- सैटरडे को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर संयुक्त सचिव की टीम ने किया मानसिक अस्पताल का निरीक्षण

- तंबाकू का का सेवन करते मिले रोगी, पूछताछ में रिक्शा वालों से मिलने पर जताई नाराजगी

<- सैटरडे को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर संयुक्त सचिव की टीम ने किया मानसिक अस्पताल का निरीक्षण

- तंबाकू का का सेवन करते मिले रोगी, पूछताछ में रिक्शा वालों से मिलने पर जताई नाराजगी

BAREILLY:

BAREILLY:

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सैटरडे को पांच सदस्यीय टीम ने मानसिक अस्पताल का निरीक्षण किया तो कई खामियां सामने आई। टीम ने नाराजगी जाहिर करते हुए इसे तत्काल दुरुस्त करने के निर्देश दिए। जबकि मरीजों को भर्ती करने के अलावा बड़ी प्रॉब्लम के बारे में अधिकारियों से टीम ने कोई सवाल-जवाब नहीं किया। निरीक्षण पूर्व टीम ने अधिकारियों संग बैठक की। टीम में स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव अंशू प्रकाश, प्रमुख सचिव स्वास्थ्य अरविंद कुमार, मानवाधिकार पदाधिकारी, डीएम गौरव दयाल, डायरेक्टर सुनील कुमार, एडी डॉ। सुबोध गोयल, सीएमओ डॉ। विजय यादव, सीएमएस डॉ। डीपी शर्मा व अन्य मौजूद रहे।

तंबाकू खाते मिले मरीज

टीम ने सबसे पहले पैथोलॉजी का निरीक्षण किया। उसके बाद क्रमश परिवार वार्ड, ईसीटी ब्लॉक के बाद टीम मरीजों से बातचीत के लिए अन्य वार्डो में पहुंची। सूत्रों के मुताबिक प्रमुख सचिव व संयुक्त सचिव ने वार्ड नंबर एक में भर्ती मरीज राजीव रस्तोगी से हाल जानना तो वह खामोश रहा, जब मुंह खोलवाए तो वह तंबाकू खा रहा था। जबकि वॉर्ड में तंबाकू प्रतिबंधित हैं। अधिकारियों ने पूछा कि तंबाकू कहां से आई तो राजीव ने बताया कि रिक्शा चलाने वालों से मंगाते हैं। जिस पर टीम ने नाराजगी जाहिर की। वहीं फीमेल वार्ड में पहुंची टीम को महिला रोगियों की निजता खतरे में न आए इसके लिए वॉर्ड के पीछे पीछे यूकेलिप्टस के पौधे लगाने के निर्देश दिए। शाम करीब म् बजे टीम मानसिक अस्पताल का निरीक्षण करने के बाद लखनऊ रवाना हो गई।

अनसुलझे प्रश्न

निरीक्षण पर आई टीम ने भी फौरी तौर पर मामले को निपटाया। सबसे ज्यादा परेशानी मानसिक अस्पताल में मरीजों को भर्ती को लेकर होती है। सूत्रों के मुताबिक जिसके बारे में टीम ने कोई सवाल जवाब नहीं किया। तो दूसरी ओर मानसिक अस्पताल के कई डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं। जिसमें मरीजों का नियमित इलाज नहीं हो पाता। सुबह ओपीडी में डॉक्टर्स के न मिलने से मरीजों को भटकना पड़ता है। वहीं, गर्मी में मरीजों को कूलर आदि की सुविधा नहीं दी गई है। जिससे गर्मी मे मरीजों को काफी दिक्कत होती है। इन सब समस्याओं पर टीम ने अधिकारियों से कोई सवाल नहीं किए।

कई बिंदुओं पर हुई चर्चा

अधिकारियों के साथ हुई बैठक में टीम ने कई बिंदुओं पर चर्चा की।

- सरकारी अस्पतालों में भर्ती होने वाले पेशेंट्स की संख्या से मौजूद इक्विपमेंट की तुलना में पाया कि मरीजों की संख्या व बढ़ रहे रोगों के सापेक्ष म्0 परसेंट इक्विपमेंट कम हैं।

- राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत खर्च रकम, जननी सुरक्षा योजना आदि का लेखा-जोखा जाना।

- मंडलीय अस्पताल में क् साल में महिला चिकित्सकों की अनुमति के बिना निकाले गए महिलाओं के गर्भाशय पर सवाल जवाब हुए।

- मंडलीय पुरुष, महिला सीएचसी-पीएचसी व मानसिक अस्पताल में स्वीकृत डॉक्टरों के पदों के सापेक्ष तैनात डॉक्टरों का आंकड़ा।

- मानसिक अस्पताल में साइकेट्रिस्ट के म् पदों में केवल दो की ही तैनाती। ब् पदों को भरे जाने का निवेदन।

- सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पहुंची टीम ने अधिकारियों को बताया कि कमियों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार मरीजों के हित में राष्ट्रीय नीति बनाएगी। जांच टीम रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट को सौंपेगी। वहीं, खामियों पर कार्रवाई की भी संभावना है।