बरेली(ब्यूरो) शहर में बंदरों के आतंक से सिर्फ आम आदमी ही नहीं खुद सरकारी सिस्टम भी परेशान है। इससे बचाव के लिए उन्होंने बरेलियंस की तरह नगर निगम की कार्रवाई का इंतजार नहीं किया और लंगूर का कटआउट का सहारा ले रहे हैैं। शहर में रोडवेज बस स्टैैंड पर बंदरों से बचाव के लिए लंगूर के बड़े-बड़े कटआउट लगा दिए गए हैैं। कटआउट लगाने से बंदर भागने को लेकर भले ही लोग एकमत न हों। लेकिन, यह अनोखा तरीका शहर में तेजी से वायरल हो रहा है।

लंगूर ही है सहारा
बंदरों से छुटकारा पाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर शहर के पॉश इलाकों तक में लोग घरों के आगे व छत पर लंगूर का कटआउट लगा रहे हैैं। वहीं इसको लेकर नगर निगम के पशु चिकित्साधिकारी डॉ। आदित्य तिवारी का कहना है कि बंदरों को भगाने के लिए कई स्थानों पर लंगूर भी हायर किया जा रहा है। ऐसा माना जाता है कि लंगूर की आवाज से भी बंदर भाग जाता है। इसी वजह से कई लोग लंगूर की आवाज स्पीकर के माध्यम से बजाकर बंदरों को भगाने का प्रयास कर रहे हैैं।

बेबस निगम कर रहा टेंडर का इंतजार
पशु चिकित्साधिकारी ने बताया कि नगर निगम की ओर से शहर से सौ बंदरों को पकडक़र जंगल में छोड़ा जा चुका है। इसके बाद वन विभाग से दो हजार बंदर पकडऩे की परमिशन मांगी गई थी। इसमें 250 बंदरों को पकडऩे की अनुमति कुछ शर्तो के साथ मिली है। अब टेंडर करना बाकरी है, उसके बाद ही बंदरों को पकड़ा जा सकेगा।

बंदर के कारण हो चुकी है डेथ
इस वर्ष जुलाई माह में दुनका निवासी युवक से उसके चार महीने के बच्चे को बंदरों का झुंड छीनकर ले गया था। आरोप था कि बंदर ने फिर उसे छत से नीचे फेंक दिया था। बंदरों के इस हमले में बच्चे की मौत हो गई थी। शहर से लेकर देहात तक बंदरों के कारण आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैैं। साथ ही हमले में कई लोग गंभीर रूप से घायल भी हो रहे हैं। यह आतंक सिर्फ ग्रामीण क्षेत्र तक सीमित नहीं है, शहर में भी लोगों का छतों पर व घर से बाहर निकलना दूभर हो गया है। आलम यह है कि शहर में कई लोगों ने अपने घरों को लोहे के जाल से ढककर कैदखाना बना दिया है। बंदरों के सवाल पर लोगों के चेहरे पर खौफ साफ देखने को मिल रहा है। शहर में सुभाष नगर, मढ़ीनाथ, राजेंद्र नगर, किला, पुराना शहर, जोगी नवादा, बीडीए कॉलोनी, पटेल विहार आदि क्षेत्रों में लोगों को इस समस्या का सामना करना पड़ रहा है।