बरेली (ब्यूरो)। जिले में नवजात को फेंकने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। बेदर्दी से फेंके गए यह नवजात दम तोड़ रहे हैं। उन्हें बचाने के प्रयास भी सफल नहीं हो पा रहे हैं। ऐसे में महिला कल्याण विभाग की उप निदेशक नीता अहिरवार ने लोगों से अपील की है। उन्होंने कहा है कि नवजात को मरने के लिए नहीं फेंके। अगर उसे पाल नहीं सकते हैं तो किसी सुरक्षित स्थान तक पहुंचा दें। इससे उनकी जान तो बच सकेगी।

ताकि बच सके जान
इज्जतनगर क्षेत्र में कुछ दिन पहले ही एक महिला ने नवजात को झाडिय़ों में इसलिए फेंक दिया था कि वह उसकी बिन ब्याही बेटी की कोख से पैदा हुआ था। झाडिय़ों मेच् बच्चा लोगों को मिला। उसे इलाज के लिए प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका। इधर, एक दिन पहले ही सीबीगंज क्षेत्र में एकच् बच्चा शौचालय में फेंक दिया गया। लोगों को पता चलने तक वह मर चुका था। इस तरह की अमानवीय घटनाओं ने प्रशासन को भी झंकझोर दिया है। महिला कल्याण विभाग की उप निदेशक नीता अहिरवाल ने कहा है कि जो महिलाएं अपनच् बच्चों को जन्म देने या पालने में असमर्थ हैं, वह उन्हें मरने के लिए नहीं फेंके बच्चे को जन्म देने के बाद उसे पास के किसी पुलिस स्टेशन, जिला अस्पताल, किसी भी सरकारी अस्पताल, भीड़ भाड़ वाली जगह या फिर मंदिर में ले जाकर रख दें। इससे कोई भी व्यक्ति उस नवजात को डाक्टर या पुलिस के पास तक पहुंचा देगा, जिससे बच्चे की जान बच जाएगी।

1098 या 112 पर करें काल
उप निदेशक ने बताया कि किसी भी स्थान पर अगर कोई लावारिस बच्चा मिलता है तो सर्वप्रथम 1098 या 112 सहायता नंबर पर फोन करके सूचना दें। ऐसी सूचनाएं बाल कल्याण समिति, जिला प्रोबेशन कार्यालय को भी दे सकते हैं। लावारिस बच्चा मिलने पर महिला कल्याण विभाग उसके जीवन को सुरक्षा, पोषण, संरक्षण समेत अन्य सुविधाएं प्रदान करेगा।

पांच साल में मंडल में 53 नवजात फेंके, 50 सुरक्षित
बरेली मंडल के चारों जिलों में पिछले पांच साल में 53 नवजात को लावारिस रूप में फेंक दिया गयच्। इन बच्चों को महिला कल्याण विभाग की ओर से सुरक्षा दी गई। तीन अति गंभीर होने पर बच नहीं पाए। बाकच्ी 50 बच्चे सुरक्षित हैं। उनमें से कुछ को दत्तक ग्रहण प्रक्रिया से नए माता-पिता और परिवार के साथ सुरक्षित जीवन दिया गया है।

वार्न बेबी फोल्ड व जिला अस्पातल में है पालना
शासन ने करीब चार साल पहले पालना योजना शुरू की थीच् नवजात बच्चों को बचाने के लिए यह योजना शुरू की गई। इसके लिए जिला महिला अस्पताल में और साल्वेशन आर्मी रोड स्थित वार्न बेबी फोल्ड में भी पालना लगाया गया.च्जो लोग बच्चों को जन्म देने के बाद उन्हें नहीं पाल सकते, यह उन बच्चों को वहां रख सकते हैं। चार साल में आज तक एक भी लावारिस नवजात इन पालनों में नहीं रखकर गया।

पांच वर्षों में लावारिस मिले नवजात
जिला - बालक - बालिका - कुल - जीवित बालक - जीवित बालिका
बरेली - 7 - 12 - 19 - 6 - 12
बदायूं - 5 - 15 - 20 - 5 - 14
पीलीभीत - 1 - 1 - 2 - 0 - 1
शाहजहांपुर - 3 - 9 - 12 - 3 - 9

वर्जन
नवजात को फेंकना अमानवीय व असामाजिक है। मगर कोई महिला बच्चे को पालने की स्थिति में नहीं है तो वह उसे किसी भी सुरक्षित जगह पर छोडक़र जा सकती है। इससे बच्चे की जान बच जाएगी।
नीता अहिरवार, डिप्टी सीपीओ