- ठेकेदारों ने लॉकडाउन के दौरान कनेक्शन काटने के नाम पर विभाग में लगा दिए करोड़ों के बिल

- विभागीय अधिकारियों ने ठेकेदारों के खिलाफ शुरू की जांच

बरेली : शहर को भले ही शत-प्रतिशत बिजली सप्लाई न मिल रही हो लेकिन आर्थिक लाभ के लिए किए जा रहे विभागीय खेल थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। ऐसा ही एक खेल अब बिजली विभाग में उजागर हुआ है। लॉकडाउन में जब किसी भी प्रकार की विभागीय प्रक्रियाएं नहीं चल रही थी तो कागजों में करोड़ों के कनेक्शन काट दिया जाना अपने आप विभागीय जिम्मेदारों की कार्य शैली पर सवालिया निशान लगा रहा है।

क्या है पूरा मामला

मंडल के बकाएदार विद्युत उपभोक्ताओं के बिजली कनेक्शन काटने के लिए पिछले वित्तीय वर्ष में कई निजी ठेकेदारों के टेंडर हुए थे। इनमें हर महीने 450 कनेक्शन काटने का टेंडर 65 हजार रुपये में तय हुआ था। यानी, हर कनेक्शन काटने के एवज में करीब 141 रुपये का भुगतान बिजली महकमा ठेकेदारों को देता है। इसमें ठेकाकर्मियों का पेमेंट, ट्रांसपोर्टेशन समेत सभी खर्च शामिल हैं। मंडल के जेई संगठन का आरोप है कि कोविड काल में लॉकडाउन के दौरान आठ महीने कनेक्शन नहीं काटे गए। बावजूद इसके बिजली कनेक्शन काटने के करीब ढाई करोड़ रुपये के बिल ठेकेदारों ने दिए हैं। इस हिसाब से ठेकेदारों ने मार्च से सितंबर के बीच मंडल के चारों जिलों में 17 लाख से ज्यादा बकायेदारों के कानेक्शन काट दिए। जेई संगठन ने इसमें साठगांठ का आरोप लगाते हुए चीफ इंजीनियर से शिकायत कर जांच कराने की मांग रखी है।

करोड़ों के खेल में नियम भी ताक पर

संगठन के अध्यक्ष आरके शर्मा ने बताया कि विच्छेदन स्लिप के पीछे प्रत्येक कनेक्शन का विच्छेदन या संयोजन के प्रमाण पत्र के रूप में फोटो लगने थे। यही नहीं, फोटो के पीछे भी उपभोक्ता का पूरा पता लिखना अनिवार्य था। लेकिन अधिकतर अधिशासी अभियंताओं ने ठेकेदारों से स्लिप नहीं ली। कनेक्शन कटने का साक्ष्य लिए बिना ही बिल आगे बढ़ा दिए। चीफ इंजीनियर को दिए ज्ञापन में जेई संगठन के पदाधिकारियों ने भ्रष्टाचार रोकने के लिए बिलों का भुगतान न करने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

जांच में आएंगे कई जद में

जेई संगठन के पदाधिकारियों के अनुसार उच्चाधिकारियों की ओर से अगर मामले की निष्पक्ष जांच की जाती है तो कई अधिकारियों की संलिप्तता भी इस गोलमाल में उजागर हो सकती है। इसलिए विभागीय अधिकारियों के मामला संज्ञान में होने के बाद भी अभी तक जांच प्रक्रिया शुरू भी नहीं की गई है।