- न्यू ईयर 2020 का आगाज हो चुका है। यह सिर्फ नया साल ही नहीं बल्कि नए दशक में प्रवेश है। बीते दशक ने शहर को कई बेहतरीन तोहफे दिए। आइए अब पलटकर देखते हैं कि दस साल में हुए एजुकेशन के क्षेत्र में क्या-क्या बदलाव हुए। साथ ही उन शहरियों से भी बात करेंगे जिन्होंने दशक के इन बदलावों को देखा और महसूस किया। बल्कि जिया भी है।

- बीसीबी नहीं बन सका विवि

- दशकों से मांग हो रही थी की बरेली कॉलेज को स्टेट यूनिवर्सिटी का दर्जा दिया जाए। इसके लिए शहर के केंद्रीय मंत्री और यूपी सरकार के वित्त मंत्री ने भी मांग रखी कि स्टेट यूनिवर्सिटी का दर्ज दिलाया जाए। हालांकि बरेली कॉलेज यूनिवर्सिटी बनाने के सभी मानक भी पूरे करता है लेकिन इसके बाद भी यूनिवर्सिटी को दर्जा नर्ही दिया जा सका। हालांकि इसके लिए आज भी बरेलियंस को आस है।

यह मिली राहत

- आरयू के अप्लायड कोर्सेस मेन कोर्सेस में शामिल

- आरयू ने शुरू किया दूसरे विवि की तरह चैलेजिंग मूल्यांकन सिस्टम

- समय पर नए सत्र की शुरुआत और रिजल्ट भी सभी कोर्सेस के एक साथ जारी

-पं। दीनदयाल उपाध्याय स्पो‌र्ट्स स्टेडियम को मिली सिंथेटिक ट्रैक की सौगात

-आरयू को एक ग‌र्ल्स और तीन ब्वॉयज हॉस्टल मिले

-सोलर पैनल से जगमग हुआ आरयू कैंपस

-शहर में सबसे ऊंचे तिरंगा ने बढ़ाई आरयू की शान।

-प्रशासनिक भवन के सामने लगाई गई ज्योतिबाफुले की प्रतिमा

- ओपन जिम और ओपन क्लासेस के लिए अलग व्यवस्था

- आरयू के हाईटेक मीडिया सेंटर से प्रशिक्षण ले रहे स्टूडेंट्स

- पर्यावरण सब्जेक्ट को अनिवार्य किया गया

- उच्च शिक्षा में रिसर्च से रिलेटेड पारदर्शिता बरती, धांधली कर रिसर्च नहीं कर सकता

- व्यवसायिक शिक्षा में इंडस्ट्रीकेशन पार्टनरशिप करें, उनके स्किल डेवलपमेंट कोर्सेस को बढ़ावा

-स्टूडेंट्स और टीचर्स को गांव में जाकर समाज सेवा के भी अंक भी दिए जाएंगे

-डिजिटल लाइब्रेरी

-सभी विवि के सिलेबस को समान कर दिया गया

-सेमेस्टर सिस्टम लागू कर दिया गया

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यह कमी आज भी बरकरार

- रोजगार के साधन नहीं बढ़े

-गुणवत्तापरक फैकल्टी बढ़ाई जाए

- एजुकेशन के लिए सोर्सेस कम

-यूजी पीजी और इंजीनियरिंग के बाद कैंडिडेट्स को जॉब के लिए मारामारी

- मेडिकल कॉलेज की आज भी आस

- टीचर्स की खाली वैकेंसी फिल हो

- वर्षो पुराने कोर्स से बना रहे स्टूडेंट्स को योग्य

- कई प्रोफेशनल कोर्सेस की स्थिति आज भी दयनीय

- सुविधाओं के अभाव में कॉलेज स्तरीय स्पो‌र्ट्स की स्थिति भी खराब

- छात्र राजनीति भी शिक्षण संस्थानों पर पड़ रही भारी

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आरयू ने अब समय पर अपने सत्र शुरू करने के साथ इस बार से सभी कोर्सेस के एक साथ रिजल्ट जारी करने का काम भी शुरू कर दिया है। इस बार आरयू ने सभी कोर्सेस के रिजल्ट एक साथ जारी किए। इसके साथ कई बदलाव किए, जिसका सीधा लाभ कैंडिडेट्स को मिलेगा।

संजीव सिंह, परीक्षा नियंत्रक आरयू

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प्राइवेट इंस्टीट्यूशन की संख्या तो बढ़ी, लेकिन क्वालिटी वाले स्टूडेंट नहीं निकल रहे हैं। सरकार उन्हें सुविधाएं मुहैया नहीं करा रही है। गेस्ट लेक्चर आदि की सुविधा भी नहीं है। स्टूडेंट्स को सिर्फ स्कॉलरशिप देने से काम नहीं चलेगा। शिक्षा की क्वालिटी में भी सुधार करना होगा।

डॉ। विकास पांडेय, बरेली कॉलेज बरेली

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- रिसर्च समाज के हित में होने चाहिए, ऐसी रिसर्च का कोई फायदा नहीं जो समाज के हित में न हो। विवि की तरफ से डिजिटलाइलेशन, प्रोफेशनल कोर्सेस में सेमेस्टर आदि लागू हुआ है।

डॉ। अमित वर्मा, आरयू फार्मेसी डिपार्टमेंट