-खजुरिया सम्पतपुर में वर्ष1968 से पहले जलती थी तीन होलिका, ब्राह्माण और जाटव के बीच हुआ था विवाद

-पंचायत ने गांव में शांति बनाए रखने के लिए होलिका नहीं जलाने का लिया था फैसला

BAREILLY

होली के दौरान जाति-धर्म के नाम पर अक्सर कुछ लोग उपद्रव कर फिजा में अशांति का रंग घोल देते हैं। डिस्ट्रिक्ट फरीदपुर में एक गांव ऐसा है, जहां ग्रामीण करीब 50 वर्षो से होलिका दहन न करके आपसी भाईचारे की मिसाल पेश कर रहे हैं। समाज को सीख भी दे रहे हैं कि आपसी प्रेम बनाए रखने में उनके बीच धर्म-जाति की दीवार नहीं आ सकती।

जलती थी तीन होलिका

फरीदपुर तहसील क्षेत्र के गांव खजुरिया सम्पत के ग्रामीणों का कहना है कि वर्ष 1968 के बाद उन्होंने गांव में होलिका जलते हुए नहीं देखी है। उन्होंने बताया कि गांव में पहले तीन होलिका रखी जाती थी, इसके बाद गांव के जाटव बिरादरी के लोगों ने गांव में अपनी होलिका रखना बंद कर दी। उनका कहना था कि वह भी ब्राह्माणों के साथ होलिका का पूजन करेंगे, जिसका ब्राह्माण बिरादरी के लोगों ने विरोध जताया और कहा कि पहले पूजा ब्राह्माण करेंगे इसके बाद ही जाटव बिरादरी के लोग होलिका का पूजन करेंगे। करीब दो तीन साल तक इस पर सहमति चलती रही। इसके बाद गांव में फिर से जाटव बिरादरी के लोगों ने ब्राह्माणों के साथ होलिका पूजन की जिद कर ली, जिससे गांव में तनाव हो गया। गांव में तनाव को देखते हुए ग्रामीणों ने निर्णय लिया कि इस बार गांव में होलिका दहन नहीं किया जाएगा।

प्रधान ने की थी पंचायत

ग्रामीणों का कहना था कि उस समय गांव के प्रधान स्व। रामलाल शर्मा थे। होली को लेकर गांव उपजे विवाद के बाद गांव तनाव हो गया था। गांव में तनाव को देखते हुए उन्होंने ग्रामीणों के साथ एक पंचायत की, जिसमें सभी की सहमति से निर्णय लिया गया कि अब गांव में होलिका दहन नहीं किया जाएगा, जिससे गांव में आपसी सौहार्द कायम रह सके। तब से आज तक गांव में होलिका दहन नहीं किया जाता है।

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काफी समय पहले गांव में होलिका जलाई जाती थी। अब गांव के लोग रंग खेलते, गले मिलते हैं, लेकिन होलिका दहन नहीं।

नन्हीं देवी ग्राम प्रधान

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इच्छा होती है कि दूसरे गांव में जब होलिका रखी जाती है तो हमारे गांव में भी रखी जाए, लेकिन विवाद के कारण नहीं रखी जाती है।

नरेन्द्र

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एक बार गांव में होलिका दहन को लेकर विवाद होने की नौबत आ गई थी, जिसके बाद गांव में पंचायत ने होलिका दहन पर राेक लगा दी।

नारायण

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गांव में विवाद न हो इसके लिए सभी ने होलिका न रखने का निर्णय पंचायत में लिया था। हम सभी लोग उसी निर्णय का आज भी पालन कर कर रहे हैं।

रामप्रकाश