- शहर के सब स्टेशन पर लगाये जा रहे 'ऑटोमेटिक मीटर रीडिंग' सिस्टम

- डिमांड से अधिक बिजली खपत का कर्मचारियों को देना होगा हिसाब

BAREILLY:

किसी फीडर पर डिमांड से अधिक बिजली की खपत होती है, तो अब इसके लिए सीधे तौर पर जेई जिम्मेदार होंगे। सिस्टम को अपडेट करते हुए बिजली विभाग ने सब स्टेशन से जुड़े सभी फीडर पर ऑटोमेटिक मीटर रीडिंग 'एएमआर' से लैस कर दिया है, जिससे हर एक एरिया में लाइन लॉस काउंट होगा और इसकी सूचना सीधे लखनऊ शक्ति भवन को सेंड हो जाएगी, जिसके बाद मुख्यालय एक्शन लेगा। फिलहाल, बरेली के दो सब स्टेशन पर ट्रॉयल के तौर पर एएमआर सिस्टम लगाया गया है।

सब स्टेशन पर लगे एएमआर

लखनऊ मुख्यालय से मिले दिशा निर्देश के बाद शहर के दो सब स्टेशन पर एएमआर लगाए गये हैं। पहला सिविल लाइंस के पास बने नए सब स्टेशन और दूसरा रामपुर गार्डेन में स्थित सब स्टेशन पर एमआर लगाये गये हैं। एक सब स्टेशन से 5-6 फीडर जुड़े होते हैं। सब स्टेशन से जिन-जिन फीडर को बिजली की सप्लाई होती है उनके सभी पैनल पर एक-एक एएमआर लगाये गये हैं। किस फीडर के तहत कितनी बिजली की खपत हो रही है, उसकी प्रत्येक यूनिट का रिकॉर्ड एएमआर में दर्ज होता रहता है। इसके लिए कर्मचारियों को अलग से कोई रिकॉर्ड मेंटेन करने की जरूरत नहीं होगी। शहर के बाकी 17 सब स्टेशन पर भी एएमआर लगाये जाने का काम होगा।

मनमाना बिजली की सप्लाई नहीं

एएमआर से बिजली खपत की मॉनीटरिंग करना काफी आसान हो जाएगा। एक भी यूनिट बिजली की गड़बड़ी होने के चांस नहीं है। एएमआर लगाने के पीछे कर्मचारियों की मनमानियों पर रोक लगाना है। जैसे- किसी फीडर से 5 हजार बिजली कंज्यूमर्स जुड़े हैं। 2 किलोवॉट के हिसाब से 10 हजार किलोवॉट बिजली की खपत हुई। यदि, संबंधित फीडर पर इससे अधिक बिजली की खपत हो रहा है, तो यह एएमआर से तुरंत पता चल जाएगा। यानि की संबंधित क्षेत्र में कंज्यूमर्स के अलावा और भी ऐसे कई लोग है जो चोरी से बिजली का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिस पर क्षेत्र के बिजली कर्मचारी लाइनमैन, जेई रोक नहीं लगा पा रहे है।

एएमआर कैसे करेगा काम

सब स्टेशन पर लगे एएमआर सेटेलाइट से जुड़े हुए हैं। इसमें एक चिप भी लगा हुआ है। जो कि बिजली खपत का रिकॉर्ड रखेगा। यह रिकॉर्ड डायरेक्ट लखनऊ शक्ति भवन कंट्रोल रूम तक पहुंचता रहेगा, जिसकी मॉनीटरिंग मुख्यालय के अधिकारी डायरेक्ट करेंगे। सबसे अच्छी बात यह है कि एएमआर में 20 वर्ष तक का डाटा स्टोर रहेगा। आवश्यकता से अधिक बिजली की खपत होने पर इसकी जवाबदेही जेई की होगी। उन्हें यह बताना होगा कि अधिक बिजी खर्च क्यों हो रही है। यदि कंज्यूमर्स के यहां बिजली का अधिक लोड हैं तो उसकी अपेक्षा राजस्व की प्राप्ति क्यों नहीं हो रही है। संतोषजनक जवाब नहीं देने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

सब स्टेशन पर एएमआर लगाने का काम हो रहा है। इससे यह आसानी से पता चल सकेगा कि किस फीडर के तहत कितनी बिजली की खपत हो रही है। बिजली की मनमाना खपत पर रोक लगाने में मदद मिलेगी।

मनोज पाठक, एसई, बिजली विभाग