-मार्केट रेट से कम है राशन ढुलाई किराया दे रही सरकार

-कोटेदारों को राशन ढुलाई का भी नहीं मिल रहा रुपया

BAREILLY :

गरीबों के हिस्से के अनाज में 'चोरी' खाद्यान्न विभाग ही करा रहा है। अफसरों ने ऐसा सिस्टम डेवलप कर रखा है, जिसके आगे कोटेदार गड़बड़ी करने को मजबूर हैं। या फिर जिसकी आड़ में वह मलाई काट रहे और अफसरों को भी खिला रहे हैं। हर एक लाभार्थी तक पूरा राशन पहुंचे, इसके लिए जरूरी है कि कोटेदारों को भी पूरा माल मिले और उनकी शॉप तक सामान भी पहुंचे, लेकिन बरेली नगरीय क्षेत्र में ऐसा नहीं हो रहा है। लिहाजा, घाटा की भरपाई के लिए कोटेदार पब्लिक के हिस्से का अनाज डकार रहे हैं।

नहीं हो रही शॉप डिलीवरी

नियमत: स्टेट फूड कॉरपोरेशन के गोदाम से कोटेदारों के शॉप तक राशन की डिलवरी होनी चाहिए। चूंकि सरकार ने अनाज की डिलवरी के लिए जो दर तय की है, वह 10 रुपए प्रति क्विंटल अधिकतम है। यही वजह है कि इतनी कम दर पर कोई ठेकेदार टेंडर के लिए आगे नहीं आया। ऐसे में, कोटेदार को प्रति क्विंटल 10 रुपए दिए जाने चाहिए, लेकिन एसएफसी पर अनाज की सप्लाई कर रहे ठेकेदार उसे भी हजम कर जा रहे हैं। लिहाजा, कोटेदारों को अपनी जेब से ढुलाई का भी खर्च देना पड़ रहा है।

कोटेदारों के अनाज में घटतौली

डेलापीर मंडी हाउस स्थित सीएफसी के गोदाम से कोटेदार अनाज उठाते हैं। खाद्यान्न वितरण में घोटालेबाजी का आलम यह है कि गोदाम से ही कोटेदारों को कम अनाज मिलता है। अब इस घाटे की भरपाई के लिए भी कोटेदार गरीबों के हिस्से के अनाज में हेराफेरी करते हैं। या फिर वह भी घटतौली कर रहे है।

चालान की बजाय कैश पेमेंट

कोटेदार जितना भी राशन उठाता है, उसका पेमेंट चालान के जरिए होना चाहिए, जिसमें कोटेदार का कमीशन और ढुलाई का पैसा घटा दिया जाता है। बरेली में चालान की व्यवस्था आज तक लागू नहीं हो सकी। लेन-देन नियमों के विपरीत कैश में हाे रहा है।

ऐसे समझिए पूरा खेल

अनाज की ढुलाई में-

-कोटेदार डेलापीर गोदाम से सुभाषनगर के लिए 100 कुंतल राशन खुद लाता है।

-25 रुपए प्रति कुंतल किराया देना पड़ता है।

-100 कुंतल का 25 रुपए के हिसाब से 25 सौ रुपए हुआ।

-सरकारी रेट 10 रुपए प्रति क्विंटल मिले तो भी जेब से लगना तय है।

-10 रुपया सीएफसी का ठेकेदार कोटेदारों को नहीं दे रहा है।

घटतौली

-100 कुंतल में 2 से 3 कुंतल राशन कोटेदारों को कम मिलता है। - - गेहूं में वजन कम मिला तो 600 रुपए का नुकसान

-चावल में वजन कम मिला तो 900 रुपए का नुकसान

-इस प्रकार कोटेदारों को एक बार अनाज उठाने में कम से कम 3 से साढ़े 3 हजार रुपए की चपत लग जाती है।

कोटेदारों ने सुनाया दर्द

प्रति माह 100 क्विंटल राशन 25 सौ रुपए किराया देकर लाते हैं। जिसमें 2-3 कुंतल राशन बांटते समय कम निकलता है। किसी तरह घाटा पूरा हो पाता है। विभाग से कई बार बताया गया राशन की शॉप डिलीवरी दी जाएगी, लेकिन अभी तक न तो किराया मिला और न शॉप पर डिलीवरी।

धर्मपाल, सुभाषनगर के कोटेदा

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अफसरों के डर से नाम न छापने की शर्त पर कोटेदार ने बताया कि एक माह में डेढ़ सौ कुंतल राशन लाता हूं, जिसका 20 रुपए क्विंटल किराया देना पड़ता है। किराया तो मिलना दूर राशन भी बांटते समय कम से कम 3 कुंतल कम निकलता ही है। अब कोटेदार घाटा पूरा करने के लिए अपना घर तो नहीं बेचेगा। वह कोटा के ही राशन से घाटा पूर्ति करेगा।

सिविल लाइंस, कोटेदार

कोटेदारों की शॉप तक डिलीवरी नहीं हो रही है। न ही उनको 10 रुपए ही दिए जा रहे हैं। यह एक बड़ी समस्या है। अक्सर कोटेदार घटतौली की भी शिकायत करते हैं। वितरण स्तर पर निगरानी हो रही है, तो जरूरी है कि कोटेदारों को पूरा राशन मिले और ढुलाई का भाड़ा मिले। इस संबंध में मैंने शासन को पत्र लिखा था। जल्द ही चालान व्यवस्था लागू हो जाएगी।

राजन गोयल, उपायुक्त खाद्यान्न