टोटल 247 इंटर कॉलेजों में से सिर्फ 65 यानि 23 फीसदी स्कूलों में ही कंप्यूटर लैब

आईसीटी योजना के तहत 65 स्कूल को मिली कंप्यूटर लैब, मेंटेनेंस ग्रांट न होने कारण धूल फांकने को बेबस

BAREILLY:

ई-क्रांति के विस्तार और देश को डिजिटल इंडिया बनाने के लिए बेहद जरुरी है कि नई जेनरेशन को कंप्यूटर नॉलेज हो। लेकिन यूपी बोर्ड के 74 प्रतिशत स्कूलों में कंप्यूटर लैब ही नहीं है। केंद्र सरकार की आईसीटी यानि इंफॉरमेशन कम्यूनिकेशन एंड टेक्नोलॉजी योजना के तहत डिस्ट्रिक्ट के 65 स्कूलों में लैब स्थापित की गई हैं, लेकिन इस योजना में भी बस खानापूर्ति भर हो रही है। क्या है, इस योजना का हाल, आइए बताएं

क्या है आईसीटी योजना

आईसीटी योजना के तहत गवर्नमेंट व एडेड कुल 65 स्कूलों को कंप्यूटर दिए गए हैं। जिनमें तीन गवर्नमेंट इंटर कॉलेजेज को 51-51 कंप्यूटर जबकि बाकी इंटर कॉलेज को 10-10 कंप्यूटर बांटे गए। इन 65 स्कूलों को आउटसोर्सिग से एक-एक कंप्यूटर शिक्षक दिया गया। इस योजना का पहला फेज 2009 में शुरू हुआ, जिसमें 40 स्कूलों पांच साल के लिए कंप्यूटर व कंप्यूटर शिक्षक दिए गए। पहले फेज की अवधि पिछले सेशन में खत्म हो गई है, जिसके बाद अनुबंधित कंप्यूटर शिक्षक टाइम पीरियड खत्म हो गया, और अब इन स्कूलों को अपने स्तर पर कंप्यूटर शिक्षा देनी है। वहीं योजना का दूसरा फेज 2010 में शुरू हुआ, जिसकी कांट्रेक्ट अवधि दिसंबर 2015 में खत्म हो जाएगी। सेकेंड फेज में 25 स्कूलों को कंप्यूटर मिले हैं।

कहीं मॉनीटर खराब, कहीं सीपीय

योजना के तहत कंप्यूटर लैब रखने वाले स्कूलों की बड़ी दिक्कत कंप्यूटर के मेंटेनेंस की है। शासन मेंटेनेंस ग्रांट प्रोवाइड नहीं कराता। पांच साल में ज्यादातर कंप्यूटर्स की बैटरी वीक हो चुकी है। कइयों के यूपीएस खराब हैं, तो कई विंडो करप्ट होने के बाद खराब पड़े हैं। दूसरी बड़ी दिक्कत बिजली आपूर्ति की है। लाइट बिना कंप्यूटर संचालन के लिए स्कूलों को गैस व डीजल के जेनरेटर तो दिए गए। लेकिन विभाग डीजल और गैस सिलेंडर का रुपया स्कूल को महीनों बाद देता है, जिसकी वजह से भी छात्रों स्कूल में कंप्यूटर होने के बाद भी कंप्यूटर शिक्षा से महरूम रह जाते हैं।

बिशप मंडल इंटर कॉलेज

इस स्कूल में 10 कंप्यूटर्स की लैब है, लैब की बड़ी दिक्कत धूल-मिट्टी जमा होना है। लैब रूम की छत पर सीलन आ जाती है, जिससे भी कंप्यूटर्स तक मॉइश्चर पहुंच रहा है। मेंटेनेंस ग्रांट न आने की वजह से कई कंप्यूटर सिस्टम के पा‌र्ट्स खराब हो चुके हैं, जबकि सभी की बैटरी वीक है। इस लैब की सुरक्षा भी स्कूलों के लिए एक बड़ी समस्या है। प्रिंसिपल जगमोहन ने बताया, कि 4 मई को गार्ड की लापरवाही से एक कंप्यूटर चोरी भी हो गया, जिसके बाद गार्ड को संस्पेंड किया गया, लेकिन कंप्यूटर की भरपाई प्रिंसिपल व मैनेजमेंट को करनी पड़ी। इन्होंने बताया कि विभाग जेनरेटर चलाने के लिए सिलेंडर नहीं देता। हम स्कूल के जेनरेटर से ही कंप्यूटर लैब संचालित कराते हैं।

जीआईसी इंटर कॉलेज

गवर्नमेंट इंटर कॉलेज में 51 कंप्यूटर्स की लैब देखने में तो शानदार है, लेकिन मेंटेनेंस ग्रांट न आने से इन कंप्यूटर्स के सीपीयू खराब होकर स्टोर रूम का कूड़ा बन चुके हैं। कंप्यूटर के टीचर रवि ने बताया कि पांच साल में इन कंप्यूटर्स की बैटरी वीक हो चुकी हैं। जिन्हें बदलवाने का रुपया नहीं आता। हालांकि विंडो करप्ट होने जैसी समस्याएं ये कंप्यूटर शिक्षक खुद ठीक कर लेते हैं।

सब्जेक्ट न होने से कंप्यूटर एजुकेशन से महरूम छात्र

प्राइवेट स्कूलों में कंप्यूटर लैब्स ही नहीं है। कुछ बड़े स्कूलों को छोड़ दे तो 98 प्रतिशत प्राइवेट स्कूल कंप्यूटर लैब्स नहीं रखते। असल में इंटरमीडियट की मान्यता लेने के लिए स्कूलों में कंप्यूटर लैब होना अनिवार्य नहीं है। यदि हाईस्कूल या इंटरमीडियट क्लास में स्कूल मैनेजमेंट कंप्यूटर साइंस की क्लासेस लगाना चाहता है, तब ही उसे मिनिमम 5 कंप्यूटर व 10 केवीए वाला जेनरेटर लेना अनिवार्य है। यही वजह है कि ज्यादातर स्कूलों में न तो ये विषय है, और न ही कंप्यूटर लैब की कोई बाध्यता। इसलिए छात्र कंप्यूटर नॉलेज से महरूम रह जाते है।