- पहली बार निकाली गई भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा, हजारों शहरवासी यात्रा में शामिल

BAREILLY:

श्री कृष्ण के भजनों पर झूमते श्रद्धालु, वृंदावन के प्रसाद को चखते लोग, संगीतमयी कीर्तन की धुनों से गूंजता उद्यान, श्री कृष्ण के भगवन्नाम को जपने का सिलसिला, भगवान के रथ को खींचते विभिन्न धार्मिक संस्थाओं के पदाधिकारी। यह नजारा दिखा इस्कॉन मंदिर की ओर से ऑर्गनाइज भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के दौरान। जहां भक्ति में सराबोर श्रद्धालु भगवान के विशाल रथ को खींच रहे थे। मन में, मस्तिष्क में और जुबां पर हरे राम, हरे कृष्णा के स्वरों की गूंज सुनाई दे रही थी। यूक्रेन, अमेरिका, रूस और मालदीव से आए विदेशियों ने श्री कृष्ण और श्री राम का जो जप किया तो सारा शहर झंकृत हो उठा।

रॉक बैंड ने सुनाए भजन

भगवान को छप्पन भोग लगाकर गांधी उद्यान से मेयर डॉ। उमेश गौतम, शहर विधायक अरुण कुमार ने यात्रा का शुभारंभ किया। चौकी चौराहा, पटेल चौक, नॉवेल्टी चौराहा, कोहाड़ापीर, सूद धर्मकांटा, डीडीपुरम होते हुए झूलेलाल द्वारा पर पहुंचकर यात्रा का विश्राम हुआ। विभिन्न धार्मिक संस्थाओं ने भी यात्रा में बढ़-चढ़कर भाग लिया। विश्राम स्थल पर छप्पन भोग आरती की गई। यहां दिल्ली के रॉक बैंड ने हरि धुन सुनाकर शहरवासियों को भक्तिरस से सराबोर किया। गाजियाबाद के कलाकारों ने रंगोली बनाई। कोतवाली के पास भक्तों ने क्रेन से छप्पन भोग लगाया। विश्राम स्थल पर वैष्णो भक्तों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत प्रभु का गुणगान किया।

यात्रा का स्वागत

प्रभा टॉकिज के पास श्री राधा माधव संकीर्तन मंडल ने स्वागत किया। सिविल लाइंस पर अशोक गोयल व उनके परिवार ने आरती उतार कर पुष्पवर्षा कर यात्रा को आगे बढ़ाया। फिर रामकुमार सर्राफ, विष्णु, संदीप व संजय अग्रवाल समेत देवेंद्र खंडेलवाल, राहुल ने अपने-अपने परिवार के साथ यात्रा का स्वागत किया। कोतवाली पर अनुपम कपूर व सौरभ मेहरोत्रा ने अभिषेक किया। सूद धर्मकांटे पर गिरधर गोपाल खंडेलवाल, विनय खंडेलवाल ने परिवार समेत यात्रा की आरती उतारी।

यूक्रेन में भगवान के पूजन पर पाबंदी

रथ यात्रा में शामिल होने यूक्रेन से आई देवरूपा ने बताया कि यूक्रेन में वहां के स्थानीय निवासियों को श्री कृष्ण और श्री राम की पूजा करने पर पाबंदी है। इसीलिए करीब 10 वर्षो पहले वह अमेरिका, रूस और मालदीव के अपने फ्रेंड्स के साथ भारत के वृंदावन में आई थी। यहां उन्होंने श्रीमदभागवत गीता और रामायण को पढ़ा। वृंदावन के गुरू से दीक्षा ली। और पूरी तरह वृंदावन के आश्रम में सभी बस गए। कहा कि विदेशों में जगराता नहीं होता। वहां लोग कथा नहीं सुनते और न ही वह भगवान को पूजते हैं। लेकिन भारत में यह सब होता है। यह आध्यात्मिक देश है, जहां संस्कार और नैतिक बातें बुजुर्ग सिखाते हैं। कहा कि भारतीय रहन सहन और भाषा सीख ली है।