>- शहर के विकास भवन, पटेल चौक प्रभा सिनेमा के सामने होटलों पर बच्चों से कराया जा रहा है बाल श्रम

BAREILLY : बरेली में पढ़ने-लिखने और खेलने-कूदने की उम्र में बच्चों पर कमाई का बोझ लादा जा रहा है। कुछ बच्चों का बचपन पंक्चर बनाने तो कुछ का होटलों में बर्तन धोने, खाना और चाय पहुंचाने में खत्म हो जा रहा है। बहुत से बच्चे पेरेंट्स की इच्छा से ही ऐसा काम कर रहे हैं। यह हालत तब है जब बाल मजदूरी रोकने के लिए शुरू किया गया स्माइल पिंकी जैसे अभियान भी चलते हैं। हालांकि आई नेक्स्ट के रियलटी चेक में जो बात सामने आई है। उससे तो यही लग रहा है। स्माइल पिंकी जैसे अभियान ि1सर्फ कागजी ही हैं।

विभाग बना अंजान

सीबीगंज खलीलपुर रोड पर एक स्वीट्स हाउस पर करीब दस वर्ष का एक मासूम भट्ठी के नजदीक खड़ा होकर मिठाइयां बना रहा था। शहर के प्रभा सिनेमा के पास होटलों पर बहुत से मासूम बच्चे काम करते हैं। यहां बच्चे लोगों को खाना सर्व करते हैं। लोगों के झूठे बर्तन धोते हैं, लेकिन जिम्मेदारों को यह सब नहीं दिखता है। शहर में ही पटेल चौक के पास एक बच्चा टायर पंक्चर की शॉप पंक्चर बना रहा था। वहीं विकास भवन के सामने एक मिल्क कंपनी के पार्लर पर बच्चा काम करता है। दिक्कत यह है कि बच्चों से बाल मजदूरी कराने वाले इन लोगों पर कोई एक्शन नहीं होता है। इसलिए वे बेधड़क बाल मजदूरी कराते हैं।

यह कैसा स्माइल अभियान

शहर में आखिरी बार जुलाई महीने में स्माइल पिंकी अभियान चलाकर श्रम विभाग ने एनजीओ की मदद से स्माइल पिंकी अभियान चलाया था। तब 33 बच्चों को मुक्त कराया गया था। इसके बाद से श्रम विभाग ने अब तक इस अभियान को नहीं चलाया है।

श्रम विभाग के अधिकारियों को अभियान चलाने के लिए पत्र भी लिखा गया था, लेकिन विभाग ने कोई एक्शन नहीं लिया। जिसकी वजह से बाल मजदूरी पर रोक नहीं लगाई जा पा रही है।

गजेन्द्र गंगवार, चाइल्ड लाइन एनजीओ बरेली

शासन से आदेश मिलने पर बाल श्रम के खिलाफ अभियान चलाया जाता है। जुलाई में अभियान चलाया गया था, उसके बाद अभी तक नहीं चलाया जा सका। शासन से आदेश मिलने पर अभियान चलाया जाएगा।

रोशन लाल, उपश्रम आयुक्त बरेली मंडल बरेली

घर के कामकाज से शिक्षा से दूर हो रहा बचपन

-बेसिक शिक्षा विभाग के हाउस होल्ड सर्वे से हुआ खुलासा

BAREILLY :

डिस्ट्रिक्ट के 292 बच्चे घर के कामकाज की वजह शिक्षा से दूर हो जा रहे हैं। यह खुलासा बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से कराए गए हाउस होल्ड सर्वे के बाद सामने आई है। सर्वे में पता चला कि बच्चे पुश्तैनी काम, भाई-बहनों की देखभाल या गैराज में काम करने आदि कारणों के चलते स्कूल नहीं जा रहे हैं।

दो चारण में चला अभियान

शैक्षिक सत्र 2016-17 में एडमिशन के लिए दो चरणों में स्कूल चलो अभियान भी चलाए गए। एडमिशन प्रक्रिया पूरी होने के बाद बेसिक शिक्षा विभाग ने हाउस होल्ड सर्वे कराया, ताकि पता चल सके कि कितने बच्चे बेसिक शिक्षा से वंचित हैं। करीब एक महीने तक चले सर्वे के बाद जब रिपोर्ट आई, तो पता चला कि डिस्ट्रिक्ट के 292 स्टूडेंट्स विभिन्न कारणों से स्कूल नहीं जा रहे है। हालांकि विभाग के अधिकारी इन बच्चों को स्कूल भेजने की तैयारियों में लगे हुए हैं।

बच्चे इन कारणों से नहीं जाते स्कूल

स्कूल छोड़ने का कारण- स्टूडेंट्स की संख्या

अपने घर के कामों में लगे रहना- 97

कचरा बीनना- 13

घरेलू नौकर- 4

गैराज और फैक्ट्री में काम करना- 11

कृषि व्यवसाय- 10

पुश्तैनी दस्तकारी- 25

छोटे होटल- 28

भाई बहनों की देखभाल करना 51

विद्यालय दूर होना 10

गरीबी- 3

गंभीर विकलांगता- 27

अन्य कारण- 13

वर्जन

जो बच्चे शिक्षा से दूर हैं। प्रयास किया जाएगा कि उन्हें शिक्षा से जोड़ा जाए। जिससे शिक्षा के स्तर को बढ़ाया जा सके। ताकि नौनिहाल देश के विकास में भूमिका निभा सकें।

एश्वर्या लक्ष्मी यादव, बीएसए