बरेली (ब्यूरो)। शहर के प्रमुख बाजारों में बिजली के तारों का मकडज़ाल सा फैला हुआ है। इस समस्या से चौपुला मार्केट, नॉवल्टी चौराहा और सर्किट हाऊस चौराहा रोड भी जूझ रहे हैं। नॉवल्टी चौराहा और चौपुला एरिया में मार्केट हैं। वहीं सर्किट हाउस चौराहे पर तो बिजली के तारों पर वनस्पति बेलें लिपट चुकी हैं। इन्होंने तारों को पूरी तरह कवर कर लिया है। इससे हर समय हादसे का खतरा बना रहता है। जानकारी होने के बाद भी जिम्मेदारों की नींद नहीं टूटी है। क्षेत्रवासियों का कहना है कि शायद विभागीय अफसरों को कोई बड़ा हादसा होने का इंतजार है।

अंडरग्राउंड करने की जरूरत
व्यापारियों का कहना है कि इन उलझे तारों से आए दिन चिंगारियां निकलती रहती हैं। इससे लगभग रोज ही डर बन रहता है। ऐसे में जल्द ही बिजली के तारों को अंडरग्राउंड करने की आवश्यकता है। जब तार अंडरग्राउंड हो जाएंगे तो तारों से निकलने वाली चिंगारी की समस्या ही समाप्त हो जाएगी। साथ ही कहा कि जब तक तारों को अंडरग्राउंड नहीं किया जाता है तब तक इनके फैले मकडज़ाल को समाप्त कर समस्या से निजात दिलाई जाए।


चौपुला मार्केट
चौपुला मार्केट में यह समस्या काफी समय से बनी हुई है। गुजरते वक्त के साथ हालात और भी खराब होते जा रहे हैं। गर्मी आने पर स्थानीय लोगों और व्यापारियों की मुश्किल बढ़ जाती है। अभी तक यहां कोई बड़ा हादसा तो नहीं हुआ है। लेकिन, हर समय हादसे का खतरा बना रहता है। आए दिन तारों से चिंगारी निकलती रहती हंै, जो स्थानीय लोगों के साथ ही व्यापारियों की चिंता बढ़ा देती है।


नॉवल्टी चौराहा
नॉवल्टी चौराहा मार्केट शहर के बीचों-बीच है। यहां पर भी बिजली के तारों का ऐसा मकडज़ाल फैला हुआ है, जो हर समय व्यापारियों की टेंशन बना हुआ है। यहां के व्यापारियों का कहना है कि अभी तक यहां हादसा तो नहीं हुआ है, फिर भी हर समय यहीं खतरा बना रहता है कि कोई हादसे का शिकार न हो जाए। क्योंकि आए दिन तारों से चिंगारी निकलने के साथ ही बंदर झूलकर तारों को तोड़ देते हैं। उसके बाद फोन करने के बाद भी कई-कई दिन कोई उन्हें जोडऩे नहीं आता।


सर्किट हाउस चौराहा
सर्किट हाउस चौराहे पर स्थिति और भी भयावह है। यहां तो बिजली के तारों पर वनस्पति बेलों ने पूरी तरह कब्जा जमा लिया है। ये हालात तब हैं, जब यहां से बिजली विभाग का कार्यालय मात्र कुछ ही दूरी पर स्थित है और बिजली विभाग के अधिकारियों के साथ ही अन्य अधिकारियों का भी आवागमन होता है, लेकिन अभी तक इस ओर किसी का ध्यान नहीं गया है। जब कोई बड़ा हादसा हो जाएगा, तब अधिकारियों की नींद टूटेगी।

वर्जन
एक पोल पर सात से आठ कनेक्शन होते हैं। लेकिन, इंफ्रास्ट्रक्चर के चलते एक पोल पर 15 से 20 कनेक्शन हो जाते हंै। इसके चलते केबिल की संख्या अधिक हो जाती है। अभी अभियान चलाकर इसकी क्लीनिंग कराई जाएगी।
विकास सिंघल, इंजीनियर बिजली विभाग