-आज सेलीबे्रट किया जाएगा फ्रेंडशिप डे

-व्हाट्सएप से यादों को कर रहे ताजा

<-आज सेलीबे्रट किया जाएगा फ्रेंडशिप डे

-व्हाट्सएप से यादों को कर रहे ताजा

BAREILLY: BAREILLY: बचपन के दोस्तों की बात ही कुछ अलग होती है। ताउम्र हम उन्हें भुला नहीं सकते। स्कूल और कॉलेज का सफर खत्म होने के बाद लाइफ प्रोफेशनल होने लगती है। पुराने दोस्त सिर्फ यादों तक सीमित रह जाते हैं, लेकिन उनसे बात करने और मुलाकात की चाहत अक्सर हमें सताती रहती है। ऐसे में वर्चुअल व‌र्ल्ड ने न केवल दोस्तों को एकजुट करने का काम किया है, बल्कि उन्हें सोशल एक्टिविटी से भी कनेक्ट कर दिया है। ऐसे में आज सेलीब्रेट किए जाने वाले फ्रेंडशिप डे के मौके पर आई नेक्स्ट आपको दोस्तों के नए अड्डे के बारे में बताने जा रहा है, जहां मौज मस्ती और हंसी की फुहारों के बीच कई मैसेज उन्हें सोशलिस्ट बनाने का काम भी कर रहा है।

स्कूल फ्रेंड्स फॉरएवर

'कॉलेज इज ओवर, बट वी आर फ्रेंड्स फॉरएवर' यह कहना है 'स्कूल फ्रेंड्स फॉरएवर' ग्रुप का। दोस्तों को हमेशा अपने साथ रखने के लिए विभिन्न नामों से ग्रुप क्रिएट किए गए हैं। ग्रुप एडमिन के मुताबिक दोस्तों के साथ जुड़े रहने का ग्रुप एक बेहतर जरिया है, जहां हम सभी खुद में आसमां समेटे होते हैं। दुनियादारी की बातें करते हैं। ग्रुप में करीब 8म् फ्रेंड्स हैं।

सुधीर कुमार सिंह, ग्रुप एडमिन

केजी से ग्रेजुएशन तक के फ्रेंड्स

एक ग्रुप एडमिन ने क्लास केजी से ग्रेजुएशन तक के फ्रेंड्स को एड किया है। ग्रुप का नाम 'सूरजभान विद्याभवन' है। इसमें सन क्98भ् से ख्00भ् तक के करीब ब्म् फ्रेंड्स जुड़े हुए हैं, जिनमें से ज्यादातर मुंबई, बंगलुरु, दिल्ली, गुड़गांव समेत फॉरेन में भी सेटल हो गए हैं। इस ग्रुप के जरिए वह अपनी बचपन की बात करने के साथ ही सोशल व‌र्क्स के लिए भी एक दूसरे की हेल्प लेते हैं।

जितेंद्र, ग्रुप एडमिन

'ब्रह्मा' करेगा मदद

यूं तो भगवान धरती पर खुद प्रकट होकर किसी की मदद नहीं करता बल्कि इंसान के जरिए ही मदद एक से दूसरे तक पहुंचाता है। यह कहना है 'ब्रह्मा' ग्रुप के एडमिन का। जिसके माध्यम से यह ग्रुप जरूरतमंदों की मदद कर रहा है। इसमें प्लांटेशन, ब्लड डोनेशन, अनाथालय के बच्चों को फल और भोजन वितरण समेत अन्य काम किए जा रहे हैं। उनके मुताबिक प्रजेंट में व्हाट्सएप यूजर फ्रेंड अथवा फैमिली ग्रुप में एड हैं। अमित खंडेलवाल, ग्रुप एडमिन

क्ब् परिवारों का ठिकाना

ग्रुप का नाम 'घनचक्कर'। चौंक गए न, कि आखिर परिवार का ठिकाना 'घनचक्कर' कैसे बन गया। ग्रुप एडमिन के मुताबिक यूं ही एक दिन फैमिली मेंबर्स के साथ बातचीत के दौरान ख्याल आया कि ग्रुप क्रिएट किया जाए। और फिर सिलसिला शुरू हुए एक ऐसी फैमिली ग्रुप का, जहां हर कोई मौजूद हो। इस ग्रुप में चाचा, चाची, भाभी, मामा, बुआ, समेत करीब क्ब् फैमिलीज के भ्म् मेंबर्स जोड़े गए हैं। पहले ग्रुप का नाम 'घनचक्कर' था, जो बिजनेस परपज से रखा गया था। जिसे बाद में एक दिन ग्रुप एडमिन ने बदलकर घनचक्कर कर दिया।

गोपाल, ग्रुप एडमिन