कानपुर (ब्यूरो)। हैलट हॉस्पिटल में लगभग चार सालों के बाद बर्न पेशेंट्स को फिर से अत्याधुनिक ट्रीटमेंट उपलब्ध हो सकेगा। हैलट इमरजेंसी के सामने बर्न वार्ड की नई बिल्डिंग तैयार हो चुकी है। उपकरणों और मशीनों को इंस्टॉल किया जा रहा है। अगले महीने से पेशेंट को एडमिट कर ट्रीटमेंट किया जाएगा। बता दें कि हैलट का बर्न वार्ड लगभग चार साल पहले बिल्डिंग पुरानी होने के कारण बंद कर दिया गया था। नया बर्न वार्ड बनाने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया था। मंजूरी मिलने के बाद नई बिल्डिंग का निर्माण चल रहा था जो अब पूरा हो चुका है।

6 करोड़ से बिल्डिंग, 3 करोड़ से मशीनें
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के ऑफिसर्स के मुताबिक न्यू बर्न वार्ड प्रोजेक्ट की कास्ट लगभग 10 करोड़ रुपए है। जिसमें लगभग 6 करोड़ रुपए से नई बिल्डिंग का निर्माण होना था। वहीं लगभग 3 करोड़ रुपए से पेशेंट को आधुनिक ट्रीटमेंट के लिए उपकरण व मशीनें आनी थीं। बिल्डिंग का निर्माण पूरा हो चुका है। जैसे-जैसे मशीनें आती जा रही हैं, वैसे-वैसे उनको नई बिल्डिंग में फिट किया जा रहा है। एसआईसी आरके सिंह ने बताया कि एक महीने के अंदर बर्न यूनिट शुरू हो जाएगी।

उर्सला में सिर्फ 8 बेड का
हैलट में चार साल पहले तक वार्ड एक के सामने पुरानी बिल्डिंग में 20 बेड का बर्न वार्ड था। बिल्डिंग पुरानी होने के कारण पेशेंट में इंफेक्शन का खतरा रहता था जिसके चलते उसको बंद कर नया अत्याधुनिक बर्न वार्ड बनाने का फैसला लिया है। इस बीच बर्न पेशेंट को राहत देने के लिए हेल्थ डिपार्टमेंट ने उर्सला में 8 बेड का बर्न वार्ड तैयार किया था। जहां बेड के मुताबिक ट्रीटमेंट के लिए आने वाले पेशेंट की संख्या अधिक है। गंभीर पेशेंट्स को मजबूरी में प्राइवेट हॉस्पिटल का सहारा लेना पड़ता है।

प्राइवेट में नहीं भटकना पड़ेगा
हैलट में न्यू बर्न वार्ड शुरू होने से गंभीर बर्न पेशेंट को काफी राहत मिलेगी। वर्तमान में आग से मामूली रूप से झुलसे पेशेंट का हैलट में ट्रीटमेंट कर दिया जाता है। वहीं गंभीर पेशेंट, जिनको भर्ती करने की जरूरत होती है उसे उर्सला रिफर कर दिया जाता है। उर्सला के बर्न वार्ड में बेड हमेशा फुल रहते हैं। जिसकी वजह से पेशेंट को ट्रीटमेंट के लिए भटकना पड़ता है। अब हैलट में ही उनको भर्ती कर ट्रीटमेंट किया जा सकेगा।