बरेली की पहचान मेडिकल हब के रूप में विख्यात है। वजह वाजिब है। बरेली मंडल का इकलौता डिविजनल हॉस्पिटल भी शहर में है और करीब 400 निजी हॉस्पिटल्स व नर्सिग होम्स भी शहर के हर कोने में मरीजों को इलाज दे रहे हैं। लेकिन इलाज की तमाम सुविधाओं के बीच भी शिकायतें भरपूर हैं। शिकायतें, इलाज में मनमानी फीस वसूली से लेकर लापरवाही के चलते मरीज की मौत की और रिश्वत वसूलने से लेकर डॉक्टर-स्टाफ के मरीज को बिना इलाज दिए लौटा देने की। सरकारी और निजी हॉस्पिटल्स में इलाज व्यवस्था की इन्हीं गड़बडि़यों पर फ्राइडे को दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की मुहिम 'गर्मी लगी क्या' में समाज के हर मजहब और वर्ग के लोग जुड़े और जमकर निकाली अपनी शिकायती गर्मी।

BAREILLY: मुहिम के पहले दिन चर्चा की शुरुआत अंबेडकर पार्क में दोपहर 12.35 बजे हुई। जिसमें बरेली में सरकारी इलाज का बड़ा दारोमदार उठा रहे ज्वाइंट डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में मरीजों की सहूलियतों व इलाज व्यवस्था पर बेबाक टिप्पणी की गई। समाज सेवा मंच के अध्यक्ष नदीम शम्सी ने कहा कि मरीजों के इलाज के लिए इकलौते डिविजनल हॉस्पिटल में न स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स हैं, न ही आईसीयू की सुविधा। मरीजों को वार्ड से लौटा दिया जाता है। परवेज खान बाले फीमेल हॉस्पिटल में सफाई की कोई व्यवस्था नहीं। बिना सुविधा शुल्क के इलाज नहीं दिया जाता। साजिद खान ने कहा जब कोई मुहिम चलती है, तब कुछ घंटे ही असर दिखता है, बाद में सब पहले जैसी अव्यवस्था हो जाती है। शिक्षक अतीक नमाजी भी चुप न रहे। कहा, रैबीज के इंजेक्शन तक हॉस्पिटल में नहीं लग रहे। वहीं बरेली युवा सेवा क्लब के प्रेसीडेंट गुलफाम अंसारी ने कहा हॉस्पिटल के गेट से ही अवैध वसूली व गंदगी शुरू हो जाती है। सरकारी हॉस्पिटल के बाद दोपहर 2 बजे से शहर के गौतम बुद्ध पार्क में निजी हॉस्पिटल्स की खामियों पर लोगों ने गर्मी निकाली। चर्चा की शुरुआत में ही विनोद कुमार ने सवाल किया कि डॉक्टर्स के डिग्री के आधार पर ही उनकी फीस तय क्यों नहीं होती। जिससे निजी डॉक्टर्स मरीजों को लूट न सकें। मुकेश ने कहा कि मरीजों को आईसीयू में भेजकर परिजनों को कुछ बताया ही नहीं जाता। इसके बाद लंबा चौड़ा मनमाना बिल दे दिया जाता है। इस पर एडी पद से रिटायर्ड डॉ। राम बाबू अग्रवाल ने कहा कि सभी का आईक्यू एक जैसा नहीं होता। फार्मासिस्ट डॉ। बीसी यादव ने कहा कि निजी हॉस्पिटल्स इंसानियत की नीयत से मरीजों का इलाज करें, न कि बिजनेस की सोच से।

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पॉपुलेशन, करप्शन व अवेयरनेस

आईएमए के अगले प्रेसीडेंट डॉ। प्रमेन्द्र महेश्वरी ने देश में इलाज व्यवस्था के नाकाफी होने के पीछे पॉपुलेशन व करप्शन को बड़ी वजह बताया। जिससे हर नागरिक को समान व सस्ती स्वास्थ्य सुविधा मिलने में मुश्किल हो रही है। उन्होंने देश में हर नागरिक के लिए मेडिकल इंश्यारेंस अनिवार्य होने पर जोर दिया। फार्मासिस्ट केसी त्रिपाठी ने जनता को शिक्षित व अवेयर होने की भी बात जोड़ी। वहीं डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के सर्जन डॉ। एमपी सिंह ने कहा कि स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाने के लिए सरकारी डॉक्टर्स पर वीआईपी ड्यूटी, मेडिको लीगल व पोस्टमार्टम का बोझ कम रहे। गांव-देहात की बड़ी आबादी का इलाज सरकारी हॉस्पिटल्स में ही हो रहा है।