-मृतक आश्रित कोटे में पाई थी कॉन्स्टेबल ने जॉब, 2013 में हो गया था बर्खास्त

BAREILLY :

चोरी में पकड़े जाने के बाद बर्खास्त हुए पुलिस कॉन्स्टेबल ने ठगी और धोखाधड़ी का धंधा शुरू कर दिया। आरोपी को साथी कॉन्स्टेबल का बॉक्स चोरी पर 27 माह तक जेल में रहना पड़ा। लेकिन जेल से छूटने के बाद कॉन्स्टेबल सुधरने के बजाय अपराधी बन गया, और लोगों से पुलिस में जॉब दिलाने के नाम पर लाखों की ठगी करने लगा। यह जानकारी एसपीआरए डॉ। सतीश कुमार ने प्रेस कॅान्फ्रेंस में थर्सडे को दी। उन्होने बताया कि आंवला इंस्पेक्टर टीम के साथ वेडनसडे को बदायूं से उसे गिरफ्तार किया।

2013 में किया गया था बर्खास्त

पीलीभीत थाना बरखेड़ा के गांव पिपरिया मंडन निवासी राजेश पाल सिंह के पिता स्व। रामपाल सिंह पुलिस में थे। उनकी मौत के बाद राजेश पाल की मृतक आश्रित कोटे से 2006 में कॉन्स्टेबल की जॉब मिली और बदायूं में तैनाती मिली। राजेश पाल सिंह बदायूं के दातागंज, उसहैत, हजरतपुर, सिविल लाइंस थाने में भी तैनात रहा। बदायूं के सिविल लाइंस थाने में तैनाती के दौरान राजेश पाल ने कॉन्स्टेबल साथी का बैरक से बॉक्स चोरी कर लिया। जिसकी रिपोर्ट दर्ज हुई तो बॉक्स राजेश पाल के पास से बरामद हुआ। जिसमें राजेश पाल सिंह को बर्खास्त कर दिया गया।

पांच केस है दर्ज

पुलिस ने बताया कि कॉन्स्टेबल राजेश पाल सिंह पर दो केस भमोरा और तीन केस बदायूं के थाना सिविल लाइंस में दर्ज हैं। इन मामलों में उसे जेल भेज दिया गया था। जेल से कांस्टेबल 27 माह बाद छूटा था। जिसके बाद राजेश पाल ने लोगों से पुलिस में जॉब दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी करना शुरू कर दिया। धोखाधड़ी का शिकार हुए प्रदीप गुप्ता निवासी देवचरा भमोरा ने 14 मई 2018 को एक एफआईआर धोखाधड़ी की दर्ज कराई। धोखाधड़ी करने वाले कॉन्स्टेबल राजेश पाल सिंह ने प्रदीप को बताया कि वह एसएसपी ऑफिस बरेली में तैनात है।

खरीदकर देता था वर्दी

पुलिस गिरफ्त में आए राजेश पाल सिंह ने बताया कि वह लोगों से पुलिस में फॉलोवर और पुलिस में ड्राइवर की जॉब दिलाने के नाम पर एक लाख से डेढ़ लाख तक की ठगी करता था। उन्हें वर्दी और नेम प्लेट भी खरीदकर देता था। लेकिन जब तक उन्हें ठगी का एहसास होता था तब तक वह फरार हो जाता था।