-इकोनॉमिक डेवलेपमेंट और एनवॉयरमेंट में बदलाव ने बढ़ाई बीमारी

- वर्किंग यूथ को लिया निशाने पर, किशोरों में भी बीमारी ने दी दस्तक

BAREILLY: दुनिया भर को अपनी चपेट में ले रही डायबिटीज बरेली में भी दबे पांव लोगों को तेजी से अपना शिकार बना रही है। साइलेंट डिजीज मानी जानी वाली यह बीमारी पिछले कुछ साल से 3-5 फीसदी की दर से बरेली में लगातार बढ़ती जा रही है। मेडिकल एक्सप‌र्ट्स ने करीब 10 लाख की आबादी वाले शहर में ही 8 फीसदी की दर से 80 हजार से ज्यादा लोगों के डायबिटीज की चपेट में होने की बात कही है। हालांकि इनमें बड़ा वर्ग 40-65 एज ग्रुप का ही है, लेकिन युवाओं, किशोरों और छोटे बच्चों में भी इस बीमारी के बढ़ते मामलों से मेडिकल हब बरेली के लिए यह अलर्ट का समय है।

माहौल बदला, बीमारी बढ़ी

साल 2030 तक भारत में 7-8 करोड़ मरीजों के डायबिटीज से पीडि़त होने की आशंका जताई गई थी। लेकिन 2016 तक ही भारत में 6.9 करोड़ डायबिटीज के मरीज हो गए। ऐसे में एक्सप‌र्ट्स ने 2040 तक देश में डायबिटीज के 19 करोड़ मरीज होने की आशंका जताई है। जिसकी एक बड़ी वजह इकोनॉमिक एनवॉयरमेंट में तेजी से हुआ बदलाव है। हजारों साल में लोगों के जीन्स में होने वाले बदलाव के मुकाबले बीते कुछ दशकों में लाइफ स्टाइल में तेजी से बदलाव हुआ है। इस बदलाव के लिए इंसानी शरीर तैयार न होने से टाइप टू डायबिटीज के मरीजों की तादाद बरेली समेत पूरे भारत में बढ़ी है।

1-2-3 से बिगड़ी सेहत

बरेली में डायबिटीज से जूझ रहे डायबिटीज के मरीजों में काम-काजी युवाओं का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। जिसके पीछे करियर का 1-2-3 फैक्टर बड़ी वजह है। मल्टीनेशनल कंपनीज व कॉरपोरेट कल्चर में नौकरी कर रहे युवाओं से एक नौकरी के बदले में दोगुनी सैलरी देकर तीन गुना तक काम लिया जा रहा है। नौकरी से उपजे वर्क लोड, टेंशन, स्ट्रेस व फिजिकल-मेंटल रिलीफ न मिलने के साथ ही जंक फूड पर बढ़ती निर्भरता से 22-25 साल के वर्किंग युवाओं में भी टाइप टू डायबिटीज घर कर रही है।

डायोबेसिटी के िशकार बच्चे

कभी बुजुर्गो की बीमारी माने जानी वाली टाइप टू डायबिटीज ने बच्चों को भी अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया है। बरेली में टाइप टू डायबिटीज का इलाज कराने वालों में 14-16 साल के किशोर भी हैं। वहंीं ओबेसिटी यानि मोटापे से जूझ रहे बच्चों में भी टाइप टू डायबिटीज ने दस्तक दे दी है। ओबेसिटी के चलते डायबिटीज के बढ़ते मामलों पर एक्सप‌र्ट्स ने इसे डायोबेसिटी नाम दिया है। बरेली में मोटापे के शिकार करीब 45 फीसदी बच्चे या तो टाइप टू डायबिटीज से पीडि़त हैं, या इस बीमारी के मुहाने पर खड़े हैं।

एजिंग सिटी बरेली में डायबिटीज ने वर्किंग यूथ को तेजी से चपेट में लेना शुरू कर दिया है। डायबिटीज बरेली में 3-5 फीसदी के रेट से हर साल बढ़ी है। मोटापे के चलते बच्चों को भी इस बीमारी ने चपेट में लेना शुरू कर दिया है। - डॉ। अजीत साहनी, डायबेटोलॉजिस्ट