वाले या फिर रोडवेज बस वाले अवैध स्टैंड बनाकर जाम लगाते रहते हैं। चौराहों पर कोई भी जेब्रा लाइन को फालो नहीं करता है। पुलिस की मौजूदगी में ही लोग रेड लाइट जंप करते हैं और कई बार एक्सीडेंट होने की संभावना बनी रहती है। चौराहों पर मौजूद पुलिस रूल्स को फालो नहीं कराती है बल्कि कुछ आगे बैठकर वाहनों को रोककर जाम जरुर लगवाती है। यहीं नहीं रूल तोड़ने वालों पर पुलिसकर्मी भी होते हैं।

पकड़े जाने पर तुरंत लगाते हैं सिफारिश

यही नहीं जो पकड़े भी जाते हैं वह सबसे पहले बोलते हैं कि साहब छोड़ दो पहली बार गलती हुई है। यही नहीं उसके बाद तुरंत मोबाइल पर किसी ने किसी से बात कराकर सिफारिश लगाने लगते हैं।