अप्रैल फूल नहीं बल्कि अप्रैल कूल
- एक अदद पानी की राह देखते हुए सूख गई डिवाइडर पर लगी 'हरियाली'
- 1 लाख से बीडीए और 4 लाख से नगर निगम ने लगवाए थे फूलों के पौधे
BAREILLY:
शहर को खुबसूरत बनाने के लिए नगर निगम और बरेली विकास प्राधिकरण ने कई प्रयास किए। पर प्रयासों की मॉनीटरिंग यानि नियमित अपडेट न लेने से कवायदें धरी की धरी रह गई हैं। हालात यह हैं कि जितनी लागत लगाकर उन्हें बसाया गया था उसका तकरीबन आधा बजट फिर से इन्हें संवारने पर खर्च किया जाएगा। हम बात कर रहे हैं, डिवाइडर पर लगाए गए पौधों की। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की ओर से चलाए जा रहे कैंपेन 'अप्रैल फूल नहीं अप्रैल कूल' में आपको डिवाइडर पर लगे पौधों की हरियाली की मुहिम से सूखने तक की दास्तां बता रहे हैं।
निर्देशों का नहीं हुआ पालन
डिवाइडर पर लगे पौधों को हरा भरा रखने के लिए दो हफ्ते पहले नगर आयुक्त राजेश कुमार श्रीवास्तव ने डिवाइडर्स को हरा भरा रखने के निर्देश दिए हैं। मिनी बाईपास पर डिवाइडर पर लगाए गए पौधों में से करीब 70 परसेंट पौधे सूखे मिले। नाराजगी जताते हुए उन्होंने उद्यान प्रभारी को नियमित तौर पर पौधों में पानी, खाद और गोड़ाई करने के निर्देश दिए थे। इसके अलावा जहां-जहां पौधे सूख गए हैं वहां पर नए पौधों को लगाने की जिम्मेदारी सौंपी थी। पर हैरत की बात यह कि नगर आयुक्त के आदेश के बाद पानी तो दिया जा रहा है। लेकिन कहां पौधों को पानी मिल रहा इसका अता पता नहीं है।
बीडीए के गमले चकनाचूर
गांधी उद्यान से शहामतगंज चौराहे तक करीब 12 सौ मीटर रोड पर बीडीए ने 120 बड़े गमलों में कनेर, गुलाचीन व अन्य फूलदार पौधे लगाए थे। जिसमें से करीब 50 से ज्यादा गमले वाहनों के एक्सीडेंट, आवारा पशुओं के गिराने की वजह से चकनाचूर हो गए हैं। वहीं, गमलों के अलावा बीडीए ने दो गमलों के बीच खाली जगह पर भी पौधे लगाकर खुबसूरत फूलदार पौधे लगाए थे। जो अब नियमित देखभाल के अभाव में सूख रहे हैं। पिछले दिनों सीएम योगी आदित्यनाथ जब विकास भवन में मीटिंग के लिए पहुंचे तो चकनाचूर गमलों को हटाकर डिवाइडर पर पोताई कर दी पर सूखे पौधों को पानी नहीं मिला।
यहां पौधे लगे भी थे कि नहीं
बीडीए के डिवाइडर पर कुछ हद तक ग्रीनरी दिखाई दी पर सौ फुटा और पीलीभीत बाईपास पर डिवाइडर पर पौधे लगे भी थे कि नहीं इसका अंदाजा लगा पाना मुश्किल है। सौ फुटा के संकरे डिवाइडर पर दसबजिया और अन्य जंगली झाडि़यों के पौधे लगे हैं, जिसमें से 80 परसेंट तक सूख चुके हैं। वहीं, पीलीभीत बाईपास पर लगाए गए कनेर, गुलाचीन व अन्य फूलदार पौधे नदारद हो चुके हैं। सेटेलाइट से शुरू होने वाले डिवाइडर पर करीब दो किमी। तक एक भी पौधा नहीं है। बीसलपुर चौराहे से इक्का दुक्का पौधे दिखाई दिए तो वह भी गार्डन सिटी के पास से नदारद हो गए। यहां पानी न मिलने से पौधे समेत घास भी सूख चुकी है।
एक नजर में
- जंक्शन, सेटेलाइट, चौकी चौराहा रोड पर लगे पौधे सूख रहे
- गांधी उद्यान से शहामत गंज तक करीब 5 सौ पौधे, 350 सूखे
- 120 गमलों में 50 ही बचे, 70 गमले भी हो चुके चकनाचूर
- पीलीभीत बाईपास, सौ फुटा, मिनी बाईपास पर लगे 10 हजार पौधे
- नियमित देखभाल न होने से सूख चुके हैं करीब 8 हजार पौधे
- बीडीए ने पौधों पर खर्च किए है 1 लाख रुपए, जो हुए बर्बाद
- नगर निगम ने पौधे लगाने में खर्च किए 4 लाख रुपए, बर्बाद
यह है नियम
- बीडीए, पीडब्लूडी और नगर निगम बनाते हैं रोड
- रोड के डिवाइडर पर पौधे लगाता है उद्यान विभाग
- डिवाइडर पर लगे पौधों को पानी देता है नगर निगम
- पौधरोपण का बजट उठाते हैं संबंधित कार्यदायी विभाग
- पौधरोपण के बाद देखरेख की जिम्मेदारी नगर निगम की
डिवाइडर पर लगाए गए पौधों की देखरेख की जिम्मेदारी नगर निगम की है। समुचित देखभाल न होने से पौधों के सूखने का मामला गंभीर है।
सुरेंद्र कुमार, सचिव, बीडीए
डिवाइडर्स पर लगाई गए पौधों को पानी दिया जा रहा है। लेकिन उद्यान विभाग के कर्मचारी सही ढंग से कार्य नहीं कर रहे हैं तो नियमानुसार कार्रवाई होगी।
राजेश कुमार श्रीवास्तव, नगर आयुक्त