यहां दो दर्जन से अधिक बदमाश
बभिया गांव की पोलिंग 1600 है। करीब 3 हजार लोगों की आबादी वाले इस गांव में यादव, कश्यप, गुर्जर, तैली, बढ़ई, यादव और अन्य जाति के लोग रहते हैं। कश्यप और  यादवों के यहां अलग-अलग गुट हैं। सूत्रों के अनुसार, गांव में करीब 20 ऐसे लोग हैं जो आपराधिक वारदातों में लिप्त रहते हैं। यहां एक गुट जगपाल और दूसरा पाताराम का है। इसके अलावा छोटू का भी गुट है। पाताराम मौके के हिसाब से गुट बदल लेता है। मार्च में पुलिस पर हमले के बाद जगपाल व उसके गुट के लोग जेल चले गए थे, तबसे पाताराम छोटू का साथ दे रहा था।

रत्नगढ़ में बह चुका है लहू
बहेड़ी के रत्नगढ़ गांव में 2008 में पुलिस टीम पर हमला हुआ था। यहां पर दबिश के दौरान पुलिस के दो जवान शहीद हुए थे। शाही का मकड़ी खोह गांव में भी कई साल पहले पुलिस पर हमला हुआ था। बदमाश किस कदर बेखौफ हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दरोगा के साथ पहले मारपीट के बाद उसकी वर्दी उतारकर पेड़ पर टांग दी गई थी। इज्जतनगर का कलारी गांव में भी दो गुट आपस में झगड़ते हैं और पुलिस पर हमला करने से नहीं कतराते हैं। इसी थाने के रमपुरा माफी में भी कई साल पहले पुलिस पर हमला हुआ था। इज्जतनगर के ही कर्मपुरा चौधरी गांव भी कुछ ऐसे ही हालात हैं। पुलिस यहां दबिश देने से पहले पूरी फोर्स के साथ ही जाती है। सुभाषनगर के भी गंगा किनारे बसे कुछ गांव में यही हाल है। इनमें वंशीनगला व सनइया मेन हैं। यहां कच्ची शराब व सैक्स रैकेट चलते हैं।

कटरी की याद ताजा
आयुष केस के बाद एक बार फिर से कटरी की याद आ गई। अपहरणकर्ता वारदात को अंजाम देने के बाद कटरी में छुप गए थे। अब बभिया के आरोपी भी कटरी में शरण ले चुके हैं। एसपी क्राइम फरीदपुर से ऑपरेट कर कटरी के गांवों में लगातार रेड डाल रहे हैं। दिन के साथ रात में भी रेड डाली गई। रेड के दौरान पुलिस को कुछ सफतला भी मिली । बभिया में भी रेड डाली गई।

 

Report by : Anil Kumar