-कस्टडी में डेथ रोकने के लिए पुलिस अनुसंधान तैयार कर रही रिपोर्ट

-देशभर के पुलिस अफसरों से कस्टडी में डेथ के कारणों पर मांगी रिपोर्ट

BAREILLY: पुलिस की थर्ड डिग्री का नाम सुनते ही अच्छे-अच्छे बदमाशों का पसीना छूट जाता है। लेकिन, बहुत संभव है कि आने वाले दिनों में पुलिस खूंखार क्रिमिनल्स पर भी थर्ड डिग्री का यूज नहीं कर पाए। क्योंकि, पुलिस कस्टडी में अभियुक्तों की डेथ के बढ़ते मामलों से चिंतित केंद्र सरकार कुछ ऐसे नियम बना सकती है, जिसमें थर्ड डिग्री का इस्तेमाल करना बेहद मुश्किल हो जाएगा। फिलहाल, पुलिस अनुसंधान व विकास ब्यूरो ने इस इश्यू पर एक सर्वे किया है। इसकी फाइनल रिपोर्ट सरकार को सौंपने से पहले उसने देशभर के फील्ड से जुड़े हुए पुलिस अफसरों से रिपोर्ट मांगी है।

सीसीटीवी की नजर में हो पूछताछ

फिलहाल, पुलिस अधिकारियों ने बताया कि जो सर्वे रिपोर्ट पुलिस अनुसंधान व विकास ब्यूरो द्वारा तैयार की गई है। उसमें कस्टोडियल डेथ में रोक लगाने के लिए कई उपाय सुझाए गए हैं। जिसमें पूछताछ सीसीटीवी के सामने करना सबसे महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही बड़े शहरों में एक इंट्रोगेशन सेंटर बनाया जाए। जिसमें कैंटीन, मेडिकल रूम, विजिटर रूम और डिफेंस लायर रूम होना चाहिए। डिप्टी एसपी लेवल का अफसर इसका प्रभारी होना चाहिए।

कारणों को खोजने की कोशिश

होता यूं है कि कस्टोडियल डेथ के मामल में पुलिस की बहुत बदनामी होती है। ऐसे में मामलों में मानवाधिकार आयोग जांच करता है। इसके साथ ही कई बार पुलिस कर्मियों पर हत्या तक का मुकदमा होता है। ऐसे में कस्टोडियल डेथ के कारणों को खोजने व उसके बाद इनको दूर करने की पुलिस अनुसंधान द्वारा कोशिश की जा रही है। सिटी के पुलिस अधिकारियों ने बताया कि सर्वे करके रिपोर्ट पांच जून तक एडीजी ह्यूमन राइट कमीशन यूपी को भेजनी है।

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कस्टडी में डेथ के और भी हैं कारण

पुलिस अनुसंधान द्वारा जो सर्वे रिपोर्ट तैयार की गई है। उसमें कस्टडी में डेथ होने के कई कारणों का उल्लेख किया है। जिसमें से कुछ कारण निम्न है।

--हवालात की ऊंचाई कम होना, हवा का वेंटीलेशन ठीक न होना।

- हवालात में बाहरी वस्तुओं का आसानी से आ जाना, यानी की सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता न होना।

-हवालात में सूरज की रोशनी न आना, हवालात के बाहर से अंदर की स्थिति न भांप पाना।

-बंदी की हेल्थ सही न होना, उसका मेडिकल टाइम पर न होना भी है।

- पूछताछ के दौरान थर्ड डिग्री का यूज करना और बंदी में आत्मघाती भावना होना।