- जिला पंचायत चुनाव में ड्यूटी से बचने के लिए लगा रहे हॉस्पिटल के चक्कर

- बिना फ्रैक्चर टांग पर प्लास्टर, तो कोई खुद को लकवा का मरीज प्रूव कराने को परेशान

BAREILLY:

केस -1 बीसलपुर निवासी शिक्षक वीके गंगवार मंडे सुबह पैर में प्लास्टर लगाए डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल पहुंचे। ओपीडी में पहुंचकर फिजिशियन से पैर टूटा होने का मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाने की मांग की। फिजिशियन के पूछने पर शिक्षक ने बताया कि प्लास्टर एरिया के ही एक एमबीबीएस डॉक्टर ने लगाया है। शिक्षक जिला पंचायत चुनाव के लिए लगाई गई अपनी ड्यूटी के लिए परेशान थे। फिजिशियन ने शिक्षक का एक्स-रे कराया। रिपोर्ट में प्लास्टर चढ़े पैर में एक भी फ्रैक्चर नहीं मिला।

केस-2

सीबीगंज निवासी एक सरकारी बाबू ट्यूजडे को डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल पहुंचे। सरकारी बाबू ने ओपीडी पहुंचकर खुद में पैरालिसिस के लक्षण बताएं। फिजिशियन को बताया कि हाथ-पैर झनझनाहट के साथ सुन्न पड़ते हैं और सिर दर्द और चक्कर आता है। फिजिशियन ने सीटी स्कैन सहित बीपी व कई अन्य जांच कराने को कहा। हॉस्पिटल में ही जांचे हुई। सारी जांचे नॉर्मल आई। रिपोर्ट सामान्य मिलने पर सरकारी बाबू का चेहरा उतर गया। सरकारी बाबू चुनाव में लगी ड्यूटी के लिए परेशान थे और बीमारी में ऐसी मशक्क्त से बचना चाह रहे थे।

यह दो केसेज महज बानगी हैं। चुनाव के नजदीक आते ही शुरू होने वाले बीमारी के बहानों के। जिला पंचायत चुनाव में प्रशासन की ओर से ड्यूटी लगाए जाने के बाद कई कर्मचारियों को सरकारी नौकरी की यह मजबूरी रास नहीं आ रही। चुनावी ड्यूटी को मना न कर सकने की मजबूरी उन्हें डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल की राह पर ले जा रही। ऐसी राह जहां उन्हें अजीबो गरीब बहानों की बुनियाद पर चुनावी ड्यूटी से छुटकारा मिलने की उम्मीद है। लेकिन पारखी डॉक्टर्स और मेडिकल जांच चुनावी ड्यूटी के सताए ऐसे सरकारी मुलाजिमों की उम्मीदों को मटियामेट कर रही है।

सिर्फ मेडिकल से सहारा

9 अक्टूबर को होने वाले जिला पंचायत चुनाव के लिए प्रशासन की ओर से तमाम सरकारी विभागों समेत स्कूल कॉलेजों की मदद ली जा रही है। प्रशासन की ओर से मांगी गई यह मदद कई सरकारी कर्मचारियों व शिक्षकों के लिए गले की हड्डी बन गई है। चुनाव ड्यूटी से बचने के लिए ऐसे लोग बीमार या चोटिल होने के बहाने बनाकर 'बेकार' की मेहनत से बचना चाह रहे हैं। इसके लिए डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल ही उनकी इकलौती उम्मीद बन रहा। क्योंकि सिर्फ सरकारी हॉस्पिटल के ठप्पे से ही उन्हें चुनावी ड्यूटी के लिए अनफिट माना जाता है।

ओपीडी में बहानों की भरमार

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल की ओपीडी में पिछले कुछ दिनों से बीमारों के साथ ही बहानेबाजों की भी तादाद बढ़ गई है। चुनावी ड्यूटी से दहशतजदा कर्मचारी मतदान तो दूर इसे लिए प्रशासन की ओर से कराई जा रही ट्रेनिंग में भी जाने से बचना चाह रहे। हॉस्पिटल के डॉक्टर्स के मुताबिक चुनाव में ड्यूटी से बचने के लिए कई लोग बीमारी या चोटिल होने के बहाने लेकर ओपीडी पहुंच रहे। हर बार चुनाव से पहले बहानेबाज मरीजों की संख्या बढ़ जाती है। लेकिन जांच पड़ताल के बाद सभी झूठे केसेज पकड़ में आ जाते हैं।

ओपीडी में कई मरीज बिना बीमारी के भी पहुंच रहे हैं। चुनाव में ड्यूटी को लेकर कई लोग बीमार या चोटिल होने की बात बताते हैं। इनकी प्रॉपर मेडिकल जांच कराई जाती है। जिससे किसी असल केस की जान जोखिम में न पड़ जाए। जो केसेज फर्जी पाए जाते हैं, उन्हे वापस कर दिया जा रहा है।

- डॉ। एम अग्रवाल, फिजिशियन