-ग‌र्ल्स के साथ फब्तियां कसने वाले और छेड़खानी करने वालों को सिखाएं सबक

-पुलिस प्रशासन को भी ऐसे शोहदों और गुंडों के साथ सख्ती आए पेश

BAREILLY

शोहदे ग‌र्ल्स को रास्ते व स्कूल-कॉलेज में फब्तियां कसते हैं, जिसके चलते कई बार ग‌र्ल्स को शर्मिदा होना पड़ता तो कई बार ग‌र्ल्स के परिजन तंग आकर उन्हें कॉलेज भेजना ही बंद कर देते हैं। वेडनसडे को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के कैंपेन नायसिल गर्मी लगी क्या में कॉलेज होलीगेंस एंड रोड साइड रोमियो पर बरेलियंस ने बेबाक होकर राय रखी। शोहदों की बढ़ती हरकत को किसी ने पुलिस प्रशासन की नाकामी बताई, तो किसी ने ग‌र्ल्स में सेल्फ डिफेंस की कमी बताई। लोगों का कहना था कि ग‌र्ल्स छेड़खानी के मामलों को बदनामी के डर से अक्सर छिपा लेती है, लेकिन उन्हें उसी वक्त शोहदों का विरोध करना चाहिए और ऐसा सबक सिखाना चाहिए, जिससे वह दोबारा किसी भी लड़की व महिला के साथ अभद्र व्यवहार करने की हिम्मत ने कर सकें।

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प्रेमनगर मोहल्ले में थाना के पास सुबह करीब 10:30 बजे शुरू हुई चर्चा में इस्लाम ने कहा कि शहर में कॉलेज जाने वाली ग‌र्ल्स आज भी सुरक्षित नहीं हैं। ग‌र्ल्स के साथ अक्सर रोड पर खड़े शोहदे फब्तियां कसते हैं। तभी वंदना सिंह ने कहा कि ग‌र्ल्स को कभी छेड़खानी होने पर शांत नहीं रहना चाहिए। बल्कि पुलिस से कंप्लेन करनी चाहिए, जिससे दोबारा छेड़खानी करने वाला हिम्मत न कर सके। श्ालिनी सिंह ने कहा कि कई बार स्कूल के सामने शोहदे छेड़खानी करते हैं। इसके बाद भी कॉलेज प्रशासन पुलिस से शिकायत करने की हिम्मत नहीं कर पाता, क्योंकि उन्हें लगता है कि कॉलेज की बदनामी होगी। तभ्ाी अमन सिंह ने कहा कि कॉलेज प्रशासन को ग‌र्ल्स को सेल्फ डिफेंस को लेकर सजग रहना चाहिए। अक्सर ग‌र्ल्स कॉलेज या कोचिंग को जाते समय ही छेड़खानी का शिकार होती हैं। मोहम्मद रिजवान ने कहा कि ग‌र्ल्स के परिजनों को भी चाहिए के वह सुरक्षा के प्रति सजग रहें। जरूरत पड़ने पर पुलिस की मदद लें। नीलम ने कहा कि पेरेंट्स को चाहिए कि वह ग‌र्ल्स को कॉलेज भेजते समय भड़काऊ कपड़े पहनाने से बचें। इसके साथ मोनिका, प्रतीक मित्तल, शिखा, पूनम, शादाब, विनायक, अतीक और हिमांशु आदि ने विचार रखे।

वर्जन

कॉलेज जाने वाली ग‌र्ल्स अक्सर छेड़खानी का शिकार होती हैं। कॉलेज प्रशासन भी शोहदों के खिलाफ एक्शन को लेकर कदम आगे नहीं बढ़ाता है। अक्सर परिजन भी बात टालने की कोशिश करते हैं।

मोनिका शर्मा

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ग‌र्ल्स के साथ छेड़खानी और फब्तियां कसने वालों में पुलिस प्रशासन का भय नहीं रह गया है। पुलिस भी शोहदों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं करती है। एक-दो दिन अभियान चलाकर शांत हो जाती है।

ंदना सिंह

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दूसरा पड़ाव करीब डेढ़ बजे सुभाषनगर मोहल्ले के कालीचरन मार्ग पर शुरू हुआ, जिसमें िशवानी अग्रवाल ने कहा कि छेड़खानी करने वाले शोहदों को सबक सिखाने के लिए सेल्फ डिफेंस के गुर ग‌र्ल्स को सीखना चाहिए। तभी सुमन सक्सेना ने कहा कि ग‌र्ल्स के परिजनों को भी सुरक्षा के प्रति अवेयर होना चािहए। अंकुश ने कहा कि लड़कों को अपने फ्रेंडस को भी समझाना चाहिए कि वह छेड़खानी न करें। सुनील कुमार ने कहा कि ग‌र्ल्स को कॉलेज अकेले नहीं बल्कि पैरेंट्स को छोड़ना चाहिए। जिससे शोहदे खुद-ब-ख्ाुद डरेंगे। महेन्द्र पाण्डेय ने कहा कि शहर में कालेज के बाहर पुलिस गश्त बढ़ाई जाए, जिससे शोहदे आसपास आने से डरे। मयंक ने कहा कि ग‌र्ल्स के साथ छेड़खानी होने पर वह इग्नोर कर देती हैं.वह सोचती हैं कि इस बार नहीं अगली बार छेड़खानी करेगा, तो परिजनों और पुलिस से कंप्लेन करूंगी, लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए। कंप्लेन तुरंत करनी चाहिए। इसके साथ डॉ। आदेश दोषी बालियान, हरीश, सुनील, मयंक, विशाल, रीना, मुन्नी देवी,राजेन्द्र कश्यप और आकाश ने अपने विचार रखे।

वर्जन

स्कूल व कॉलेजेज के आसपास शोहदों की नकेल कसने के लिए पुलिस तैनात नहीं रहती है। यही वजह है कि शोहदे बेखौफ होकर स्कूल टाइम में मंडराते रहते हैं

शिवानी

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तीसरा पड़ाव तीन बजे बदायूं रोड पटेल विहार कालोनी में करीब 03:00 शुरू हुआ, जिसमें मंजू तोमर ने कहा कि पेरेंट्स के लिए ग‌र्ल्स से फ्रेंडस जैसा व्यवहार होना चाहिए, जिससे वह अपनी कोई भी प्रॉब्लम खुलकर शेयर कर सके। तभी एमआर बालियान ने कहा कि पेरेंटस को चाहिए कि वह अपने बच्चों को भी अवेयर करें। छेड़खानी होने पर परिजनों और पुलिस से कंप्लेन करें। ज्योति ने कहा कि कॉलेज ग‌र्ल्स को पढ़ाई के साथ सेल्फ डिफेंस के गुर सीखना बहुत जरूरी है। ग‌र्ल्स सेल्फ डिफेंस सीखेंगी,तो वह शोहदों को सबक सिखाने में सक्षम होंगी। अनुपम ने कहा कि हमारे सामने यदि कोई शोहदा छेड़छाड़ कर रहा है तो हमें एक्शन लेना चाहिए। न कि चुपचाप देखते रहना चाहिए। तभी अभिषेक यादव ने कहा कि ग‌र्ल्स के साथ छेड़खानी होने या फब्तियां कसने पर उन्हें डायल 100 को कॉल करनी चाहिए। पुलिस प्रशासन ने ग‌र्ल्स के लिए बहुत ही अच्छी सुविधा दी है। इसके साथ रूपेन्द्र, रमेश, हरेन्द्र, सूरज, प्रेम सिंह, भूपेन्द्र सिंह, आयुष और मंजूषा पवार आदि ने अपने विचार रखे।

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लोगों की बात

पुलिस शोहदों के खिलाफ शहर में समय समय पर अभियान चलाए। जिससे कॉलेज जाने वाली ग‌र्ल्स बेखौफ होकर कालेज को जा सके।

अनुपम

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कोई भी लड़का जब घर से बाहर जाता है तो उसके परिजनों को चाहिए के वह उस पर नजर रखे। कंप्लेन आने पर परिजनों को एक्शन लेना चाहिए।

विवेक

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