स्पेशल न्यूज

- दैनिक जागरण आईनेक्स्ट से हुई बातचीत में महंत ने बताया दोनों का गोरखधंधा

- बाबा का चोला ओढ़कर दोनों कर रहे बहेड़ी में जमीन पर कब्जा, बेच रहे प्लॉट

BAREILLY:

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की ओर से जारी 14 फर्जी बाबाओं की सूची में दर्ज बाबा धर्म की आड़ में बिल्डर बन गए हैं, जो 250 बीघे जमीन पर कब्जा कर प्लॉटिंग कर रहे हैं। अब तक करीब 45 प्लॉट की बिक्री भी कर दी है। बाबा अलखनाथ मंदिर के महंत कालू गिरी ने दैनिक जागरण आईनेक्स्ट से बातचीत में यह जानकारी दी। बता दें कि मंडे को एसएचओ किला केके वर्मा ने मंदिर में महंत से मुलाकात की और दोनों निष्कासित बाबाओं के बारे में जानकारी ली।

रिक्शाचालक से 'बाबा' बना

महंत के मुताबिक सिविल लाइंस हनुमान मंदिर से किला तक बृहस्पति गिरी 15 वर्ष पहले रिक्शा चलाता था। जो मढ़ीनाथ बंशीनगला का निवासी है। वह अलखनाथ मंदिर तक हनुमान मंदिर से छत्र, त्रिशूल व अन्य सामग्री पहुंचाता था। महंत धर्मगिरी के संपर्क में आने के बाद साधुओं का भगवा पहन लेता था। उसने बाबा धर्मगिरी से मंदिर कमेटी में सदस्य बनने की इच्छा जताई। जिसे स्वीकार किया और सदस्य बना। दूसरी ओर, बहेड़ी निवासी मलखान सिंह के पिता अलखनाथ मंदिर में रसोइया थे। जिनके साथ मलखान सिंह भी मंदिर में आता जाता था। धीरे-धीरे वह बृहस्पति गिरी से संपर्क साधकर बाबा बन बैठा।

यूं शुरू हुआ गोरखधंधा

महंत कालूगिरी के मुताबिक वर्ष 2006 में दोनों ने मिलकर बाबा धर्मगिरी की हत्या का षडयंत्र रचा था। हत्या कराने के बाद मलखान ने हत्या के मुख्य आरोपी मनोज की भी हत्या कर दी। ताकि उनका राज न खुले। इस हत्या के मामले में मलखान ने महंत बाबा बालकनाथ पर आरोप लगाया। जिसके बाद बाबा बालकनाथ 10 माह तक जेल में भी रहे। इसी बीच दोनों ने मिलकर अलखनाथ मंदिर की संपत्ति पर कब्जा जमाना शुरू कर दिया। वहां के साधुओं को जो उनके साथ नहीं थे उन्हें मंदिर के बाहर निकाल दिया और अपनी मनमानी करने लगे। जेल से छूटकर आने के बाद बाबा बालकनाथ ने दोनों को मंदिर से बर्खास्त कर दिया।

गिरोह का बन गए सदस्य

मंदिर से निकाले जाने के बाद दोनों एकजुट होकर बहेड़ी चले गए। वहां अलखनाथ मंदिर के बनाए गए शिव मंदिर में खुद को बाबा घोषित कर दिया। वहां निवासियों ने इनपर गोशाला की गायों की तस्करी का आरोप लगाया। पुलिस की पूछताछ से तंग आकर दोनों ने यह मंदिर छोड़ दिया और 2010 में कुख्यात ईनामी नरेशा गिरोह के सदस्य बन गए। गिरोह के मुखिया नरेश के एनकाउंटर के बाद दोनों ने जमीन पर कब्जा जमाना शुरू किया। अभी तक करीब 60 बीघा से ज्यादा जमीन बहेड़ी में, बरेली में ईसाइयों की पुलिया स्थित पंचमुखी हनुमान मंदिर पर और करीब उसके आस पास कब्जा कर दुकान चलाने का आरोप है।

एक नजर में ।

- रिक्शाचालक था बृहस्पति गिरी, मलखान था रसोइया

- मंदिर में मुलाकात के बाद दोनों ने रची थी साजिश

- बाबा धर्मगिरी की हत्या में दोनों पर हैं गंभीर आरोप

- खुद को घोषित किया महंत, लेकिन अखाड़े ने नकारा

- गौ तस्करी का आरोप, नरेशा गिरोह के बने थे सदस्य

- 2010 में दोनों पर अलखनाथ मंदिर में लूट का आरोप

मंदिर से लूटने का आरोप

- 2.5 किलो सोना

- 10 लाख नगद

- 8 अष्टधातु की मूर्ति

- 1 छत्र और त्रिशूल

- 10 टन पुराने पीतल के घंटे

मलखान और बृहस्पति गिरी दोनों बाबा के नहीं ढोंगी हैं। दोनों बाबा के चोले के पीछे से जमीन पर कब्जा और प्लॉट काट कर बेच रहे हैं। देवालय में इन्होंने ही लूटपाट की। इन पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

महंत कालू गिरी, अलखनाथ मंदिर