लखनऊ (ब्यूरो)। थानों में दर्ज पेंडिंग केसों की विवेचना और कोर्ट में चल रहे ट्रायल केसों को तेजी से निस्तारण कराने के लिए पुलिस ने पिछले दिनों एक ब्लूप्रिंट तैयार किया था। इसके तहत पुलिस यूपीएसएसओ पोर्टल पर हर एक थाने के टॉप-25 केसों को अपलोड कर अपराधियों को सजा दिलाने वाली थी, लेकिन अभी भी शहर के अलग-अलग थानों में सैकड़ों मुकदमों की जांच पेंडिंग है। इनमें सबसे ज्यादा प्रॉपर्टी विवाद और साइबर क्राइम के केस हैं।

लंबे समय से लटकी रहती है विवेचना

लखनऊ कमिश्नेट पुलिस को पांच डिवीजन में बांटा गया है, इसमें सेंट्रल, ईस्ट, वेस्ट, साउथ और नार्थ डिवीजन शामिल है। इसमें कुल 53 पुलिस स्टेशन हैं। इन पुलिस स्टेशन में आए दिन हत्या, डकैती, दुष्कर्म, अपहरण समेत अन्य कई संगीन धाराओं में एफआईआर दर्ज होती हैं, लेकिन केस की जांच के लिए इंवेस्टिगेशन ऑफिसर की कमी, लापरवाही के चलते केस की जांच में कोताही या फिर अन्य किसी कारण से केसों की विवेचना लंबे समय से अटकी रहती है।

पूर्वी जोन में सबसे अधिक केस पेंडिंग

आंकड़ों के मुताबिक, सबसे ज्यादा केस पेंडिंग की जांच गोमतीनगर, सुशांत गोल्फ सिटी, वजीरगंज, ठाकुरगंज, पीजीआई, मड़ियांव, कृष्णानगर, हजरतगंज, मोहनलालगंज आदि थाने में पेंडिंग है। वहीं, जोन वाइज बात करें तो पूर्वी जोन में सबसे ज्यादा केस पेेंडिंग है। इनमें सबसे ज्यादा प्रॉपर्टी विवाद, साइबर क्राइम, दंगा फैलाना, समेत अन्य संगीन धाराओं में दर्ज मुकदमा शामिल है। अधिकारियों ने बताया कि प्रॉपर्टी विवाद और साइबर क्राइम के मुकदमे में सबूत जुटाने में काफी वक्त लगता है, जिस कारण पेंडिंग केस होने लगते हैं।

इसलिए आती है दिक्कत

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि कई बार फॉरेंसिक रिपोर्ट आने में ही महीनों लग जाते हैं, रिपोर्ट नहीं मिलने की वजह से जांच लंबे वक्त तक लटकी रहती है। इनमें सबसे बड़ा उदाहरण प्रॉपर्टी विवाद और साइबर क्राइम के केसों का है। प्रॉपर्टी के दस्तावेज और धोखाधड़ी में कई जगहों से दस्तावेज लिंक होते हैं, इसलिए सभी जगहों से साक्ष्य संकलन में समय लग जाता है। ऐसे में कई बार दस्तावेज के अभाव में चार्जशीट लगाना संभव नहीं। फॉरेंसिक रिपोर्ट मिलने के बाद ही आगे की कार्यवाही तेज की जाती है।

जोन वाइज लंबित मामले

जोन केस

ईस्ट 1606

वेस्ट 1517

साउथ 1346

नॉर्थ 1051

सेंट्रल 796