एल्कोहॉलिक था अजय

अजय प्रकाश पाठक गली नंबर 4 गणेश नगर में पत्नी कंचन और बच्चों फ्लोरा, रचित व परी के साथ रहता था। वह बिजली विभाग में ठेकेदारी पर बिलिंग का काम करता था। अजय के बच्चे फ्लोरा व रचित अपने दादा-दादी के पास गए थे। इसके अलावा कंचन छोटी बेटी परी को लेकर प्रेमनगर में मायके गई थी। संडे रात अजय शराब पीकर मकान की ऊपरी मंजिल के कमरे में सोने चला गया।

केबिल वायर से फंदा लगाया

मंडे सुबह करीब 8 बजे भाई विजय ने उसके कमरे का दरवाजा खटखटाया तो कोई रेस्पॉन्स ही नहीं मिला। पुलिस को बुलाया गया। सभी ने देखा कि अजय केबिल वायर का फंदा बनाकर पंखे से लटका हुआ था। उसने बेड पर सोफा रखकर ये काम किया। डेड बॉडी पोस्टमार्टम के बाद फैमिली को सौंप दी गई है। पुलिस को अजय के कमरे से पांच पेज का सुसाइड नोट मिला है।

ये लिखा है note में

मैं मरना नहीं चाहता हूं, प्रियंका (छोटे भाई की पत्नी) व कंचन ने सबके सामने मुझको गलत बना दिया। मैंने कोई गलत काम नहीं किया था। मैं शराब जरूर पी लेता था। मैं मर तो रहा हूं लेकिन जल्द ही लौट कर आऊंगा। महादेव की कसम भूत-प्रेत बनकर लौटूंगाऐसा ही काफी कुछ नोट में लिखा है।