- बरेली के ब्लड डोनर्स जिन्हें ब्लड डोनेट करने से मिलती है खुशी

>BAREILLY: ब्लड डोनेशन को लेकर चलाए जा रहे तमाम अवेयरनेस प्रोग्राम्स के बावजूद अब भी एक बड़ा वर्ग इससे बचता है। वह ब्लड डोनेट नहीं करना चाहता लेकिन बरेली कुछ ऐसे भी लोग हैं जिनके चेहरे पर ब्लड डोनेट करने से खिल उठते हैं। उनसे बस ब्लड डोनेट करने के लिए कहा जाए तो उनके मुंह से बरबस ही ये शब्द निकलते हैं कि 'जल्दी चलिए, बस दो मिनट में पहुंचता हूं'। आज नेशनल ब्लड डोनेशन डे पर हम आपको बरेली ऐसे ही महादानियों से रूबरू कराने जा रहे हैं जिन्होंने ब्लड देकर महादान किया है।

उम्र नहीं सिर्फ मदद के हैं मायने

बिहारीपुर ढाल निवासी 52 वर्षीय इकबाल सिंह बाले ने 73 बार ब्लड डोनेट कर चुके हैं। पहली बार उन्होंने 1983 में ब्लड डोनेट किया था। सिविल लाइंस निवासी 53 वर्षीय दीपक मलिक अभी तक 58 बार ब्लड डोनेट किया है। सबसे पहले उन्होंने सिस्टर को ब्लड डोनेट किया था। राजेंद्रनगर निवासी 51 वर्षीय एडवोकेट दिनेश चंद कटियार 54 बार ब्लड डोनेट कर चुके हैं। बिहारीपुर निवासी 29 वर्षीय आकाश मेहरोत्रा 30 बार ब्लड डोनेट कर चुके हैं। पहली बार वर्ष 2003 में ब्लड डोनेट किया था। इसी तरह जगतपुर पुराना शहर निवासी 32 वर्षीय यज्ञदत्त मिश्रा ने 10 वर्षो में 20 बार ब्लड डोनेट किया है। मानव सेवा क्लब के सुरेंद्र 52 वर्षीय सुरेंद्र बीनू सिन्हा 66 बार ब्लड डोनेट कर चुके हैं।

आखिर क्या है मुख्य वजह

ब्लड तभी कोई मांगता है जब और कोई विकल्प नहीं रह जाता। यह कहना है बरेली के 50 से ज्यादा बार रक्तदान कर चुके रक्तदाताओं का। जिनके मुताबिक पहली बार संयोग से ब्लड डोनेट करना पड़ा या किसी अपने को ब्लड दिया। फिर बाद में मन में लोगों की मदद की प्रेरणा खुद ब खुद जगी और ब्लड डोनेट करना शुरू कर दिया। वर्ष से दो से तीन बार ब्लड डोनेट करते हैं। इसके अलावा अगर किसी अपने या जरूरतमंद की कॉल आ जाए तो कभी मुकरते नहीं। भले वह चिकित्सकों के परामर्श के अनुकूल न हो। इनका मानना है कि ब्लड देने से किसी एक व्यक्ति की ही जान नहीं बचती बल्कि उसके सारे अरमान और समूचे परिवार की ख्वाहिशों को भी नई उम्मीद मिल जाती है। जिसें बयां नहीं किया जा सकता है।

लोगों को बगैर किसी डर के ब्लड डोनेट करना चाहिए। सोचिए अगर आपको जरूरत हो और ब्लड न हो तब। यही सोचकर 74वीं बार ब्लड डोनेट करने जा रहा हूं।

इकबाल सिंह बाले, बिजनेसमेन