- रामगंगा घाट पर शहर समेत अन्य इलाकों से पहुंचे श्रद्धालुओं ने किया स्नान

- मेले के शुभारंभ के बाद जमकर हुई कॉस्मेटिक और पशुओं की बिक्री

BAREILLY:

ज्येष्ठ शुक्ल दशमी के मौके पर हजारों की तादाद में श्रद्धालुओं ने रामगंगा में आस्था की डुबकी लगाई। 'गंगा मैया की जय हो' के साथ डुबकी लगाकर बाहर निकले लोगों ने अपने-अपने परिवार की सलामती के लिए मन्नतें भी मांगी। घाट पर मौजूद पंडितों से लोगों ने पूजन कार्य संपन्न कराने के बाद मौजूद श्रद्धालुओं में प्रसाद वितरण किया। मनौती के अनुसार कई परिवारों ने अपने नवजातों का मुंडन संस्कार भी घाट पर कराया। इसके अलावा घाट पर आयोजित कार्यक्रमों ने लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया।

सुबह से लगा रहा तांता

रामगंगा में शुभ मुहूर्त के अनुसार ट्यूजडे सुबह से ही लोग आस्था की डुबकी लगाने लगे थे। वहीं, मुहूर्त के अनुसार ही पुण्य स्नान वेडनसडे को सुबह 5 से 8 बजे तक ही किया जाना था। ऐसे में आस्था, श्रद्धा के साथ हजारों श्रद्धालुओं ने इसी मुहूर्त में गंगा में ड़ुबकी लगाई। दूसरी ओर, भोर से बदले मौसम के मिजाज का श्रेय भी लोगों ने 'मां गंगा समेत अन्य देवी-देवताओं' को दिया। इसके अलावा विभिन्न समितियों और संस्थाओं की ओर से लगाए गए हेल्प कैंप ने भी श्रद्धालुओं की मदद की। वहीं, कालागढ़ डैम से छोड़े गए पानी से साफ हुई रामगंगा में डुबकी लगाने को हर कोई तैयार दिखा।

जमकर हुई बिक्री

हजारों की तादाद में पहुंचे श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाने के बाद घाट से कुछ ही दूरी पर सजे मेले में पहुंचकर जमकर खरीदारी की। मेले में ज्यादातर कॉस्मेटिक, गृहस्थी के सामान की दुकानें सजी थीं। ऐसे में दुकानों पर सर्वाधिक भीड़ महिलाओं की दिखी। तो वहीं, कुछ ही दूरी पर पुरुष वर्ग आगामी विधानसभा के चुनावों पर चर्चा करने में व्यस्त दिखे। तो कईयों ने इसी बहाने कई दिनों बाद घाट पर मिले अपनों की हाल खबर ली। कुल मिलाकर बारिश से सुहावने हुए मौसम ने मेले में पहुंचे श्रद्धालुओं के मिजाज को खुशनुमा बना दिया था।

बारिश ने रोकी रेस

आमतौर पर मेला में ज्यादातर लोग नक्खासा में सजे पशुओं की खरीद-फरोख्त अथवा घुड़दौड़ देखने पहुंचते हैं। लेकिन सुबह से हो रही बारिश ने लोगों को घाटों तक ही सीमित रखा। जहां चाट-पकौड़े और चाय की चुस्कियों से ही दिन गुजरता रहा। वहीं, नक्खासे में जरूरत के मुताबिक लोगों ने पसंद के जानवर खरीदे। जबकि घुडदौड़ के लिए जमीन गीली होने से रेस संभव नहीं हुई। डब्ल्यूडब्ल्यूएफ संस्था की लगाई गई गंगा बचाओ से संबंधित विषय पर आधारित एग्जीबिशन में पहुंचकर लोगों ने गंगा समेत अन्य नदियों को बचाने का संकल्प लिया।